सोमवार, 2 मई 2016

हर चमार महापंडित है सूर्यवंशी हैं

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आप सभी साथी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे

हजारो वर्षो पहले एशिया महाद्वीप में एक राजवंश रहा करता था जिसे हम इक्ष्वाकु राजवंश या सूर्यवंशी क्षत्रिय कहते थे ।

इस इक्ष्वाकु राजवंश से सब घबराते थे इसी वंश में भगवान गौतम बुद्ध , अशोक सम्राट , चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे महान सम्राट पैदा हुए थे ।

लेकिन आज कल कुछ हिंदूवादी इस परिवार का हिन्दुकरण करना चाहते हैं। जब की सच्चाई ये है की इक्ष्वाकु राजवंश चमारो का वंश है। चमार ही सूर्यवंशी क्षत्रिय है । और बुद्ध के वंशज हैं आइये प्रमाणित करे कैसे ।

1- बौद्ध लोग जीव हिंसा से विरत रहते थे लेकिन मांस खाते थे अर्थात वो किसी भी जीव को काट कर कुर्बानी दे कर या बली देकर मांस नही खाते थे । बल्कि भारतीय बुद्धिस्ट सिर्फ मरे हुए जानवर का माँस खाते थे जिस में की जीव होता ही नही था । इस प्रकार जीव हत्या नही करते थे । और पुरे भारत में ऐसा करने वाली सिर्फ एक जाती थी वो है चमार आप बुजुर्गो से पता कर सकते हैं ।

2- पुरे भारत में जनश्रुतियो और लोक कथाओ में चमार को ब्राह्मण बड़ा भाई बताता है क्यों की ब्राह्मण हिन्दू धर्म का मुखिया है तो चमार बौद्ध धर्म का मुखिया है इसीलिए चमारो की शादी में पंडित नही बुलाया जाता ।

3- रामायण में और कुमारिल भट्ट की किताबो में बुद्ध को शुद्र लिखा गया है और रिअल में भी चमार को ही मुख्य शुद्र माना गया है ।अन्य जातिया कभी निशाने पर नही रही।

4- समस्त जातियों में सिर्फ चमार जाती ही ऐसी है जो गरीब होने के बावजूद अपनी आन - शान पे मर मिटती है और इस जाती में आज भी राजशी गुण झलकते हैं ।

5-चमारो का घर गाँव के बाहर अक्सर होता है क्यों की चमार गाँव के राजा होते थे इनको ही गाँवों में डीह बाबा कहा जाता है।

6- चमार जाती से बौद्ध धर्म छिनने के बाद उसे धर्म विहीन कर दिया गया था और अछूत इस लिए बना दिया गया की यह जाती फिर कही से बौद्ध धम्म न खड़ा कर पाए ।

7- चमार जाती की शिक्षा पर रोक इसी लिए लगाई गई थी की वह अनपढ़ रहेगा तो खुद को चमार अछूत समझेगा कभी यह नही जान पायेगा की चमार एक राजशाही खून है । इस लिए चमारों की शिक्षा पर रोक लगाई गई थी की चमार शिक्षा पायेगा तो फिर से बौद्ध धम्म खड़ा कर देगा ।

8 - चमार खूद को इसीलिए चमार कहलाना पसंद नही करते क्यों की चमार इन का नाम है ही नही इनका नाम तो सूर्यवंशी क्षत्रिय था । इसीलिए चमार आज भी खुद को चमार कहने पर भडक जाते हैं । और लड़ाईया हो जाती है ।

9- ब्राह्मणो में जीस तरह शुक्ल शर्मा आदि समर्थक जातियाँ हैं चमारो की भी समर्थक जातियाँ थी जैसे की - कोरी चमार , नोनिया चमार , तांती चमार , दुसाध चमार , पासी चमार आदि लेकिन चमारो की सत्ता विलुप्त होने के बाद इन सब में फुट पड़ती गई ।

10- चन्द्रगुप्त मौर्य भी चमार थे लेकिन गोरे और सुन्दर थे जब की चाणक्य ब्राह्मण था और काला इसी लिए कहावत बन गई की -

"काला बाभन गोरा चमार
दुई जात से सदा होशियार !"

11- जो भी जातिया आर्य नही थी वो चमार कहलाती थी और ऐसा आज भी है चाहे मौर्या हो या नोनिया या दुशाध या अन्य शुद्र ब्रह्मण सब को चमार ही कहता है।

ये सारी बाते जो ऊपर लिखी गई हैं ये वर्मा और तिब्बत के बौद्ध ग्रंथि में इसका प्रमाण है और अधिक जानकारी हेतु आप बाबा साहब की लिखी किताब WHO WAS SHUDRAS (शुद्र कौन थे ?) से
पढ़ सकते हैं।

अत: हर चमार से अनुरोध है की इस मैसेज को किसी अगले चमार बौद्ध भाई के पास जरुर भेजे ताकि उसको भी यह पता चला की उस का खून भेड़-बकरियों का नही है बल्कि हर चमार महापंडित है सूर्यवंशी है ।

जय भीम । जय भारत ।।

ખૂબ સરસ છે એટલે તમને મોકલું છું. ધર્મ અને વીજ્ઞાન

અંધશ્રદ્ધા છે આંધળી, વહેમને વંટોળે વહે;
અતીશ્રદ્ધા છે અવળચંડી, વેવલાપણાંનાં વાવેતર કરે.

યુરોપે અટપટાં યંત્રો શોધી ફીટ કર્યાં ફૅક્ટરીમાં;
આપણે સીદ્ધીયંત્રો બનાવી, ફીટ કર્યાં ફોટામાં.

પશ્ચીમે ઉપગ્રહ બનાવી, ગોઠવી દીધા અંતરીક્ષમાં;
આપણે ગ્રહોના નંગ બનાવી, મઢી દીધા અંગુઠીમાં.

જાપાન વીજાણુ યંત્રો થકી, સમૃદ્ધ બન્યું જગમાં;
આપણે વૈભવલક્ષ્મીનાં વ્રતો કરી, ગરીબી રાખી ઘરમાં.

અમેરીકા વૈજ્ઞાનીક અભીગમથી બળવાન બન્યો વીશ્વમાં;
આપણે ધાર્મીક કર્મકાંડો થકી, કંગાળ બન્યા દેશમાં.

પશ્ચીમે પરીશ્રમ થકી, સ્વર્ગ ઉતાર્યું આ લોકમાં;
આપણે પુજાપાઠ–ભક્તી કરી, સ્વર્ગ રાખ્યું પરલોકમાં.

ઍડવર્ડ જેનરે રસી શોધી, શીતળા નાબુદ કર્યા જગમાં;
આપણે શીતળાનાં મંદીર બાંધી, મુર્ખ ઠર્યા આખા જગમાં.

પર્યાવરણ–પ્રદુષણથી જયારે જગત આખું છે ચીંતામાં;
આપણે વૃક્ષો જંગલો કાપી, લાકડાં ખડક્યાં ચીતામાં..

વાસ્તુશાસ્ત્રનો દંભ ને વળગાડ, લોકોને પીડે આ દેશમાં;
ફાલતુશાસ્ત્ર છે એ, છેતરાશો નહીં, ઠગનારા ઘણા છે આ દેશમાં.

સાયંટીફીકલી બ્લડ ચૅક કરી, ઍંગેજમેન્ટ કરે પશ્ચીમમાં,
સંતાનોને ફસાવી જન્મકુંડળીમાં, લગ્નકુંડાળાં થાય આ દેશમાં.

લસણ–ડુંગળી–બટાકા ખાવાથી પાપ લાગે આ દેશમાં,
આખી ને આખી બેન્ક ખાવા છતાં પાપ ન લાગે આ દેશમાં.

Jay Bhim
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किसने विश्व को शिक्षा दी??

प्राचीन कालमें भारत विश्वगुरु था। विश्वगुरु बोले तो... ? जो विश्व को शिक्षा देता है, वो.! तो किसने विश्व को शिक्षाये दी ? किस गुरू की प्रतिमाये विश्वभरमे स्थापित की गयी ? किसकी शिक्षा पुरे विश्व में अनुदित हुयी ? विश्वभरमे शिक्षा देने के लिए किन किन विद्वानोंको भारत से आमंत्रित किया गया ? कुछ नाम सेम्पल के लिए -गुणवर्मन, गुणभद्र, प्रग्नारुचि, उपशुन्य, ज्ञानभद्र, बुद्धभद्र, कमलशील, ज्ञानप्रभ, चित्रगुप्त जैसे हजारो बौद्ध विद्वान यूनान, तुर्की, और मध्य एशिया से लेकर पुरे पूर्वी एशिया के देशो मे शिक्षा देने के लिये बुलाये गए। मजेदार बात यह ही इनमे एक भी चोटी धारी प्रकांड पण्डित नही है...। जाहिर है वे सारे के सारे बौद्ध थे। फिर भी आज, कुछ लोगो को मेरिट की माला जपते देखता हूँ तो बड़ा मजा आता है...!

क्यों जाते हो काम धन्धा करने ।

जो लोग यह मानते हैं कि ईश्वर की पूजा-पाठ करने से शान्ति मिलती है, धनदौलत मिलती है और बिगङे काम बन जाते हैं ।  मेरा उन अन्धभक्तों से निवेदन है कि जब उनके दस बीस मिनट की पूजा पाठ करने से ही सारे कार्य सफल होजाते है, शांति मिलती है तो पूजा के टाइम को दुगना , तिगुना क्यों नहीं कर देते, ताकि आपको दुगना तिगुना लाभ , धनदौलत व शान्ति मिल सके । मैं  तो सलाह दूंगा कि आप लोग अपना कामधन्धा व नौकरी छोङकर पूरे दिन कम से कम 8 घन्टे सुबह से शाम तक पूजा-पाठ कीजिये । ऐसा करने से भगवान जल्दी खुश होगा और आपको शान्ति,  तरक्की व धनदौलत घर बैठे ही मिल जायेगी ।   **** **** ****   भगवान से पंगा लेने वाले नास्तिकों को तो मेहनत करके ही खाना पङेगा । लेकिन आस्तिकों आप क्यों मूर्ख बन रहे हो । क्यों जाते हो नौकरी या मजदूरी करने इतनी ठन्ड में ।  **सभी आस्तिक  अपने घरों में  बैठ कर फुल टाइम पूजा-पाठ. करेंगें तो सर्दी भी कुछ हो जायेगी  ।  जय भीम जय मूल निवासी

तो फिर दिन भर घर में बैठकर ॐॐॐॐॐ का जाप करते रहिये, क्यों जाते हो काम धन्धा करने ।

बच्चे पैदा करने के अजीबो गरीब तरीके

जानिए बच्चों को पैदा करवाने की अजीबोगरीब Technology,  जो संसार में किसी देश में नहीं पायी जाती

ब्रह्मा ने ब्राह्मण को अपने मुँह से पैदा किया
छत्रिय को भुजाओ से
वैश्य को जाँघो से और
शुद्र को अपने पैरों से

राम लक्षमण भरत शत्रुघ्न उनकी माताओ के द्वारा खीर खाने से पैदा हुए

राजा जनक का एक नग्न स्त्री को देखकर वीर्य टपक गया जो धरती में गिरा अगले दिन सीता एक बलीहारे के खेत में पायी गयी

हनुमान के पसीने से एक मादा मगरमच्छ pregnant हो गयी और उसने मगरध्वज को जनम दिया

हनुमान की को पवन ने हनुमान की माता अंजनी को गर्भवती किया हनुमान हवा में पैदा हो गए

कमल से ब्रह्मा पैदा हुए
फिर ब्रह्मा ने अपनी पार्शव ( पसलिया ) रगड़ी तो दाई पसलियों से विष्णु और बाई से शिव पैदा किया

इसी कड़ी में शिव ने अपने माथे का पसीना पोछकर जमीन की तरफ झटका तो विष्णु और अपनी जाँघ रगड़ी तो ब्रह्मा पैदा हुए

पार्वती ने मिट्टी से गणेश की निर्माण किया
विष्णु की नाक से सूअर का जन्म हुआ
पांडवो की माता जंगल में गयी तो पाँच पांडवो का जन्म हुआ

असुरों के अतिक्रमण की वजह से त्रिदेवों ब्रह्मा विष्णु महेश की भौहे तन गयी और तीनो देवों के मुख से एक तेज निकला जो एक हो गया और वैष्णवी (दुर्गा ) का जन्म हुआ ???

आखिर ये है क्या ? ये क्या संस्कृति है ?? ऐसी गप्प टल्लों को क्यों थोपा गया ??
मकसद साफ था केवल इन गप्पों को लिखने वाला श्रेष्ठ था बाकि सब मानसिक गुलाम।

लेकिन अब तो बाबा साहेब की ऐसी अनुकम्पा हुई है कि गप्पी बेकार है बाकि सभी आज़ाद हैं।

" "जागो बहुजन जागो" जिन पाखंडियों की पाखंडी व्यवस्था ने तुम्हें सदियों तक जानवर बना रखा,
धिक्कार है तुम पर अगर ऐसी गंदी व्यवस्था को आज भी मान रहे हो तो।पढ़े लिखे होने का परिचय दीजिये ।

पाखंड का खंडन

सरस्वती को पूजा भारत ने,
पढ़ा - लिखा जापान हुआ।।
लक्ष्मी पूजन किया भारत ने,
अमेरिका क्यों धनवान हुआ।।
विश्वकर्मा को पूजा भारत ने,
चाइना का उन्नत विज्ञान हुआ।।
यहाँ के देव पशुओं पे सवार हैं,
अमेरिका में वायुयान हुआ।।
ज्योतिषी बताए रुष्ट देवता,
जो पल भर में शैतान हुआ।।
बली मांग रहे देवी - देवता,
कत्लगाह धर्म स्थान हुआ।।
हाथ हथियार उठा रहे देवता,
अमन का बलिदान हुआ।।
धर्म के नाम पर आडंबर हैं,
प्रताड़ित गरीब इंसान हुआ।।
स्वामी अरबों की संपति का,
देवता कितना धनवान हुआ।।
सोना - चांदी चढ रहा निरंतर,
लोकहित का नुकसान हुआ।।
सिल्ला बेचैन किया पाखंड ने,
जो रूढ़िवाद पर हैरान हुआ।।
नमो बुद्धाय

गर्व से कहेते की हम हिंदू हैं, क्योंकि??

1- सती प्रथा सिर्फ़ हमारे यहाँ होती थी, बच्चे चाहे भीख माँगे ये कोठे पर पलें, पर पत्नी को पति के साथ ही जलना होता था I
2- जन्म से छोटा बड़ा सिर्फ़ हिंदू धर्म मे तय होता है I
3- आप पढ़ेंगे या नाली साफ करेंगे, ये भी जन्म से तय होता आया I
4- आप इज़्ज़तदार हैं या बीज़्ज़ती बर्दाश्त करने की मशीन, ये भी जन्म से हिंदू तय करता है I
5- आप क्या करेंगे, ये भी हिंदू धर्म जन्म से तय कर देता है I
6- अगर आप पुजारी हैं तो मज़े ही मज़े, दलितों की कन्याओं को पसंद करके उन्हे मंदिर मे देवदासी के नाम पर रखकर उनका यौन शोषण हिंदू के अलावा कौन कर सकता है?
7- दहेज जैसा महान कार्य हमारे धर्म मे बड़ी सादगी से होता है I
8- हम महिला की पत्थर की मूर्ति पूजते हैं, पर किस देश मे 10 साल मे 5 करोड़ कन्याओं की भ्रूण हत्या हो सकती है? जी हाँ, हिंदुत्व मे!!
9- जातिप्रथा हमारी सबसे बड़ी खोज है I
10- बाल विवाह तो हमारी शान हैं I
11- अमीरी-ग़रीबी भी हमारे यहाँ जाति से ही होती है भाई साहब!!
12- ज़मींदार भी यहाँ जाति के आधार पर होते थे I
13- हमने बहुत सी खोज की, पर उनका कोई उपयोग समाज के लिए नहीं किया I
14- हमने जैसे लोगों को वेद पढ़ने से रोका, वैसा कोई कर सकता है? इसलिए हिंदू महान हैं?
15- हम तो बलात्कार भी करते हैं और शिकायत करने वाले को उल्टा टंगवा देते हैं, सिर्फ़ तालिबान ही हमारी टक्कर का हो सकता है...
16- हमने दलितों को स्कूलों मे नहीं घुसने दिया, क्या कोई धर्म हमारी बराबरी कर सकता हैं?
बहुत कुछ है मेरे पास तुम्हारी धज्जिया उड़ाने को, बस अभी इतना हीI हिंदू धर्म महान है, क्योंकि यहाँ:
-बच्चा हो तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–नाम रखो तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–गृह प्रवेश करो तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–पाठ करवाओ तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–कथा करवाओ तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–मंदिर जाओ तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–शादी हो तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–कोई मर गया हो तो भी ब्राह्मण को पैसे खिलाओ!! ब्राह्मण क्या तेरे घर आता है पैसे माँगने? नहीं भाई, घर आना पड़ा तो लूट काए की, उन्होने तो ऐसा समाज रचा है की अगर उसे ना बुलाओ तो तुम्हारे काम ही समाज मे अवैध हैं!!
हिंदू धर्म महान है क्योंकि यहाँ धर्म के नाम पर लूटने की-
-निर्मल बाबा को छूट है I
-असाराम बापू को छूट है I
–सुधांशु महाराज को छूट है I
–दाति महाराज को छूट है I
–इच्छधारी बाबा को छूट है I
और कितने ही बाबा धर्म के नाम पर दुकान खोल लो, सबको छूट है... हिंदू धर्म महान है क्योंकि इसकी संस्था संघ, अँधा है, वो सिर्फ़ धर्मांतरण पर बोलता है.. हिंदू होते हुए आप जो मर्ज़ी अधर्म करो, सबकी छूट है I आप भी उसी धर्म की नैया मे सवार हो, लूटो तुम भी बाबा बन जाओ

भगवान नहीं है तो इस बात पर आपको क्या आपत्ती है?

देखो भैय्या अगर हम कह रहे हैं के
भगवान नहीं है तो इस बात पर आपको क्या आपत्ती है?

ये क्या लगा रख्खा है..??
हमारा भगवान.. हमारा भगवान..
आप मानते हो पुराणों को तो पुराणों के अनुसार इनसानो का निर्माण भगवानों ने किया.. तो ये भगवान सिर्फ तुम्हारा कैसे हुआ..?? भाई आपके पुराणों के अनुसार तो भगवान मेरा भी बनता है..! और मेरे भगवान को मैं जो चाहे बोलु जो चाहे लिखु इस बात से आपके पेट में दर्द क्यों होता है..??
और ये क्या है हर रोज़ बार बार सिर्फ एक ही लाईन हमारे भगवान के बारे में बुरा मत बोलो बुरा मत लिखो..
मतलब भगवान अश्लीलताये रंगरलीया कर सकता है, रासलीला कर सकता है..??
लेकीन हम उसके बारे में लिख और बोल भी नहीं सकते वाँ..??
मतलब तुम्हारा भगवान करे तो लीला और मैं करू तो कैरेक्टर ढीला..??

भैया क्यों अफ़रे जा रहे हो बिना मतलब में ही.?? क्या आपको अपने भगवान पर इतना भी भरोसा नहीं है
कि वो अपनी रक्षा खुद कर सके.?? आप कहते हो वो सबकी रक्षा करने वाला है लेकिन
जिस तरह से आप इसकी रक्षा करने आ जाते
हो उससे तो यही लगता है
वो अपनी खुदकी रक्षा करने में भी सक्षम नहीं है..??

सभी के सभी भगवान अस्त्र- शस्त्र से सुसज्जित हैं ।
कोई चक्र लिए हुए है, कोई तलवार
तो कोई गदा तो कोई त्रिशूल लिए हुए है अरे भाई मैं पूछता हु अगर वो भगवान थे तो उन्हें क्या जरुरत थी अस्र- शस्र की..???
अब आप ये कहोगे की राक्षसो का संहार करने के लिए भगावन अस्र- शस्र इस्तेमाल करते थे,, तो भैया मुझे जरा ये बताये की राक्षको का संहार ही करना था तो राक्षसो को निर्माण करने का मतलब क्या बनता है.??

और अगर वाकई भगवान है..
तो उसके बारे मे मैं जो लिख और बोल रहा हु तो वो देख रहा होगा..
वो भी मुझे देख लेगा...
तो फिर आप क्यों उसकी चिंता में दुबले हुए जा रहे हो.??
कहीं ऐसा तो नहीं कि वो सारे अस्त्र
शस्त्र किसी नाटक मंडली से उधार ले लिए
हो और समय पड़ने पर काम ही ना करते
हो ? अगर भैया जब
वो ही बुरा नहीं मानता जिसको हम कह
रहे हैं तो फिर आप क्यों खामख्वाह नीले
पीले हुए जा रहे हो ?
ऐसा ना हो कि कहीं आप खुद भी गुस्से में
नीलकंठ हो जाएँ । ऐसा भी हो सकता है
कि पीले होकर खून की कमी हो जाये और
आपको कोई रक्तदाता भी नसीब ना हो ।
कहीं ऐसी हालत ना हो जाये कि चले थे हरी भजन को औंटन लगे कपास ।
तो भैया जाओ पहले अपनी सेहत का ख्याल
करो । आपके भगवान ने
तो कभी किसी को कोई अपशब्द
नहीं कहा फिर आप क्यों अपनी जुबान
गंदी करते हो कहीं आपके मुंह में
ही तो किसी ने गंदगी नहीं भर दी..??

अगर ऐसा भी नहीं है तो फिर आप क्यों बार बार
उस भगवान की रक्षा करने के लिए काटने
को दौड़े चले आते हो..??
क्या आप ये मानते
हो कि वो भगवान इतना कमजोर
है जो अपनी रक्षा खुद भी नहीं कर सकता???
क्या भगवान ने अपनी रक्षा के हेतू तुम्हारे
जैसे गुंडे पाल रख्खे हैं? ये भगवान है
या गुंडों का सरदार है? जो आ जाते
हो भगवानों की वकालत करने.??

भाई तुम्हारा भगवान
सबकुछ देखने सुनने वाला है तो फिर
क्यों वो हमारी बातो को भी देख सुनकर चुप
है? लगता है वो सामने आने से डरता है?
क्या इतना ही कमजोर है वो भगवान?
रामायण में तुम बताते हो जब कुम्भकर्ण
ने ब्रह्मा से इन्द्रासन माँगा था तो भगवान ने अपनी जदूरी शक्ति से कुम्भकर्ण की जिव्हा पर सरस्वती बैठा दी थी और
उसके मुख से "इंन्द्रासन" कहने के स्थान पर "निंन्द्रसन" कहलवा दिया था और बेचारे
कुम्भकर्ण को छह महीने तक सोना पड़ता था.
तो भैय्या आपके भगवान को जो चाहिए था वो सरस्वती से आदेश देकर कुंभकर्ण के मुख से "इंद्रासन" की जगह "निंद्रासन" कहलवा दिया..!

तो फिर ऐसा ही कुछ तुम्हारा भगवान हमारे साथ भी ऐसा कर सकता था..??
वो सरस्वती को आदेश देता कि ये
मूर्ख लोग पढ़ ही नहीं पायें ताकि हमारे
विरुद्ध लिख और बोल ना सकें। लेकिन देखिये
हमने लिखना और पढना दोनों सिख
लिया और आपका ईश्वर कुछ भी नहीं कर
सका। अब चलो हम पढ़ लिख
भी लिएतो वो लक्ष्मी को आदेश देता कि इन
लोगो के घर से तुरंत निकल जाओ और
इनको बिलकुल कंगाल कर दो ताकि ये
मोबाइल और कंप्यूटर जैसे उपकरण ना खरीद
सकें और मेरे खिलाफ ना लिख सके लेकिन
यहाँ भी लक्ष्मी और भगवान
दोनों ही बेचारे साबीत नही हुए और आज मेरे
पास कंप्यूटर और मोबाइल दोनों हैं अब
लैपटॉप खरीदने की सोच रहा हूँ। क्या भाव
चल रहा है चलो ये उपकरण खरीद लिए
तो खरीद लिए, कम से कम शनिदेव
को तो आदेश दे सकता था कि इसके मोबाइल
कंप्यूटर परकुदृष्टि डालकर तहस नहस कर
डालो लेकिन उसपर ये भी नहीं हुआ.??

मैंने कभी किसी भगवान को गाली-गलोच नहीं किया सिर्फ पुराणों के अनुसार सच बताकर मुलनिवासी भाई और बहनो की सोच को उजागर करने के लिए पोस्ट किये है, उसमे कुछ सवाल पूछे है...

और अगर मैंने भगवानों को गाली- गलोच किया भी है तो फिर भी आप क्यों बिना मतलब में काले पीले हुए जा रहे हो..??
भगवान सिर्फ आप अकेले का ही नहीं..
पुराणों के अनुसार देखा जाएं तो भगवान मेरा भी है..
ऊसे मैं मानु या ना मानु ईस्से आपको क्या फर्क
पडता है..?? मैं भगवान को जो चाहे बोलु या लिखु ये भगवान का और मेरे बिच का मामला है तुम क्यों बिना मतलब
दलालों की तरह अपनी टांग डाल रहे
हो जाओ भैय्या जाओ अपना काम करो और मुझे भी
अपना काम करने दो..!
देखो भैय्या अब मैने
ईतना तो समझा दिया है अब मेरे पोस्ट पर
गाली गलोच, या वकालत करने मत आना... धन्यवाद..!
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#संजीव_बौद्ध

आयूर्वेद के नाम पर लोगो को ठग रहे है ।

ब्राह्मण द्वारा लोगो को बेवकूफ बनाने एक और नया तरीका......।।।।
दोस्तो आल कल आप सभी लोगो ने टि.वी. पर देखा होगा की कैसे ये ब्राह्मण आयूर्वेद के नाम पर लोगो को ठग रहे है ।।।
आपने देखा होगा कि टिवी पर रोजाना फालतु उत्पादो का प्रचार किया जाता है जिसमे वेदो और हिमालय की दुर्लभ जड़ी बुटीयो का हवाला दिया जाता है, और उसके प्रचार लिये किसी माडल या फिल्मी सितारे के साथ एक लम्बी दाढी वाले पण्डीत रुपी वैद को भी दिखाय जाता है....

दोस्तो ये उत्पाद निम्न बिमारीयो के लिये होते है जिनका वास्तव मे कोई उपचार नही होता है. जैसे की...

- जोडो का दर्द जिससे सारी दुनीया परेशान है..

- बालो का झड़ना :- अगर इस बिमारी का इलाज होता तो अरबपती मशहूर क्रिकेटर विरेन्दर सेहवाग आज गंजा ना होता

- हाईट (कद्) बड़ाना :- अगर किसी दवाई से कद बड़ सकता तो चाईना के लोगो की हाईट इतनी कम ना होती.. ।।।।

- त्वचा का काला पन :- अगर किसी दवाई से गोरापन प्राप्त किया जा सकता तो पुरा मद्रास कशमीर मे बदल जाता, और अफ्रीका के लोग इतने काले ना होते...।।।

- मोटापा :- अगर किसी दवाइ के सेवन से वजन घटाया ज सकता तो दुनीया मे कोई भी मोटा नही होता और सारे जिम बंद हो जाते..।।।।।।

- नशामुक्ती :- आजकल नशामुक्ती के नाम पर अनुप सोनी और आलोक नाथ ये दोनो खुब लोगो को उल्लू बना सये है, अरे भाइ शराब तो भोलेनाथ का प्रशाद है, अगर नशामुक्ती के लिये कोइ दवाइ होती तो शंकर भगवान खुद भी नशेड़ी नही होते.. ।।।

दोस्तो और भी कई बिमारीयो के लिये एसे बहुत सरे व्यर्थ उत्पाद है, इनमे से कइ बिमारीयो एसी है जो उम्र के साथ प्राक्रतीक रुप से आती है, और कुछ का ईलाज मनुष्य के दर्डसंकल्प और इच्छा शक्ति से हि संभव है, ।।।।।।।।

तो मेरा आप सभी से निवेदन है कि इन लोगो की फालतु बातो और छलावो मे आकर अपना समय और पैसा बर्बाद ना करे...।।।।।।।।

सौ - संजीव बौद्ध

राजनैतिक लुच्चों-लफंगों से देश को छुटकारा कब मिलेगा?

ओशो से किसी ने पूछा,
"राजनैतिक लुच्चों-लफंगों से देश को छुटकारा कब मिलेगा?" 
ओशो ने जवाब दिया, "बहुत कठिन है..
क्योंकि प्रश्न राजनेताओं से  छुटकारे का नही है,  प्रश्न तो तुम्हारे अज्ञान के मिटने का है.  
तुम जब तक अज्ञानी हो,
कोई न कोई तुम्हारा शोषण करता रहेगा.
कोई न कोई तुम्हें चूसेगा.
पंडित चूसेंगे, पुरोहित चूसेंगे,
राजनेता चूसेंगे.
तुम जब तक जाग्रत नही होगे,
तब तक लुटोगे ही. फिर किसने लूटा,
क्या फर्क पड़ता है ? 
लुटेरों के नाम बदलते रहेंगे और तुम लुटते रहोगे.  
यह मत पूछो कि राजनीतिक लुच्चों-लफंगों से देश को छुटकारा कब मिलेगा.
यह प्रश्न अर्थहीन है. 
यह पूछो कि मै कब इतना जाग सकूँगा कि झूठ को झूठ की तरह पहचान सकूँ
और जब तक सारी मनुष्य जाति झूठ को झूठ की भाँति नही पहचानती,
तब तक छुटकारे का कोई उपाय नही है.।

अंधविश्वास की कोई सीमा नही हैं

क्योकि इससे बढ़ावा देने वाले लोगो की कमी नही हैंl
इस अंधविश्वास के कारण ही उनकी रोजी रोटी चलती हैं।
और इसी कारण ये इसे बढावा देने के लिए
विज्ञापनों का सहारा भी लेते हैं। इन विज्ञापनों के प्रचार – प्रसार के लिए बीते दिनों के मशहूर
हस्तियों को चुना जाता है ।
आजकल बीते जमाने के हिंदी फिल्म स्टार
गोविंदा बड़े ही जोर – शोर से शुभ धन
वर्षा यंत्र को बेच रहे हैं और इसमें दर्शक
दीर्धा में भी कुछ पुराने जमाने के टेलिविजन कलाकार बैठे होते हैं और गोविंदा की हाँ में
हाँ मिलाते रहते हैं
और यह बताने का प्रयास करते हैं
कि धन वर्षा यंत्र के घर में स्थापित करने
के बाद उनके जीवन में उल्लेखनीय प्रगति आई
है और उनके जीवन के तमाम कष्ट दूर हो गए
हैं
तथा अब वह अपना जीवन पूर्ण आनन्द से
व्यतीत कर रहें हैं । गोविंदा जी दर्शक दीर्धा से
एक व्यक्ति को बुलाते हैं और उससे उसका नाम
पता पूछते हैं तो वो जबाव देता है
कि उसका नाम रामखेलावन है
और वह छपरा, बिहार के एक छोटे से गाँव मे रहता है तथा किसान है ।
आगे वह
बताता है कि धन वर्षा यंत्र स्थापना से पहले
उसकी हालत बहुत खराब थी और खेती ठीक
नहीं होती थी ।
वह इतना गरीब था कि अपने
बच्चों को स्कूल तक नहीं भेज पाता था
परंतु यंत्र स्थापना के बाद उसकी खेत में
इतनी पैदावार होती है कि घर धन से भर गया है तथा अब उसके बच्चे शहर के स्कूल में पढते हैं । इन महाशय के
बारे में मैं बताना चाहूँगा कि ये कोई
किसान नहीं है
वरन टेलिविजन के छोटे स्तर के
कलाकार हैं
जिन्हे मैनें अक्सर सोनी चैनल पर आने वाले कार्यक्रम अदालत में देखा है ( आप भी देख सकते हैं ) ।
इन कार्यक्रमों में जितने भी कलाकार बैठे होते है अगर आप गौर से देखें
तो सभी उम्र के पचास पड़ाव पार कर चुके
हैं
और पहले की तुलना में अब उनके पास काम
नहीं है और अगर है भी तो बहुत ही कम
जिसके
कारण वो यह विज्ञापन कर रहें हैं।
अजीब बात ये हैं की सरकार क्यों इस पाखंड
को बढ़ावा दे रही हैं ।
क्या उसे सच में लगता हैं कि इन चीजो से कुछ लाभ हो सकता हैं तो फिर क्यों न फिर सरकार
गरीब लोगो को सस्ता अनाज वितरित
करने की बजाय शुभ धन वर्षा बाटे,
लोगो की गरीबी कम हो जाएगी
और देश की जो आज आर्थिक व्यवस्था गिर चुकी हैं
वो भी सुधर जाएगी..
क्यों आखे होकर अंधे बने हुवे हो भाईओ अब तो आंखे खोलो..
यदी फिर भी कोई मेरे खिलाफ बोलना चाहता है तो ऊसे मेरा एक सवाल
(1) चलो भाई हिंदु धर्म के हिसाब से चलते है. हिंदु धर्म मे बताया जाता है की ईनसान की तकदीर मे जो लिखा है वो बदला नही जाता, ईश्वर के बदौलत कोई पत्ता भी नही हिलता तो भाई क्यों मै ईतना हिल डुल रहा हु क्यों मै अंधविश्वास कि पोल खोले जा रहा हु तकदीर तो ऊसने मेरी भी लिखी होगी?
क्या ऊसने मेरी तकदीर मे ये लिखा है कि जाओ भाई निचे जाकर मेरे खिलाफ इंटरनेट पे मेरी पोल खोल दो?
और क्या शुभ धन वर्षा घर मे रखने से तकदीर मे लिखे गयी यंत्रना बदलने वाली है क्या?

सौ- अँधविश्वास मीटाओ समाज बचाओ

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