शनिवार, 12 मार्च 2016

गुलाम तीन प्रकार के होते हैं

1. पहला गुलाम वह होता है जो परम्परागत रूप से गुलाम के घर जन्म लेता है।
2. दूसरा गुलाम वह होता है जिसको गुलाम बना लिया जाता है।
3. तीसरा और सबसे खतरनाक गुलाम वह होता है जो बाबा साहेब के द्वारा दिए अधिकार का सबसे पहले फायदा उठाता है पढ़ लिख कर नौकरी या कोई बड़ा पद जैसे बड़ा अधिकारी, विधायक, और मंत्री बन जाते हैं और
गुलामी ब्राह्मणों की करते हैं।
ऐसे गुलाम परफेक्ट गुलाम होते हैं जो अम्बेडकरवाद के लिए अड़चन पैदा करते हैं।
ये लोग खाते बाबा साहब का हैं और गुण ब्राह्मणवाद (पाखंडवाद)के गाते है।
धिक्कार ऐसे पढे- लिखे परफैक्ट गुलामों पर !!

नमोः बुद्धाय , जय भीम , जय भारत,

☝मंजिल वही सोच नई

दलित समाज का कड़वा सच

दीवाली वजट Min ₹10,000
नवरात्री वजट ₹ 2000
होली वजट ₹ 5000
सत्यनारायण कथा वजट ₹ 3000
मंदिर में दान ₹ 1000
तीर्थ यात्रा वजट ₹ 2500
खुद कपडे फैशन में ₹ 10000
अंबेडकर जयंती पे
1) टाइम नहीं
2) पैसा नहीं
3) शर्म आती है
4)₹ 10 चन्दा
सुधर जाओ जिसकी वजह से सुकून से जी रहे
हो, नौकरी कर रहे हो, समाज में आदर
सम्मान मिला उसे न भूलो। नहीं तो सब
बिखर जायगा।
जयभीम नमौबुद्धाय जयभारत ॥

राम से कही ज्यादा पावरफुल डॉ अम्बेडकर है।

यकीन मानिए सच कह रहा हु

राम से कही ज्यादा पावरफुल डॉ अम्बेडकर है।
राम ने
अपनी पूरी ज़िन्दगी में सिर्फ एक
महिला(सीता) को रावण से आज़ाद करवाया और आज़ाद करवाने के तुरंत बाद अग्निपरीक्षा के नाम पर उसे
भी आग में झोंक दिया,
जबकि
बाबा साहब ने बिना किसी वानर
सेना की मदद के सम्पूर्ण
भारत की महिलाओ
को आज़ादी दिलवा दी ......

शूद्र का संपत्ति रखने का आन्दोलन तो कभी भी लक्ष्मी
देवी ने चलाया ही नहीं !

शूद्र का पढने लिखने का आन्दोलन भी कभी सरस्वती
देवी ने चलाया ही नहीं !

शूद्र के अच्छे भोजन का
आन्दोलन भी कभी अन्नापूर्ण देवी ने चलाया ही नहीं !

तो फिर 33 करोड़ को नमन का क्या मतलब ?

33 करोड़ सलाम के हकदार तो बाबा साहब है !
कोई शक !!

चाल से सावधान रहने की आवश्यकता है

एक भेड़िया कुंआ में गिर गया। उसके कुंआ से निकलने के सभी प्रयास विफल हो गए। तभी बकरियों का एक झुण्ड वहां आया। बकरियों को देख भेडिए को चाल सूझी बोला," बकरी बहन! बकरी बहन यहाँ कुंए के अंदर कितनी हरी-हरी घास है आओ चर लो। बकरी बोली," हमें मूर्ख समझते हो क्या? तुम हमें मारकर खा जाओगे! भेड़िया बोला," नहीं बकरी बहन, मैंने शिकार करना, जीव हत्या करना, मांस खाना छोड़ दिया है। तभी तो यहाँ आकर स्वादिष्ट हरी-हरी घास खा रहा हूँ। बकरियां झांसे में आ गयीं और कुछ बकरियों ने कुंए में छलांग लगा दी। भेड़िया बकरियों की पीठ पर चढ़ कर उछला और कुंए के बाहर आ गया। कुंए के बाहर बची बकरियों को वह मारकर खा गया।
____________________
मनुस्मृति को मानने वाले भी भेड़ियों की प्रकृति के लोग हैं। ये अपने को फंसता /घिरता देख मनुस्मृति भी जलाएंगे क्योंकि मनुस्मृति तो कागज़ की एक पुस्तक है। परंतु इनके मन मस्तिष्क में जो मनुस्मृति लागू करने का प्लान है वो कभी नहीं जलेगा।
जब भी इन्हें मौका मिलेगा ये मनुस्मृति लागू करके ही रहेंगे। इसलिए इनकी ऐसी किसी भी चाल से सावधान रहने की आवश्यकता है बहुजनों! इनके झांसे में कभी मत आना। कभी भी नहीं।
नमोबुद्धाय जयभीम जयभारत

बाबा न होते तो फिर क्या होता

" गले तुम्हारे टाई न होती ,
उसकी जगह तो हांडि होती ।
कमर तुम्हरे बैल्ट न होती ,
वहा तो झाडू लटकी होती ।
नहीं होते ये कोठी ,
बंगले ,वहां पुराना छप्पर होता ।
नही होती ये मोटर कारे ,
फटा' पुराना जुता होता ।
बाबा न होते तो फिर क्या होता ,
बोलो अपने मुख से बोलो ।
बोलो' बोलो फिर बोलो ,
बाबा भीम की जय- जय बोलो  ।
आरक्षण के बल पर मिञो!
नेता अफसर तुम बने हो ।
हाल-चाल सब बदल गऐ हैं।
सूट-बूट में बने-ठने हो।
समता का अधिकार दिलाया ,
छुआछूत का दाग मिटाया ।
उत्पीडन से मुक्त कराया ,
अरे ! बाबा ने क्या न कराया ?
जब भी मीलो परस्पर् तुम सब ,
जय भीम ही अपने मुख से बोलो ।
बोलो-बोलो . बाबै भीम की जय जय बोलो ☝☝☝☝जय भीम

"भीम" से

मोहब्बत भी "भीम" से,
     ईनायत भी "भीम" से,
काम भी "भीम" से,
     नाम भी "भीम" से,
ख्याल भी "भीम" से,
     अरमान भी "भीम" से,
ख्वाब भी "भीम" से,
     माहोल भी "भीम" से,
यादें भी "भीम" से,
     मुलाकात भी "भीम" से,
सपने भी "भीम" से,
     अपने भी "भीम" से,
यारो यु कहो की
     अपनी तो सांसे भी "भीम" से.
नमो बुद्धस्स जय भीम साथियों।

..दिल से ...जय भीम.....

सौ - युवा भीम शक्ति दिल्ली

अगर समझ में आया हो तो अभी तोड़ दीजिये उस कलावे को !!

१.कितने लोग हाथ में कलावा बांधते हैं?
२.कितने लोग यह जानते हैं की कलावा बांधते समय ब्राहमण क्या श्लोक उच्चारित करता है ??
३.कितने लोग उस श्लोक का अर्थ जानते हैं ?
४.कितने लोग उस कलावे को क्यों बांधा जाता है, ये जानते हैं ??
कलावा बांधते समय ब्राह्मण द्वारा उच्चारित श्लोक व अर्थ इस प्रकार है ...."येन बद्धो, दान वेन्द्रो बलिराजा महाबल:तेन त्वः, प्रतिबद्धमे नमो रक्षे, मा चल, मा चल "{अर्थात ये धागा मैं तुझे इस उद्देश्य से बंधता हु जिस उद्देश्य से तेरे सम्राट बलिराजा को बांधा गया था, आज से तू मेरा गुलाम है मेरी रक्षा करना तेरा कर्त्तव्य है, अपने समर्पण से हटना नहीं}
....अब कितने लोगों को अपने कलावा बांधे होने पर गर्व है ..अगर समझ में आया हो तो अभी तोड़ दीजिये उस कलावे को !!!

लोकप्रिय पोस्ट