शुक्रवार, 3 जून 2016

बेचारा वो मासूम लोकपाल मर गया

आये दिन उपवास आंदोलन करते रहनेवाले 80 सालके अन्ना हजारेजी आज भी जिन्दा है, और तन्दुरुस्त है। उनके साथ मंच पर बैठकर काला धन वापस लानेवाले सन्यासी बाबा रामदेव अब पतंजलिकी मेगी बेच रहे है। पूर्व सेनाध्यक्ष वी के सिंह जी नये शस्त्र सरंजाम की खरीदींमें व्यस्त है। देल्ही में 12 बेड रूम वाले सरकारि आवासमे केजरीवालजी की खांसी और मफलर अभी गायब हो गए है, और उन सब की बड़ी बहन किरण बेदीजी पुद्दुचेरीके राजभवनके बगीचे में योगाभ्यास कर रही है। यह सब अपनी अपनी नई दुनिया बसाके खुशियो से फलफूल रहे है, मर तो बेचारा वो मासूम लोकपाल गया जिसके आते ही देश के 90 % राजनेता जेल में जानेवाले थे...!

आश्रम या आतंकवादी कैम्प ???

अगर ये सत्याग्रही हैं तो आतंकवादी कैसे होते है ?
289 एकड़ में अवैध कब्जे को हटाने गए 2 पुलिस अधिकारियों को शहीद कर दिया जाता है, सैकड़ों की संख्या में तमंचे, राइफलें और बम बरामद होते हैं।
कहाँ है कानून व्यवस्था और कहाँ गए वो राष्ट्रवादी जो मालदा के हुड़दंग पर नंगा नाच रहे थे ? (मालदा की घटना भी निंदनीय थी, जिसका मैंने तब भी विरोध किया था)

क्या देश में अब अपराध की गंभीरता का आँकलन जाति-धर्म, संगठन या वस्त्रों के रंग के आधार पर होगा ?

क्या सचमुच मेरा देश बदल रहा है ?
क्या सचमुच मेरा देश आगे बढ़ रहा है ???

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