शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

दिल्ली का लौह स्तम्भ

विश्वप्रसिद्ध दिल्ली का 'लौह स्तम्भ'-
हमारा भारत कितना अद्भुत है!
कितना ज्ञान बिखरा हुआ है यहाँ प्राचीन धरोहरों के
रूप में ,जिसे हमें समय रहते संभालना है.
दुनिया की प्राचीनतम और
जीवंत सभ्यताओं में से एक है हमारे देश
की सभ्यता.
हमारी प्राचीन धरोहरें बताती
हैं कि हमारा देश अर्थव्यवस्था,स्वास्थ्य
प्रणाली,शिक्षा प्रणाली, कृषि
तकनीकी,खगोल शास्त्र ,विज्ञान , औषधि
और शल्य चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में बेहद
उन्नत था.
मैगस्थनीज से लेकर फाह्यान, ह्वेनसांग तक
सभी विदेशियों ने भारत की भौतिक समृध्दि
का बखान किया है.
प्राचीन काल में उन्नत तकनीक और विराट
ज्ञान संपदा का एक उदाहरण है अभी तक
'जंगविहिन' दिल्ली का लौह स्तंभ'.इसका सालों से
'जंग विहीन होना ' दुनिया के अब तक के अनसुलझे
रहस्यों मे माना जाता है.
सन २००२ में कानपुर के वैज्ञानिक बालासुब्रमानियम ने अपने
अनुसन्धान में कुछ निष्कर्ष निकाले थे.जैसे कि इस पर
जमी Misawit की परत इसे जंग लगने
से बचाती है .वे इस पर लगातार शोध कर रहे हैं.
माना जाता है कि भारतवासी ईसा से ६०० साल पूर्व से
ही लोहे को गलाने की
तकनीक जानते थे.पश्चिमी देश इस ज्ञान
में १००० से भी अधिक वर्ष पीछे रहे.
इंग्लैण्ड में लोहे की ढलाई का पहला कारखाना सन्
११६१ में खुला था.
बारहवीं शताब्दी के अरबी
विद्वान इदरिसी ने भी लिखा है कि
भारतीय सदा ही लोहे के निर्माण में
सर्वोत्कृष्ट रहे और उनके द्वारा स्थापित मानकों की
बराबरी कर पाना असंभव सा है.विश्वप्रसिद्ध
दिल्ली का 'लौह स्तम्भ'-
स्थान- दिल्ली के महरोली में
कुतुबमीनार परिसर में स्थित है.यह ३५
फीट ऊँचा और ६ हज़ार किलोग्राम है.
किसने और कब बनवाया-
गुप्तकाल (तीसरी शताब्दी से
छठी शताब्दी के मध्य) को भारत का
स्वर्णयुग माना जाता है .
लौह स्तम्भ में लिखे लेख के अनुसार इसे किसी राजा
चन्द्र ने बनवाया था.बनवाने के समय विक्रम सम्वत् का आरम्भ
काल था। इस का यह अर्थ निकला कि उस समय समुद्रगुप्त
की मृत्यु के उपरान्त चन्द्रगुप्त (विक्रम) का
राज्यकाल था.तो बनवाने वाले चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
द्वितीय ही थे और इस का निर्माण 325
ईसा पूर्व का है.
कैसे यह लोहे का स्तम्भ बनाया गया होगा इसके बारे में अधिक
विवरण आई.आई.टी.प्रोफ.बालासुब्रमनियम से इस
वीडियो में देख सुन सकते हैं.
Click Here
http://youtu.be/MR0dVQcdl5s
कहते हैं कि इस स्तम्भ
को पीछे की ओर दोनों हाथों से छूने पर
मुरादें पूरी हो जाती हैं.परन्तु अब आप
ऐसा प्रयास नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब इसके चारों
तरफ लोहे की सुरक्षा जाली है.
चलते चलते एक और बात बताती चलूँ कि बिहार के
जहानाबाद जिले में एक गोलाकार स्तंभ है जिसकी
लम्बाई ५३.५ फीट और व्यास ३.५ फीट
है जो उतर से दक्षिण की ओर आधा
जमीन में तथा आधा जमीन की
सतह पर है.
कुछ पुरातत्वविद इसे ही दिल्ली के लौह
स्तम्भ का सांचा मानते है.

यह इंडिया है मेरे यार!

1) हम बेटियों की पढ़ाई से ज्यादा उनकी
शादी पर खर्च करते हैं।
2) हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां पुलिस वालों को देखकर
हम सुरक्षित महसूस करने की बजाय घबरा जाते
हैं।
3) IAS एग्जाम में एक शख्स 'दहेज : एक सामाजिक बुराई'
विषय पर 1500 शब्दों का बेहतरीन लेख लिखता है।
सबको प्रभावित करता है और एग्ज़ाम पास कर लेता है। एक साल
बाद यही शख्स दहेज में 1 करोड़ रुपये मांगता है
क्योंकि वह एक IAS अफसर है।
4) भारतीय बहुत शर्मीले होते हैं
लेकिन फिर भी 121 करोड़ हैं।
5) भारतीयों को स्क्रैचप्रूफ गर्रिला ग्लास वाले
स्मार्टफोन पर स्क्रीन गार्ड लगवाना जरूरी
लगता है लेकिन बाइक चलाते समय हेल्मेट लगाना
नहीं।
6) भारतीय समाज 'रेप मत करो' की
बजाय 'रेप से बचो' सिखाता है।
7) यहां योग्य लोगों की बजाय आरक्षण प्राप्त लोग
ज्यादा फायदे में रहते हैं।
8) सबसे बेकार फिल्में सबसे ज्यादा कमाई करती हैं।
9) यहां का समाज, एक पॉर्न स्टार को तो सिलेब्रिटी के
रूप में खास दर्जा दे देता है लेकिन एक रेप पीड़िता को
आम इंसान का दर्जा भी नहीं देता।
10) नेता हमें तोड़ते हैं जबकि आतंकवादी हमें
जोड़ते हैं।
11) हर किसी को जल्दी है लेकिन
समय से कोई नहीं पहुंचता।
12) मैरी कॉम ने जितनी कमाई अपने पूरे
करियर में नहीं की, उससे ज्यादा कमाई
प्रियंका चोपड़ा ने मैरी कॉम का किरदार निभाकर कर
ली।
13) अजनबियों से बात करना खतरनाक है लेकिन किसी
अजनबी से शादी करना हर लिहाज से
सही है।
14) ज्यादातर लोग जो गीता और कुरान पर लड़ते हैं,
वे लोग होते हैं जिन्होंने इन्हें कभी पढ़ा
भी नहीं है।
15) जो जूते हम पहनते हैं, वे एयर कंडिशंड शोरूम्स में बिकते
हैं और जो सब्जियां हम खाते हैं, वे फुटपाथ पर
बिकती हैं।
अब सोचिए! क्या इन तरीकों से भारत आगे बढ़ेगा?

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