सोमवार, 4 जनवरी 2016

खुफिया एजेंसिया का खुलासा, PAK आर्मी चीफ राहील शरीफ को थी पठानकोट हमले की जानकारी!

पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बारे में एक बड़ा
खुलासा हुआ है. पता चला है कि हमले के बारे में
पाकिस्तानी सेना प्रमुख के राहील शरीफ को पहले
से जानकारी थी. भारतीय खुफिया एजेंसियों के
मुताबिक, पाकिस्तानी सेना वहां के प्रधानमंत्री
नवाज शरीफ के शांति वार्ता के प्रयासों से पूरी
तरह सहमत नहीं है.
हाल ही में हुई एक बैठक में पाकिस्तान के सेना प्रमुख
जनरल राहील शरीफ ने नवाज को कहा था कि वह
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के
लिए स्वतंत्र हैं लेकिन पाकिस्तानी सेना देश में
मौजूद आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं करेगी. ये संगठन भारत के खिलाफ
मुहिम छेड़े हुए हैं.
PAK सेना कर रही है आतंकियों का समर्थन?
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, आईएसआई दिसंबर
2014 से आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मत की ताकत
बढ़ाने में जुटी है. बीते कुछ सालों में जैश-ए-मुहम्मद के
कुछ लोग लश्कर-ए-जांघवी नाम के आतंकी संगठन से
जुड़ गए जो कि पाकिस्तान को ही निशाना बना
रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, जैश-ए-मुहम्मद को
पाकिस्तानी सेना का समर्थन मिलने का सीधा
मतलब से है कि भारत के खिलाफ आतंकवाद जारी
रखना और पाकिस्तान के अंदर हो रहे हमलों को
रोकना.
पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बना है ये संगठन?
लश्कर-ए-जांघवी एक सुन्नी बहुल और जिहादी
आतंकी संगठन है जो पाकिस्तान में सक्रिय है. इस
संगठन ने पाकिस्तान में शिया मुस्लिमों को
निशाना बनाते हुए कई बड़े हमलों को अंजाम दिया
है जिनमें साल 2013 में 200 शियाओं की हत्या का
मामला भी शामिल है. इसके अलावा 1998 में
मोमिनपुरा कब्रिस्तान में हुए हमले के अलावा 2009
में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम को निशाना बनाकर
किए गए हमले में भी इस आतंकी संगठन का नाम
सामने आया था. बीते सालों में यह संगठन
पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरा है.
आतंकियों को ISI से मिल रही है ट्रेनिंग?
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि सीमा पार से
आने वाले आतंकियों को आईएसआई से ट्रेनिंग मिलती
है और उन्हें 26/11 जैसे हमलों में कमांडो ऑपरेशन से
लड़ने के लिए तैयार किया जाता है.
पठानकोट हमले के बाद भारत सरकार ने अब तक
पाकिस्तान विदेश सचिव स्तर की बातचीत जारी
रखने को लेकर रुख पूरी तरह साफ नहीं किया है. यह
बैठक 15 जनवरी को इस्लामाबाद में होनी है.
दोनों देशों के बीच बातचीत पर संकट!
भारत सरकार ने रविवार को पाकिस्तान को उसकी
सीमा से हमले की साजिश रचने को लेकर कई सबूत
सौंपे हैं. भारत सरकार अब इस ओर पाकिस्तान की
प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है. सरकारी सूत्रों
से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार अब
पहले यह देखना चाहती है कि इस्लामाबाद
आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ
कार्रवाई करने के संकल्प को प्रदर्शित करता है या
नहीं. नरेंद्र मोदी की सरकार दोनों मुल्कों के बीच
फिर से बातचीत शुरू होने के बाद इसे पड़ोसी मुल्क
की पहली बड़ी परीक्षा मान रही है.
भारत में सबूत के तौर पर सौंपे फोन रिकॉर्ड्स
गौरतलब है कि खुफिया एजेंसियों ने पठानकोट
एयरफोर्स बेस पर हमला करने वाले आतंकियों की
फोन कॉल्स को इंटरसेप्ट किया था, जिसमें
आतंकियों ने सीमा पार पाकिस्तान में अपने
परिजनों और अपने आकाओं से बात की थी.
पाकिस्तान में उनके आकाओं के मोबाइल नंबर और
उनके सीमा पार से आने के सबूत पाकिस्तान के साथ
साझा किए गए हैं. इसके साथ ही आतंकियों के
जीपीएस कॉर्डिनेट्स, कॉल लॉग्स और
ट्रांसक्रिप्टस भी पाकिस्तान को सौंपे गए हैं

'चाय के बदले 7 जवान शहीद हो गए, कुछ तो सबक सीख लें मोदी'

केंद्र में सरकार की सहयोगी शिवसेना ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री को निशाने पर लिया है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र
सामना में पठानकोट हमले का जिक्र करते हुए कहा
कि पाकिस्तान ने छह-सात आतंकवादियों को
भेजकर हिंदुस्तान की इज्जत तार-तार कर दी है.
शिवसेना ने कहा, 'यह मामला सिर्फ चिंता करने
जैसा नहीं है बल्कि जिस मजबूत और बड़ी फौजी
ताकत का ढोल हम बजाते रहते हैं, उस ढोल को
फोड़ने वाला यह मामला है. सिर्फ कुछ
आतंकवादियों को भेजकर पाकिस्तान ने हमारे
खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है.'
सत्ता में बैठे लोग कितने गंभीर?
सामना में छपे लेख में कहा गया है कि देश की सीमा
सुरक्षित नहीं है और देश की आंतरिक सुरक्षा भी
साफ धराशायी हो गई है. पठानकोट हमला इस बात
का सबूत है. लेख में सवाल उठाया गया है कि क्या
देश की सुरक्षा का मामला होने के बाद भी सत्ता
में बैठे लोग इसके लिए गंभीर हैं?
'हमले से सबक लें मोदी'
शिवसेना ने कहा, 'हजारों सैनिक, टैंक, पंजाब की
पुलिस पठानकोट में हैं लेकिन फिर भी सिर्फ 6-7
आतंकवादियों ने फौज की ताकत को चुनौती दी है.
देश के रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री समेत सभी
जिम्मेदार लोग इससे सबक लें और सुधार करें.
प्रधानमंत्री मोदी 8 दिन पहले खुद लाहौर जाकर
पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ की
मेहमाननवाजी का लाभ लेकर लौटे हैं.'
प्रधानमंत्री के लाहौर दौरे को लेकर शिवसेना ने
चेतावनी जारी करते हुए कहा था, 'उस पर
(पाकिस्तान) विश्वास मत करो, धोखा होगा.'
पार्टी ने अब सामना में कहा है- 'देखो, भयंकर
धोखा हो गया. मोदी की लौटते ही जैश-ए-
मोहम्मद के आंतकवादियों ने हिंदुस्तानी एयरबेस पर
हमला कर दिया. इस हमले पर पाकिस्तान का निषेध
करना किसी ढोंग से कम नहीं है.'
'मसूद अजहर को मोदी के हवाले करे PAK'
शिवसेना ने पाकिस्तान को चेताते हुए कहा कि
हिंदुस्तान से अपना रिश्ता सचमुच सुधारना है तो
पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर
को हिंदुस्तान के हवाले करे. शिवसेना ने कहा,
'नवाज शरीफ को चाहिए कि उस मसूद अजहर को
मोदी के हवाले करे.' साथ ही यह सवाल भी उठाया
कि प्रधानमंत्री मोदी के अचानक लाहौर दौर पर
'क्या कूटनीति है' कहने वाली दुनिया पठानकोट
हमले के बाद जुबान बंद किए हुए है.
सामना में यह भी कहा गया है, 'प्रधानमंत्री मोदी
ने दुनिया को एक करने की कोशिश शुरू की है. अब
अपने देश की ओर ध्यान देने का समय आ गया है.
पाकिस्तान के आतंकवादी जब हमारे हवाई बेस पर
घुसे उस समय मदद के लिए पूरी दुनिया नहीं दौड़ी.
इतने बडे पैमाने पर जन हानि तो प्रत्यक्ष युद्ध से भी
नहीं होती, जितनी कसाब जैसे कुछ आतंकवादियों
से होती है.'
'हमें वही मोदी चाहिए'
पीएम मोदी की बात का जिक्र करते हुए लेख में
कहा गया है कि जब मोदी प्रधानमंत्री नहीं थे तब
उन्होंने कहा था कि बंदूक की गोली की गूंज में
वार्ता कैसी हो सकती है? हमें वही मोदी चाहिए.'
प्रधानमंत्री के लाहौर दौरे पर सवाल उठाते हुए
शिवसेना ने कहा, 'चाय के बदले में पठानकोट में 7
जवान शहीद हो गए. यह वीर क्यों शहीद हुए? देश के
सामने सवाल है. यह शहादत क्यों हुई? जवान शहीद
हो रहे है लेकिन देश लड़ रहा है क्या? जवाब दो.'

भारत ने पाकिस्तान को दिया आतंकियों का 'सबूत', पाक करेगा जाँच

पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हमला करने वाले
आतंकियों के फोन कॉल रेकॉर्ड, पाकिस्तान
में उनके आकाओं के मोबाइल नंबर और उनके
सीमा पार से आने के सबूत भारत ने
पाकिस्तान को भेज दिए हैं। पाकिस्तान ने
भी सबूत मिलने की तस्दीक की है।
भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने
पाकिस्तान के एनएसए नसीर खान को कुछ
सबूत दिए और उनसे कहा है कि इस मामले पर
पाकिस्तान को ठोस कार्रवाई करनी
चाहिए। भारत से जानकारी मिलने के बाद
पाकिस्तान ने एक बयान में कहा है कि उसने
काम भी करना शुरू कर दिया है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में
कहा, 'पाकिस्तान सरकार भारत से लगातार
संपर्क में है और वहां से दी गई लीड्स पर
छानबीन भी कर रही है।'
बयान में यह भी कहा गया है कि एक ही
इलाके में रहते हुए और एक ही इतिहास को
साझा करने वाले दोनों देशों को बातचीत
की प्रक्रिया पर कायम रहना चाहिए। इसमें
यह भी कहा गया है कि आतंकवाद का
खात्मा करने के लिए दोनों देशों को साथ
मिलकर काम करना चाहिए।
भारत सरकार के अधिकारियों ने सोमवार
शाम को ही बताया था कि जब भी दोनों
पक्षों की बातचीत होगी, चाहे विदेश सचिव
स्तर की हो या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
स्तर पर, आतंकियों से पाकिस्तान के तार जुड़े
होने के सभी सबूत कार्रवाई के लिए दिए
जाएंगे।

गौरतलब है कि आतंकियों ने पंजाब के पुलिस
एसपी सलविंदर सिंह की कार पर कब्जा करने
के बाद उनके, उनके दोस्त राजेश वर्मा और
सिंह के रसोइया के कम से कम चार मोबाइल
फोन छीन लिए थे और इनमें से कम से कम दो
का इस्तेमाल पाकिस्तान में उनके आकाओं से
बातचीत करने के लिए किया गया था।
घुसपैठियों ने अपने आकाओं से बात करने के
लिए दो पाकिस्तानी सिम कार्ड्स का भी
इस्तेमाल किया। उनके आकाओं के
पाकिस्तानी पंजाब के बहावलपुर में होने की
आशंका है।

पठानकोट हमलावरों के पाकिस्तानी कनेक्शन का मिला सबूत

पठानकोट एयरबेस पर हमले के लिए जिम्मेदार
6 आतंकवादियों में से एक ने पाकिस्तान के
'एपकॉट' ब्रैंड के जूते पहन रखे थे। जांचकर्ताओं
का दावा है कि आतंकवादी पाकिस्तान से
आए थे और वे हथियारों और तमाम अन्य
उपकरणों से लैस थे। जूते का यह ब्रैंड
पाकिस्तान में काफी प्रचलित है और सीमा
के पास आसानी से मिलता है। इस कंपनी को
पहले ईस्ट पाकिस्तान क्रोम टैनरी के नाम से
जाना जाता था।
जांच टीम अब वैसी तमाम जानकारियों को
इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है, जिसके
तहत चार आतंकवादी बॉर्डर से पठानकोट पहुंचे
और इस दौरान उन्होंने एक टैक्सी ड्राइवर की
हत्या की और गुरदासपुर के एसपी को अगवा
किया। अधिकारियों ने यह भी बताया कि
जूलर राजेश वर्मा से पूछताछ में पता चला कि
सोमवार को मारे गए दो आतंकवादी चार
अन्य आतंकवादियों के पठानकोट पहुंचने से
पहले ही एयरबेस में घुस गए थे।

पढ़ें: भारत ने दिया पाकिस्तान का सबूत,
करेगा जांच

एक सीनियर अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं
किए जाने की शर्त पर बताया, 'वर्मा से
पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि
पाकिस्तान में बैठे अपने सरगना से बातचीत के
दौरान एक आतंकवादी को बताया गया कि
दो आतंकवादी पहले से ही एयरबेस में घुसे हैं और
उन्हें सिर्फ उनका साथ देने की जरूरत है।' जांच
टीम के मुताबिक, एक जनवरी को तकरीबन
सुबह 3 बजे चार संदिग्धों के एयरबेस में घुसने की
थर्मल इमेज भी सामने आई है।
एनएसजी के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें
ऐसी बैटरियां मिली हैं, जो मेड इन
पाकिस्तान जान पड़ती हैं और इंप्रोवाइज्ड
एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बनाने के
लिए इन बैटरियों को यहां लाया गया था।
सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से शुरुआती पड़ताल
में पता चला है कि हर आतंकवादी के पास
तकरीबन 20-25 किलो का विस्फोटक था।
एक सीनियर सरकारी अधिकारी के
मुताबिक, एयरबेस के अंदर घुसने वाले सभी 6
आतंकवादी पूरी तरह से प्रशिक्षित थे और
उनके पास हथियारों और विस्फोटकों का
जखीरा था। उन्होंने कहा कि इन
विस्फोटकों को निष्क्रिय और खत्म करने में
एनएसजी को दिनभर लग गया। इंटेलिजेंस
सूत्रों का यह भी दावा है कि आतंकवादियों
ने पंजाब सीमा के जरिये 31 दिसंबर की रात
को घुसपैठ की थी।
एक सीनियर अधिकारी ने बताया, '31
दिसंबर को जो चार आतंकवादी आए थे, वे
सबसे पहले मसरूर बड़ा भाई गांव में रुके, जो
अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज कुछ किलोमीटर
की दूरी पर है। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-
तैयबा इस गांव में ट्रेनिंग कैंप चलाता है।' इस
हमले की जांच की जिम्मेदारी संभालने को
तैयार एनआईए ने कहा कि इस हमले में स्थानीय
लोगों के समर्थन और ड्रग नेटवर्क के तार होने
की संभावना से इनकार नहीं किया जा
सकता है। अधिकारियों के मुताबिक, गृह
मंत्रालय टैक्सी ड्राइवर की हत्या, एसपी को
अगवा किए जाने का मामला और एयरबेस
हमले की जांच एनआईए को सौंपने जा रही है।

पाकिस्तान के एयरबेस पर हमले की मॉक ड्रिल करके आए थे आतंकी

भारतीय वायु सेना के पठानकोट बेस पर हमला
करने वाले छह आतंकियों ने पाकिस्तान के
रावलपिंडी में नूर खान एयरफोर्स बेस पर
इसकी ट्रेनिंग ली थी।
शीर्ष खुफिया अधिकारियों के मुताबिक इन
आतंकियों ने नूर खान एयरबेस में कम से कम चार बार मॉक
ऑपरेशन किया था। इसके अलावा पाकिस्तान के पंजाब में
बहवालपुर में भी इनकी ट्रेनिंग
हुई थी।
माना जा रहा है कि चार आतंकियों की
बहवालपुर में ट्रेनिंग हुई थी।
बाकी दो आतंकियों की नूर खान
एयरबेस में कड़ी ट्रेनिंग हुई थी।
इन्होंने हमले की सफलता सुनिश्चित करने
के लिए चार मॉक ड्रिल को भी अंजाम दिया था।
इस मॉक ड्रिल में आतंकियों ने चेकिंग पॉइंट्स को पार करने
से लेकर पूरे एयरबेस को अपने कब्जे में लेने
की ट्रेनिंग ली थी।
इसके अलावा हथियार चलाने और हाथों से लड़ने का
भी प्रशिक्षण दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक
इन्हें किसी भी हालत में
गिरफ्तार होने के बजाए खुद को उड़ा लेने के सख्त निर्देश
दिए गए थे। एक शीर्ष अधिकारी
ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा,
'आतंकियों के हमले से पता चलता है कि
उनकी सैनिकों की तरह ट्रेनिंग
हुई थी। अभी यह पता
नहीं चल सका है कि वह
पाकिस्तानी सेना या एयरफोर्स के पूर्व सदस्य
तो नहीं थे।'
बीएसएफ के पूर्व डायरेक्टर जनरल ईएन
राममोहन ने कहा है, 'मेरा मानना है कि मोदी
की पाक यात्रा से आईएसआई खुश
नहीं थी। इस हमले के जरिए
शायद दोनों पीएम को बताया गया है कि वे दोनों
देशों के रिश्ते के प्रोटोकॉल के उल्लंघन की
कोशिश न करें। हो सकता है कि पठानकोट हमला पहले
से उनकी लिस्ट में रहा हो, पर
पीएम के लाहौर दौरे के बाद इसे आगे खिसका
दिया हो।' सुरक्षा विशेषज्ञों को शक है कि पठानकोट
एयरबेस में मिले भारी हथियार छह आतंकियों
के एयरबेस में आने से पहले ही वहां
पहुंचा दिए गए हों। एक वरिष्ठ सरकारी
अधिकारी का कहना है, 'छह लोग
इतनी भारी संख्या में हथियार
नहीं ला सकते हैं। हो सकता है कि
ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही हथियार
वहां पहुंचा दिए गए हों।' आतंकियों के लाए गए हथियारों
से पता चलता है कि उन्हें मॉडिफाई भी किया
गया था। एके-47 को बदलकर मोर्टार लॉन्चर या अंडर-
बैरल ग्रेनेड लॉन्चर बनाने की कोशिश
की गई थी। हालांकि, इससे वे
हथियार प्रभावी नहीं रह गए
थे।
मुंबई हमले से छह समानताएं विशेषज्ञ इस हमले
और मुंबई हमले में काफी समानताएं देख रहे
हैं। मुंबई में भी एक आतंकी को
72 घंटों बाद खत्म किया जा सका था। पठानकोट में
भी 68 घंटे बाद तक आतंकी
मोर्चा संभाले हुए थे। दूसरी समानता यह है
कि मुंबई की तरह पठानकोट के हमलावरों ने
आने के लिए पानी के रास्ते यानी
पंजाब की नहरों-नदी का
इस्तेमाल किया हो। तीसरी समानता
यह है कि दोनों जगह के हमलावरों ने गाड़ी
हाइजैक कर ड्राइवरों को मारा और अपने गंतव्य तक
पहुंचे। चौथी समानता यह है कि दोनों
हमलावरों की पाकिस्तान में ट्रेनिंग हुई
थी। पांचवीं समानता यह है कि
दोनों हमलावर अपने साथ भारी संख्या में
हथियार लेकर आए थे। छठी समानता यह
है कि दोनों हमलों के बारे में पहले से खुफिया
जानकारी हासिल थी, पर इन्हें
रोका नहीं जा सका।

आतंकवादीयों को घर में घुसकर मारो : अक्षय कूमार

पठानकोट हमले के बाद आम लोगों के बाद अब फिल्‍मी सितारों का भी गुस्‍सा भड़कने लगा है. बॉलीवुड एक्‍टर भारत को पठानकोट हमले का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए. राजधानी लखनऊ में सीनियर बैडमिन्टन लीग का प्रमोशन करने पहुंचे अक्षय कुमार ने कहा, 'वक्त आ गया है जब ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए. भारत को अातंकियों को उनके घर में घुसकर मारना चाहिए.' अक्षय ने कहा कि देश में क्रिकेट के अलावा भी दूसरे खेलों को अहमियत मिलनी चाहिए और बैडमिंटन उनका पसंदीदा खेल है. उन्‍होंने बताया कि 22 जनवरी को रिलीज होने वाली उनकी फिल्म इराक वार के दौरान कुवैत में हुए अब तक के सबसे बड़े एवैकुएशन पर आधारित है. फिल्म 'एयरलिफ्ट' में दिखाया गया है कि इराक वॉर के दौरान किस तरह एक लाख से भी ज्यादा लोगों को सुरक्षित एयरलिफ्ट किया गया था. अक्षय की इस प्रेस कांफ्रेंस में उनके साथ बैडमिंटन एकेडमी के अध्यक्ष अखिलेश दास और फिल्म एयरलिफ्ट में उनकी को-स्टार निमृत कौर भी मौजूद थीं

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साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना,

पठानकोट विशेष:

जब वो युद्ध में घायल हो जाता है तो अपने साथी से बोलता है :
 
“साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना; 
यदि हाल मेरी माता पूछे तो, जलता दीप बुझा देना! 
इतने पर भी न समझे तो, दो आंसू तुम छलका देना!!"

“साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना; 
यदि हाल मेरी बहना पूछे तो, सूनी कलाई दिखला देना!
इतने पर भी न समझे तो, राखी तोड़ देखा देना !!"

“साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना; 
यदि हाल मेरी पत्नी पूछे तो, मस्तक तुम झुका लेना! 
इतने पर भी न समझे तो, मांग का सिन्दूर मिटा देना!!"

“साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना; 
यदि हाल मेरे पापा पूछे तो, हाथो को सहला देना! 
इतने पर भी न समझे तो, लाठी तोड़ दिखा देना!!"

“साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना; 
यदि हाल मेरा बेटा पूछे तो, सर उसका तुम सहला देना!
इतने पर भी ना समझे तो, सीने से उसको लगा लेना!!"

“साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना; 
यदि हाल मेरा भाई पूछे तो, खाली राह दिखा देना! 
इतने पर भी ना समझे तो, सैनिक धर्म बता देना!!"



बस्सी बोले- कानून में इजाजत हो तो बलात्कारियों को मार देते गोली

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस
बस्सी ने सोमवार को बलात्कारियों से जुड़ा एक बड़ा बयान
दे डाला है. उन्होंने कहा कि अगर देश का कानून इजाजत दे तो
दिल्ली पुलिस बलात्कारियों को गोली मारने में
भी नहीं हिचकेगी.
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि दिल्ली
पुलिस हर वक्त महिलाओं की सुरक्षा के लिए तत्पर
है. बस्सी ने कहा, 'हमें दूसरों की
तरह घड़ियाली आंसू बहाना नहीं आता,
लेकिन हम हर वक्त महिलाओं की सुरक्षा के लिए
तैनात हैं.'
'हमें ड्रामेबाजी की फिक्र
नहीं'
दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए बस्सी
ने कहा कि वह युवा पुलिस अधिकारियों से रिक्वेस्ट करते हैं कि वे
आगे बढ़कर महिला सुरक्षा के मुद्दों को देखें और अमल पर लाएं
क्योंकि उन्हें सरकार से किसी तरह की
मदद की अपेक्षा नहीं है और ना
ही वो ड्रामेबाजी की फिक्र
करते. उन्होंने कहा, 'यह दिल्ली लोगों का सौभाग्य
है कि पुलिस दिल्ली सरकार के अधीन
नहीं है.'
ऑनलाइन मिलेगी जानकारी
बीएस बस्सी ने कहा कि पुलिस को और
स्मार्ट बनाने के उद्देश्य से पुलिस क्लीयरेंस
सर्टिफिकेट ऑनलाइन मिलेगा. साथ ही पुलिस रिकॉर्ड के
लिए स्मार्ट एप और ट्रैफिक प्रहरी एप
भी लॉन्च किया. लड़कियों की मदद के लिए
हिम्मत एप लॉन्च किया गया. बस्सी ने बताया कि अब
किसी भी शिकायत की
डीटेल ऑनलाइन मिलेगी और
उसकी जांच की डीटेल
भी ऑनलाइन देखी जा सकेगी.
'अपराध को जड़ से खत्म करना है मकसद'
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर
उन्होंने कहा कि 16 जनवरी 2015 को महिला
टैक्सी की शुरुआत की गई,
ताकि महिलाएं ज्यादा सुरक्षित महसूस कर सकें. अपराधियों के
पीछे भागने से अच्छा है कि अपराध को जड़ से खत्म
किया जाए.

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