गुरुवार, 10 मार्च 2016

नेता आज़ाद भारत को कबका आर्थिक ग़ुलाम बना चुके है।

जिन्हें नाज हे हिंद पर वोह कहा है ?????

माल्या जो देश को चुना लगाके भाग चुका है वोह देशद्रोही क्यों नही ???????

२०० करोड़ की सरकारी मिलकत को नुक़सान पहोचाने के आरोप पर अगर हार्दिक पटेल राज्यद्रोही कहा जाता है तो फिर यह माल्या सरकार के लिये क्या है ??

अगर देश के ख़िलाफ़ नारा लगाना देशद्रोह है तो फिर बेंको को लुटने वाला क्या है ?? क्यो कोई भक्त माल्या को ज़िंदा या मुर्दा पकड़के लानेकेलीये ईनाम धोसीत नही करता ???? कयो कोई नेता या पार्टी माल्या के ख़िलाफ़ मुँह नही खोलता ???

मेरे देशभक्त दोस्तों, ईस देश के नेता आज़ाद भारत को कबका आर्थिक ग़ुलाम बना चुके है। देश को हर रोज़ हज़ारों माल्या लुट रहे है । ओर यह लोग देश की राजनैतिक पार्टी ओ को करोड़ों का चंदा देके सत्ता मे लाते है। माल्या जेसै लोग सरकारों को अपना ग़ुलाम रखते है। इनका कोई बाल भी बाँका नही कर पाता। यह देश #CronyCapitalism का शिकार हो चुका है।

देश की आम जनता जो हर रोज़ पाई पाई के लिये मोहताज है । किसान सर से पाँव तक क़र्ज़ मे डुबे है । उनके लिये आत्महत्या के ईलावा कोई रास्ता नही बचता । तब देश की जनता के पसिने की कमाई के 114000 करोड़ उधयोगो को माफ़ करदेना लाखों किसानों की मोत का मज़ाक़ है।

मगर हमारी सोच मर चुकी हे । हम देश की पार्टीओ के ग़ुलाम बन चुके है। हम सबकुछ जानते हुवे भी आँखें बंध रखना चाहते है।

हमे इस बुज़दिली की किंमत चुकानी होगी.... जरुर चुकानी होगी .....
सौ - sorathiya manoj

सबसे ऊँचा, सबसे न्यारा जग में भीमराव का नाम,,

किसी ने पूछा बाबा साहब को कौन-2 मानता है एक कवि का जवाब-

उगते सूर्य की किरण
भीम सलाम करती है,
झर-2 बहते झरने की
लहरे भी कुछ कहती है,,

कल-कल बहती नदियां
पवन ज्यों-2 करे शोर,
भीमराव के होने से ही
आज हुई है अपनी भोर,,

पर्वत से भी ऊँचा जो है
शक्ति साहस दीखता हो,
शौर्य, पराक्रम, बुद्धि के
बल पे ही जो टिकता हो,,

जिसकी कलम का लोहा
दुनिया अब तक मान रही,
मेहनत कहते किसको है
उनको पढ़कर जान रही,,

शोध किये दुनिया ने उनपे
भीम सा दूजा कोई नही,
इतने दुःख दर्दो को सहके
आँख कभी भी रोई नही,,

धरती अम्बर सब के सब
झुक-2 करे जिसे सलाम,
सबसे ऊँचा, सबसे न्यारा
जग में भीमराव का नाम,,

रचनाकार-मन्जीत सिंह अवतार
www.facebook.com/Drmanjeetsinghavtar

बाबा साहब के संदेश

""राजनीति में हिस्सा नहीं लेने से अयोग्य व्यक्ति शासक बन कर आप पर शासन करेंगा""
   ~बाबा साहब
""अपने वोट की कीमत समझो, हमें बिकने वाला समाज नहीं बनाना है""
   ~बाबा साहब
""मैनें रानी के पेट की नसबन्धी तुम्हे वोट का अधिकार दिलवा कर कर दी है अब आप खुद अपने वोट से राजा बन सकते हो या बना सकते हो""
      ~बाबा साहब
""मूलनिवासीओ  ! लिख दो अपनी दीवारों पर कि हमें इस देश की शासक जमात बनना है""क्योंकि शासन करने वाले अधिकार मांगने वाले नहीं देने वाले होते हैं।
     ~बाबा साहब
""मेरे समाज के बहादुर सिपाहियो में ये कारवां यहां तक बड़ी कठिनाइयों से लाया हुं जहां आज ये दिख रहा है ये निरन्तर आगे ही बढता रहना चाहिये अगर आगे नहीं बढा सको तो किसी भी सुरत में पीछे की ओर नहीं मुड़ना चाहिये"""
      ~बाबा साहब
""शिक्षा उस शेरनी का दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा इसीलिए मैं तुम्हे सफल बनने का मुलमंत्र देता हुं:-""शिक्षत बनों" "संगठित रहों" "संघर्ष करों""
        ~बाबा साहब
मेरे समाज के लोगों तुम सिर्फ धार्मिक पाखण्ड को ढो रहे हो इसे छोड़ दो व भारतीय संसद में जाओ तुम्हे शासक वर्ग बनाना मेरे जीवन का अंतिम उद्देश्य है ये सपना आपको साकार करना होगा""
     ~बाबा साहब
""मैंने तुम्हें आजाद करवाने के लिये मेरा सारा जीवन समर्पित कर दिया है और अपने परिवार को भी कुर्बान कर दिया मेरी इस कुर्बानी को व्यर्थ मत जाने देना आपको आपसी मतभेद भुलाकर संगठित होना है और अपने अधिकारों के लिये संघर्ष करना होगा""
           ~बाबा साहब~

महिलाऐं उन्हें भुलाकर वापस धर्म के पीछे दौड़ पड़ी हैं

धर्म ने महिलाओं को कोई अधिकार नहीं दिये थे!
जब सावित्री बाई फूले ने महिला
शिक्षा के लिये
देश का
पहला स्कूल
खोला तो
हिंदू पाखंडियों ने
उनका विरोध
किया,पत्थर मारे,
गोबर फैंका...
फिर जब
बाबासाहब
डॉ.अंबेडकर ने
"हिंदू कोड बिल"
(महिला अधिकार
और
सम्मान कानून)
बनाया तब भी
धार्मिक
पाखंडियों ने
उनके पुतले फूँके,
विरोध किया।
ये बड़े दुख की
बात है कि जिन
महानायकों ने
महिलाओं को
शिक्षा का अधिकार,
MLA,MP,CM,
PM बनने का
अधिकार दिलाया,
महिलाऐं उन्हें
भुलाकर वापस
धर्म के पीछे
दौड़ पड़ी हैं।
☝☝☝☝☝
जय भीम

सौ - एन जी चौहान

पत्थर से इतना लगाव क्यों और जीवित से इतनी नफरत क्यों???

मानव का सफर पत्थर से शुरु हुआ था। पत्थरों को ही महत्व देता है और आज पत्थर ही बन कर रह गया -

------------------------
1. चूहा अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(गणेश की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित चूहा दिख जाये तो पिंजरा लगाता है और चूहा मार दवा खरीदता है।

2.सांप अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(शंकर का कंठहार मानकर)

लेकिन जीवित सांप दिख जाये तो लाठी लेकर मारता  है और जबतक मार न दे, चैन नही लेता।

3.बैल अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(शंकर की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित बैल(सांड) दिख जाये तो उससे बचकर चलता है ।

4.कुत्ता अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(शनिदेव  की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित कुत्ता दिख जाये तो 'भाग कुत्ते' कहकर अपमान करता है।

5. शेर अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(दुर्गा  की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित शेर दिख जाये तो जान बचाकर भाग   खड़ा होता है।

हे मानव!

पत्थर से इतना लगाव क्यों और जीवित से इतनी नफरत क्यों?????

ये कैसा दोहरा मापदंड है तेरा?????

मैं भारतीय हूँ और मेरे देश का नाम भारत है...

मेरी कलम से
ना ही मैं हिन्दुस्तानी हूँ और ना ही मेरे देश का नाम हिन्दुस्तान है....
मैं भारतीय हूँ और मेरे देश का नाम भारत है....
मेरी जाति व धर्म सिर्फ मानवता या इन्सानियत है....
मैं बाबा साहब को मानने वाला हूँ और पूरा जीवन उन्ही के मार्ग पर चलने की कोशिश करूँगा....
मैं सदैव अपने भारत देश से मनुवाद, ब्राह्मणवाद, पाखण्डवाद, अंधविश्वास को समाप्त करने तथा अम्बेडकरवाद के प्रचार- प्रसार हेतु प्रयत्नशील रहूँगा....
मैं आज अकेला हूँ और मेरा समाज विघटित है परन्तु मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक दिन मेरा समाज संघटित होगा और हम सब अपनी सामाजिक स्वतंत्रता के लिये एक मंच पर होंगे....
मुझे पूर्ण विश्वास है कि धार्मिक कुण्ठाग्रस्त ,सामाजिक वंचित समूह अर्थात भारत की 85% जनसमूह एक दिन जाग्रति होगा और वह अपनी बेडियो को एक मंच पर आकर तोड़ देगा

"बाबा" तेरे उपकारोँ को, मैँ कभी भुला ना पाऊँगा

पशु को गोद खिलाने वाले,
मुझको छूने से बचते थे।
मेरी छाया पड जाने पर,
'गोमूत्र का छीँटा' लेते थे।।

पथ पर पदचिन्ह न शेष रहेँ
झाडू बाँध निकलना होता।
धरती पर थूक न गिर जाये,
हाथ सकोरा रखना होता।।

जान हथेली पर रखकर,
मैँ गहरे कुआँ खोदता था।
चाहे प्यासा ही मर जाऊँ,
कूपजगत ना चढ सकता था

मलमूत्र इकट्ठा करके मैँ,
सिर पर ढोकर ले जाता था।
फिकी हुई बासी रोटी,
बदले मेँ उसके पाता था।।

मन्दिर मैँ खूब बनाता था,
जा सकता चौखट पार नहीँ।
मूरत गढता मैँ ठोक-ठोक,
था पूजा का अधिकार नहीँ।

अनचाहे भी यदि वेदपाठ,
कहीँ कान मेरे सुन लेते थे।
तो मुझे पकडकर कानोँ मेँ,
पिघला सीसा भर देते थे।।

गर वेदशब्द निकला मुख से
तो जीभ कटानी पड जाती।
वेद मंत्र यदि याद किया,
तो जान गँवानी पड जाती।।

था बेशक मेरा मनुजरूप,
जीवन बदतर था पशुओँ से।
खा ठोकर होकर अपमानित,
मन को धोता था अँसुओँ से।

फुले पैरियार ललई साहू,
ने मुझे झिँझोड जगाया था।
संविधान के निर्माता ने,
इक मार्ग नया दिखाया था।।

उसी मार्ग पर मजबूती से,
आगे को कदम बढाया है।
होकर के शिक्षित और सजग,
खोया निज गौरव पाया है।।

स्वाभिमान जग जाने से,
स्थिति बदलती जाती है।
मंजिल जो दूर दीखती थी,
लगरहा निकट अब आती है।

दर से जो दूर भगाते थे,
दर आकर वोट माँगते हैँ।
छाया से परे भागते थे,
वो मेरे चरण लागते हैँ।।

वो मुझसे पढने आते हैँ,
जो मुझे न पढने देते थे।
अब पानी लेकर रहैँ खडे,
तब कुआँ न चढने देते थे।।

"बाबा" तेरे उपकारोँ को,
मैँ कभी भुला ना पाऊँगा।
"भीम" जो राह दिखायी है,
उस पर ही बढता जाऊँगा।।

जय भीम

अपनी कीमत पहचानिये

मेरी कलम से
"एक कागज का टुकड़ा
            गवर्नर के हस्ताक्षर सेज
               नोट बन जाता है,
       जिसे तोड़ने, मरोडने,
           गंदा होने एवँ जर्जर होने से भी
             उसकी कीमत कम नहीं होती...
       आप भी बाबा साहब के हस्ताक्षर है,
           जब तक आप ना चाहे
              आपकी कीमत कम नहीं
                 हो सकती,
      आप अनमोल है ,
           अपनी कीमत पहचानिये
जय भीम ,जय भारत

लोकप्रिय पोस्ट