शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

बेटे का दर्द और ईंन्सानियत

एक डॉक्टर को जैसे ही एक
urgent सर्जरी के बारे में फोन करके बताया गया.
वो जितना जल्दी वहाँ आ
सकते थे आ गए.
वो तुरंत हि कपडे बदल
कर ऑपरेशन थिएटर की और बढे.
डॉक्टर को वहाँ उस लड़के के पिता दिखाई दिए
जिसका इलाज होना था.
पिता डॉक्टर को देखते ही भड़क उठे,
और चिल्लाने लगे.. "आखिर इतनी देर तक कहाँ थे
आप?
क्या आपको पता नहीं है की मेरे बच्चे
की जिंदगी खतरे में है .
क्या आपकी कोई
जिम्मेदारी नहीं बनती..
आप का कोई कर्तव्य है
या नहीं ? ”
डॉक्टर ने हलकी सी मुस्कराहट के साथ
कहा- “मुझे माफ़
कीजिये, मैं
हॉस्पिटल में नहीं था.
मुझे जैसे ही पता लगा,
जितनी जल्दी हो सका मैं
आ गया..
अब आप शांत हो जाइए, गुस्से से कुछ नहीं होगा”
ये सुनकर पिता का गुस्सा और चढ़ गया.
भला अपने बेटे की इस नाजुक हालत में वो शांत कैसे
रह सकते थे…
उन्होंने कहा- “ऐसे समय में दूसरों
को संयम रखने का कहना बहुत आसान है.
आपको क्या पता की मेरे मन में क्या चल रहा है..
अगर
आपका बेटा इस तरह मर रहा होता तो क्या आप
इतनी देर करते..
यदि आपका बेटा मर जाए
अभी, तो आप शांत रहेगे?
कहिये..”
डॉक्टर ने स्थिति को भांपा और कहा-
“किसी की मौत और
जिंदगी ईश्वर
के हाथ में है.
हम केवल उसे बचाने का प्रयास कर सकते है.. आप ईश्वर से
प्राथना कीजिये.. और मैं अन्दर जाकर ऑपरेशन
करता हूँ…” ये
कहकर डॉक्टर अंदर चले गए..
करीब 3 घंटो तक ऑपरेशन चला..
लड़के के पिता भी धीरज के साथ बाहर बैठे
रहे..
ऑपरेशन के बाद जैसे
ही डाक्टर बाहर निकले..
वे मुस्कुराते हुए, सीधे पिता के पास गए..
और उन्हें कहा- “ईश्वर का बहुत
ही आशीर्वाद है.
आपका बेटा अब ठीक है.. अब आपको जो
भी सवाल पूछना हो पीछे आ
रही नर्स से पूछ लीजियेगा..
ये कहकर वो जल्दी में चले गए..
उनके बेटे की जान बच
गयी इसके लिए वो बहुत खुश तो हुए..
पर जैसे ही नर्स उनके पास आई.. वे बोले.. “ये कैसे
डॉक्टर है..
इन्हें किस बात का गुरुर है.. इनके पास हमारे लिए
जरा भी समय नहीं है..”
तब नर्स ने उन्हें बताया..
कि ये वही डॉक्टर है जिसके
बेटे के साथ आपके बेटे का एक्सीडेँट हो गया था.....
उस दुर्घटना में इनके बेटे
की मृत्यु हो गयी..
और हमने जब उन्हें फोन किया गया..
तो वे उसके क्रियाकर्म कर
रहे थे…
और सब कुछ जानते हुए भी वो यहाँ आए और
आपके बेटे का इलाज
किया...
नर्स की बाते सुनकर बाप की आँखो मेँ
खामोस आँसू
बहने लगे ।
मित्रो ये होती है इन्सानियत ""
जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे मत लीजिये,
जीने का शौक भी रखिये..
शमशान ऐसे लोगो की राख से...
भरा पड़ा है..."

ईश्वर द्वारा कहीं बात गलत तो नही ?????

ईश्वरवादियो का एक मत यह हैं कि इंसानों का
भाग्य पहले से ही लिखा है।इंसानों के साथ अच्छी
बुरी जो भी घटना होती है वह भाग्य के प्रतिफल
होती हैं।
ईश्वर वादियों का दुसरा मत यह है कि यदि इंसान
गलत कार्य (पाप) करेगा तो उसे नर्क व जहन्नुम में
सजा दी जाएगी। बुरे कर्मों की सजा इंसान को
सहनी पड़ती हैं।
अब यदि ये कहा जाए कि इंसानों का भाग्य पहले से
ही लिखा है तो इंसानों पर अच्छे बुरे कर्मों का दोष
कैसे लगाया जाता सकता है ? क्योंकि इंसान तो
भाग्य के अधीन कार्य कर रहा है ।
और यदि ये कहा जाए कि इंसान अच्छे बुरे कर्म के
लिए स्वयं जिम्मेदार हैं तो उसे भाग्य कैसे कहा जा
सकता है ?
सोचने वाली बात तो यह है कि ये दोनों विरोधी
विचारधारा गीता में हैं। जब दो विरोधी
विचारधारा आमने सामने होती हैं तो दोनों में से
किसी एक का गलत होना सुनिश्चित है। चुकी ये
दोनों विचारधारा ईश्वर की वाणी गीता में हैं और
दोनों में से एक विचार का गलत होना सुनिश्चित है
। तो यहाँ विकट स्थिति यह पैदा होती हैं कि जिसे
हम ईश्वर द्वारा कहीं बात समझते हैं कहीं वो ही तो
गलत नहीं !

नास्तिक होने के लिये तुमको समझदार और पढ़ा लिखा होना ज़रूरी है

I am an atheist..& you ?
आस्था मैं यकीन रखना बोहत आसान है
और नास्तिक बनना बोहत मुश्किल
इसलिये 99 प्रतिशत लोग आस्तिक हैं और
1 प्रतिशत लोग नास्तिक
आस्तिक बनने के लिये कुछ नहीं करना पड़ता बस उसके लिये
बेवकूफ होना ही काफी है
क्योकि बेवकूफ इंसान भीड़ को फॉलो करता है बेहतर सिखने से
डरता है आँख कान को बंद रखता है
इसलिये आस्तिक होना आसान है नास्तिक होना बोहत
मुश्किल
नास्तिक होने के लिये तुमको समझदार और
पढ़ा लिखा होना ज़रूरी है
हर बात के जवाब के लिये उसके पास ठोस सबूत होना ज़रूरी है
इसलिये लोग मेहनत नहीं करते और
भीड़ को फॉलो करत!
चार ईंट लगाकर मथा टेकने से भगवान मिलता तो
सबसे पहले ईंट बनाने वाला दरसन करता.
माता जानवरों की बलि लेती है तो वह डायन
है.मां नही.
मदिंर मे घटीं ना बजाओ भगवान बहरा नही है.
भुखाः मरने से भगवान नही मोत मिल सकती है.
सवा रूपये मे भगवान राजी नही होने वाला.
नगें पावं कहीं जाने से भगवान नही मिलता
कयोंकि जानवर सारी उमर जूते नही पहनते.

औकात पर आ जाते हैं लोग

थोड़ा सा खुल कर बात भी करे
तो औकात पर आ जाते हैं लोग ...
.
.
लड़कियाँ बेचारी क्या करें
अपनी असली जात पर आ जाते हैं
लोग ...
.
.
.
वो चाहती हैं
दोस्ती,पिकनिक, हंसी, मजाक,
मसखरी ...
पर उन्हें जो नापसंद है
उसी बात पर आ जाते हैं लोग ...
.
.
.कुछ दिनों में उतर जाता है
चेहरे पर चढ़ा नकली रंग ...
.
.
मौका मिलते हीअसली ख्यालात पर
आ जाते हैं लोग ...
.
.
.
उनके लिए लडकियों की जिंदगी
शतरंज की बिसात से ज्यादा नहीं ...
.
सोच समझ कर जाल बिछाते हैं
.
और सीधे मात पर आ जाते हैं लोग ...
.
.
क्यों न बन जाएचारदीवारी उनका
आशियाना ...
.
वो चाहती हैं दिन के उजाले
मगर रात वाली हरकतों पर आ जाते हैं
लोग...

क्या भगवान हर जगह होता हैं???

भगवान तो हर जगह होता है... फिर एक्सीडेंट क्यों होता है?
भगवान तो हर जगह होता है... फिर बलात्कार क्यों होता है?
भगवान तो हर जगह होता है... फिर चोरी लुटमार क्यों होती है?
भगवान तो हर जगह होता है... फिर धर्म के नाम पे दंगा क्यों होता है?

भगवान तो हर जगह होता है... फिर गरीब भूखा क्यों होता है?
भगवान तो हर जगह होता है... फिर छोटा बच्चा दूध के लिये क्यों रोता है?

कहा है फिर ये भगवान???
क्या इसको औरतो की चिंखे सुनाई नही देती?
क्या बच्चो की खामोशी दिखाई नही देती?
सरहद पर गोलीयों की बौछार सुनाई नही देती?

या फिर हमारी तरह ही ये भी डर के बैठा है गुंडो से?
या फिर इसको मंदिर मस्जिद का सोना और खाना ही पसंद है. बाकी उसे किसी से क्या मतलब. क्यों?

क्या भगवान भी भेदभाव करता हैं..???

क्या कोई बतायेगा कि भगवान/ईश्वर/देवी/ खुदा या GOD या अल्लाह के काम करने का दायरा कितना है..?

मैँ अक्सर दीन हीन और असहाय व्यक्ति या समझ लीजिए भिखारियों को मंदिर मस्जिद चर्च के बाहर भीख माँगते देखता हूँ..!
और सोचता हूँ कि जब वह अपने दरवाजे के बाहर बैठे लोगों की मदद नहीं
करता पाता तो और किसी की मदद क्या करेगा ।
जब सब उसकी संतान हैं तो उसका ये कैसा भेदभाव।
क्या वे अपनी संतानों में भेदभाव करता है……???

RTI लिखने का तरीका

⭕⭕⭕ RTI ⭕⭕⭕
         RTI लिखने का तरीका -
RTI मलतब है सूचना का अधिकार - ये कानून हमारे देश में 2005 में लागू हुआ।जिसका उपयोग करके आप सरकार और
किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते है। आमतौर पर लोगो को इतना ही पता होता है।परंतु आज मैं आप को इस के बारे में कुछ और रोचक जानकारी देता हूँ -

RTI से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछकर सूचना ले सकते है।
RTI से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज़ की जांच कर सकते है।
RTI  से आप दस्तावेज़ की प्रमाणित कापी ले सकते है।
RTI से आप सरकारी कामकाज में इस्तेमाल सामग्री का नमूना ले सकते है।
RTI से आप किसी भी कामकाज का निरीक्षण कर सकते हैं।
RTI में कौन- कौन सी धारा हमारे काम की है।

धारा 6 (1) - RTI का आवेदन लिखने का धारा है।
धारा 6 (3) - अगर आपका आवेदन गलत विभाग में चला गया है। तो वह विभाग
इस को 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग मे 5 दिन के अंदर भेज देगा।
धारा 7(5) - इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नही देना होता।
धारा 7 (6) - इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है
तो सूचना निशुल्क में दी जाएगी।
धारा 18 - अगर कोई अधिकारी जवाब नही देता तो उसकी शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए।
धारा 8 - इस के अनुसार वो सूचना RTI में नहीं दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो।
धारा 19 (1) - अगर आप
की RTI का जवाब 30 दिन में नहीं आता है।तो इस
धारा के अनुसार आप प्रथम अपील अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते हो।
धारा 19 (3) - अगर आपकी प्रथम अपील का भी जवाब नही आता है तो आप इस धारा की मदद से 90 दिन के अंदर दूसरी
अपील अधिकारी को अपील कर सकते हो।

RTIकैसे लिखे?

इसके लिए आप एक सादा पेपर लें और उसमे 1 इंच की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए गए प्रारूप में अपने RTI लिख लें
...................................
सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और 6(3) के अंतर्गत आवेदन।
सेवा में,
              (अधिकारी का पद)/
               जनसूचना अधिकारी
विभाग का नाम.............
विषय - RTI Act 2005 के अंतर्गत .................. से संबधित सूचनाऐं।
अपने सवाल यहाँ लिखें।

1-..............................
2-...............................
3-..............................
4-..............................

मैं आवेदन फीस के रूप में 10रू का पोस्टलऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा /रही हूं।
या
मैं बी.पी.एल. कार्डधारी हूं। इसलिए सभी देय शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल.कार्ड नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/कार्यालय से सम्बंधित
नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए मेरा आवेदन सम्बंधित लोकसूचना अधिकारी को पांच दिनों के
समयावधि के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत
सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।
              भवदीय
        नाम:....................
        पता:.....................
       फोन नं:..................
      हस्ताक्षर...................
ये सब लिखने के बाद अपने हस्ताक्षर कर दें।
अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10 रु देते है और एक पेपर की कॉपी मांगने के 2 रु देते है।
हर राज्य का RTI शुल्क अगल अलग है जिस का पता आप कर सकते हैं।

कल न हम होंगे न कोई गिला होगा !

कल न हम होंगे न कोई गिला होगा !
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा

बढ़ कदम रुकने न पाये
     
राह काँटों से भरी हो,
या उमड़ती सी सरी हो, 
जीत की चाहत खरी हो,
काल सिर नत हो झुकाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
पंख अपने आजमाता,
नीड़ तिनके चुन बनाता,
एक पंछी यह सिखाता,
                        भाल, साहस कब झुकाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
ढूँढता फिरता कहाँ रे,
हाथ में तेरे सितारे,
जाग खुद जग को जगा रे,
                        आंधियाँ दिल में छुपाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
खींच अंबर को धरा पर,
पाँवों के अपने बराबर,
तू ही चन्दा तू दिवाकर
                        राह जग को जो दिखाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
लक्ष्य नजरों में बसे जब,
पाँव थकते फिर कहाँ कब,
चाह सब पूरी करे रब,
साथ विधना मुस्कुराये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।

जय भीम नमो बुद्धाय
सबका मंगल हो
सौ : विमल

"मेरा फर्ज"

क्यों मुझे बाबासाहेब के कार्य को आगे ले जाना चाहिये ???
क्यों मुझे भगवान से अधिक भीम को मानना चाहिये ???
क्यों मुझे समाज के लिये कुछ करना चाहिये ???

            क्योंकी जब मे पैदा हुआ इस पृथ्वी पर तब मुझ पे लेबल लग गया था हिन्दु दलित ! बचपन से मुझे अपनी जाती से घिन्न होती थी और मै कई दफा अपनी जाती छिपाने की कोशीष करता था,लेकिन फीर भी मे कई बार खुदको दुसरो(सवर्णो) की नजरोमै जातीवाद के चलते गीरते देखा।जो मुझे सामने नही कह सकते वो मेरी पीठ पीछे वार कर लेते थे।
         तब मे बाबा साहेब के बारे मै कुछ नही जानता था।
       लेकिन मेरे दलित होने की वजह से जबतक मे पढा तबतक हरसाल मुझे स्कोलरशीप मीलती थी और मै बेवकुफ तब ये समजता ता की ये सरकार दे रही हे।
मुझे पहेली कक्षा से दसवी कक्षा तक करीबन 15000 की शिष्यवृती मीली। बाद मै गयारवी और बारवी कक्षा मे पालनपुर की अच्छी स्कुल मे एडमीशन मीला वो भी अनामत मेरीट के आधार पै।अगर मुझे अनामत ना मीलती तो मै शायद अच्छी स्कुल मे सायन्स की पढाई कभी न कर पाता।
         फिर धीरेधीरे मै बाबा साहब को जानने लगा। मैने पढा की कोन थे वो और अबतक मे फोगट का लाभ ले रहा था उसके पीछे किसका हाथ था।
           मे ग्यारवी कक्षा की पढाई के दोरान डो भीमराव आंबेडकर कुमार छात्रालय मे मुफ्त रहने लगा ,यहा मुझे पलंग,गद्दा,कंबल,रुम,टेबल-खुरशी,दो पंखे,दो टयुबलाईट,डोअर,अच्छा खाना ये सब मुफ्त मै मिला था, कोई चार्ज नही !!
मुझे दसवी मे 80% आये थे तो सायन्स करने के लिये मुझे 25000 रुपये और मीले। फिर मैने कोलेज की वहा भी शिष्यवृती मीली ।
इस सब का मे हिसाब लगाउ तो करीबन 50,000 की स्कोलरशीप मेरी पढाई मै मददरुप होते मीली।
इसी तरह मेरा बडा भाई भी पढा।(वो तो 4 साल गांधीनगर मै डो भीमराव आंबेडकर कुमार छात्रालय मे रहा।
मेरे चाचा,फुफा,मामा के लडके अभी भी लाभ उठा रहे है।
मेरा घर बना आंबेडकर आवास योजना के तहत मीली लोन से।
हमे सस्ता राशन भी मीलता है।
कितनी योजना के तहत लाभ मिले होगें

         ये सब मुझे कीसी भी भगवान ने नही दिया जो कुछ दिया बाबासाहेब नामके इन्सान ने दिया ईसलिये मेरा पुर्ण कर्तव्य बनता हे की मे
बाबा साहेब को
_ जानु,
_ उनको मानु,
_ उनके लीखे पुस्तके पढु,
_ उनका लिखा संविधान पढु,
_ उनके पथ पर चलु,
_ उन्होने जो पिछडो के लिये किया उस समाज के लिये मै भी कुछ न कुछ करु।
       क्योकी इस मुकाम पर मुझ जैसे करोडो को लाने के लिये बाबासाहब ने कंई _अपमान झेले थे।
_न जाने कितनी रातो की नींद हराम की थी।
_दांमपत्य सुख छोडा था।
_एक एक करके चारो बच्चे गवां दिये थे मेरे खातीर।
_वो चाहते तो एक अच्छे से अच्छी जिंदगी जी लेते (जिस तरह आज हम जी रहे है) लेकिन मेरे जैसे लाखो की खातिर उन्होने अपने सुख चैन को ठोकर मारी थी।
         क्या आपने कभी दलित होने की वजह से बाबासाहब की मीले अधिकारो के तहत कभी लाभ उठाया ??? सभी ने कहीं न कहीं फायदा उठाया ही होगा तो फिर आप लोटायेंगे कब ?  या फिर खाना ही जानते है ? अब तो नोकरी मिल गई अच्छा खासा कमा लेते हो फिर जिसने पुरी जिंदगी खर्च डाली उस महा पुरुष के लिये कब करोगे ? कब उनके दिये पथ पर चलोगे ?
    थोडी शर्म करो ! लेना जानते हो तो कुछ देने की औकात रखो।कई उम्मीदे- आशाये तुमसे जुडी है।
पुरी जिदंगी बीवी - बच्चो मै ही निकालोगे क्या ?
आओ साथ मिलकर भीम का मिशन आगे ले जाये।
____________जय भीम
सौ : Babubhai Bhatiya
96249 87050

संविधान जीने का आधार नही है उसे बदला जा सकता है।

मोहन भागवत ने ये बात क्या छेड दी कि हमारे लोग चल पडे गालीगलोच करने ।
मोहन भागवत की तस्वीर की पोस्ट घुमाने से और फेसबुक पर गाली देने से क्या होगा ?
क्या इससे भागवत डर जायेगा ?
मोदी डर जायेगा ?
क्या आप को लगता है की इससे डरकर वह ऐसा कदम नही उठायेंगे ?
आप को किसने कहा की वो लोग ऐसा नही कर सकते ?
बिल्कुल कर सकते है । अगर राज्यसभा मे भी अनुकूल परिस्थिती होगी तो संविधान बदला जा सकता है ।
लोकसभा मे पहले से ही मेजॉरिटी है ।
विपक्ष के कुछ सदस्य भी चाहते है की संविधान मे बदल हो ।
संविधान बदला ही नही जा सकता ये कैसे हो सकता है ?
डेमोक्रॅसी है । लोकतंत्र है ।
हमारा लोकतंत्र बहुमत का लोकतंत्र है ।
इसलिए बहुमत जिस पक्ष मे होगा उस पक्ष की मान्यता से देश का कारोबार चलेगा ।
अगर बहुमत वाले पक्ष को लगता है की देश का संविधान हमे दिक्कत पैदा कर रहा है, तो संसद की मान्यता से उसे बदला भी जा सकता है ।
तो गाली गलोच से क्या होगा ?
वो बदलने की स्थिती मे है ।
अगर चाहेंगे तो बदल सकते है । कौन रोकेगा ? और कैसे ?
हमे ये सोचना चाहीए कि इस स्थिती मे उनको पहुंचाया किसने ?
कौन है इन सबका जिम्मेदार ?
अगर इमानदारी से जवाब ढुंढेंगे तो जवाब यही होगा की हम है जिम्मेवार ।
हमे वोट की ताकत मिली, लेकीन
हम कांग्रेस को जितवाते रहे,
भाजप को जितवाते रहे,
सपा को जितवाते रहे,
शिवसेना को जितवाते रहे ।
इससे धीरे धीरे हमारी ताकत कम होती गयी । सत्ता के दायरे से पूरा समाज बाहर रहा और जिन्हे लाभ मिला वह एक ऐसी विचारधारा के पास चलते गये जो संविधान को बदलना चाहती थी ।
ओबीसी भी चले गये, क्युं की काम चाहीये तो इनकॊ बात माननी होगी,
ये सोच कर ओबीसी इनके खेमे मे दाखिल हुए ।
हमारे पास कोई अक्ल नही थी ।
ना जिसे हम नेता कहे ऐसी शक्ल थी ।
अगर कोई नेता उभरा तो वह जल्द ही भडवा बन गया ।
और रहे मतदाता, वो सौ सौ रूपये मे बिक गये । अब बताओ, कौन आपकी पार्टी मे रहना पसंद करेगा ?
बाबासाहब ने जो खाना हमे परोसा था,
उसमे हमारे हाथों से हमने जहर मिलाया ।
जो चीज हमारे रक्षण के लिये दी थी,
उस संविधान को हम धीरे धीरे कमजोर बनाते चले गये ।
और अब है की गाली गलोच कर रहे है ।
क्या होगा मेरे भाई ?
जेल जाओगे और बीवी बच्चे भीख मांगेंगे । किसी को दया नही आयेगी ।
ना कोई पासवान आयेगा,
ना आठवले आयेगा मदद के लिये ।
शांती से काम लेना है ।
भागवत सिर्फ कह रहा है की इसे बदला जा सकता है ।
तो बदले ।
हम फिरसे बदल देंगे ।
सवाल ये है की ये खुले आम क्युं कह रहा है ? सरकार उसकी है ।
उसका कुत्ता एक मिनिट मे मालिक का काम करेगा ।
फिर मीडीया मे जाकर बयाण देने की जरूरत क्या है ?
रोहीत वेमुला की हत्या के बाद जनआंदोलन तेज होते जा रहा है ।
तो ईनकी कोशीश यही रहेगी की इसे दबा दिया जाये या फिर ध्यान किसी और जगह पर हटाये ।
हो सकता है इसलिये भागवत ने ये दाव खेला है ।
अगर ध्यान हट गया तो देशव्यापी बनते जा रहे जनआंदोलन को ठंडा किया जा सकता है ।
नये मुद्दे पर फिर आंदोलन खडा हो,
तब तक उन्हें सांस लेने की फुरसत मिल सकती है ।
तब तक दलित, मुस्लीम, ओबीसी की एकता को तोडने का नुस्खा हाथ लग सकता है ।
मंदीर आंदोलन का मुद्दा उठ सकता है ।
तब तक संविधान के मुद्दे पर दलितों का आंदोलन डायव्हर्ट करने का ये मामला है । भावनाओं मे आकर काम लेने का समय नही रहा ।
रोहीत वेमुला के मुद्दे पर जो आंदोलन हम चला रहे है, उसे अंजाम देकर रहेंगे । अब पीछे हटना नही।
- जय मुलनिवासी

कौन था मुसलमान???

बाबासाहेब ने जब चवदार तालाब का आंदोलन चलाया और सभा भरने के लिये बाबासाहेब को कोई हिन्दु जगह नहीं दे रहा था
तब ऐक मुसलमान ने आगे आकर अपनी जगह दी और कहा बाबासाहेब आप मेरी जगह मे अपनी सभा भर सकते हो!!!

गोलमेजी परिषद मे जब गांधी ने बाबासाहेब का विरोध किया और रात के बारा बजे गांधी ने मुसलमानो को बुलाकर कहा कि आप बाबासाहेब का विरोध करो तो मैं आपकी सभी मांगे पूरी करुंगा!!!
तब मुसलमानो ने मना कर दिया और कहा कि हम बाबासाहेब का विरोध किसी भी हाल मे नहीं करेंगे और ये बात मुसलमानो ने आकर बाबासाहेब को कह दी कि गांधी हमे आपका विरोध करने के लिये कह रहे है!!!

संविधान सभा मे जब सारे हिन्दु (गांधी, नेहरू और सरदार पटेल)ने मिलकर बाबासाहेब के लिये संविधान सभा के सारे दरवाजे और खिड़कीया भी बंध करदी थी तब पच्छिम बंगाल के मुसलमानो ने बाबासाहेब को वोट देकर चुनवाया और बाबासाहेब को संविधान सभा मे मुसलमानो ने भेजा!!!
अगर बाबासाहेब को मुसलमान वोट नहीं देते और बाबासाहेब संविधान सभा मे नहीं जाते तो आज हम कहां होते ज़रा सोचिये???

देवताओं के नाम पर पशु बली क्यों???

क्या देवताओं के नाम पर मदिरा पान या पशु बली जायज है ????????
दुनिया मैं ऐसा कोनसा देवता है जो पशु
की बली चाहता है क्योंकि ये काम तो
राक्षसों का होता है ,
ये देवता का काम तो नहीं हो सकता ,
हां ये हो सकता कि उस देवता का पुजारी
कहीं न कहीं मांस का आदी हो ओर अपनी आवश्यकताओं की पुर्ति के लिए ये सब ढोंग करता हो ,
अगर दुनिया में अच्छा इन्सान भी हो वो भी किसी जानवर को बेवजह नही मारना चाहेगा फिर देवता ऐसा क्यों चाहेगा या फिर किस देवता ने बोलकर कहा कि मुझे बकरा चढाओ
...ये सब ढोंग है..
लोग हर रोज चिल्लाते है हम हिन्दु है...मुस्लमान
हमारी गायों को काट रहे है ...
मैं समझता हूं अगर वो ऐसा करते है तो बहुत बुरा करते है
...वो चाहे गाय काटे बकरा काटे या कोई अन्य जीव ...
ये माफी के लायक नहीं है
मैं जीव हत्या का घोर विरोधी हुं
...मगर धर्म में कहीं पर पशु बली को
तरजीह नही दी गई है फिर भी कई लोग ऐसा करते है
...क्या वो माफी के लायक है...
...मेरे हिसाब से तो नहीं ...
"मुंह में राम ओर बगल में छुरी रखते है"
ये वो लोग है जो राम राम करते है ओर
जीव हत्या करते है,
इससे बड़ा धोखा क्या हो सकता हैॽ...बाकी अपने अपने विचार है !

अब देशद्रोही घोषित होने की बारी हरियाणा के जाटो की है

गुजरात में हार्दिक पटेल देशद्रोही आरोपित हो चुके है !
राजस्थान में गुर्जर लगभग ऐसा ही दंश झेल रहे है !
चूँकि देश ने तथाकथित रूप से पहला ओबीसी प्रधानमंत्री चुना है इसलिये चुन-चुन कर ओबीसी जातियो की ऐसी-तैसी करेगा !!
कुछ भी लिखने से पहले याद रखियेगा वहाँ आंदोलनकारियों को उपद्रवी मानकर देखते ही गोली मारने के आदेश है !

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