मंगलवार, 3 मई 2016

सत्य क्या है?

सत्य क्या है?
१)सुर्य
२)पानी
३)हवा
४)पृथ्वी
५)अन्न
ईनकी हम कभी पुजा नही करते जो सदा हाजिर है.और अंधेरेमे ढुंढने चलेहै जो कभी कीसीको मिला ही नही है...
हमको मुर्ख बनाया गया है सदियो से जो बाबा साहेबने सिध्ध करके हमारे आगे रखाहै फिरभी हम ऊनकी नही मानते.हमही गद्दार है.और कोई नही.

सौ-.राशि बौधिष्ट(थराद)

देश को गुलाम बनाते रहे हैं ?

ताज महल = मुसलमानों ने बनाया!
लाल किला= मुसलमानों ने बनाया!
कुतुबमीनार = मुसलमानों ने बनाई!
चार मीनार = मुसलमानों ने बनाई!
गोल गूम्बज = मुसलमानों ने बनाया!
लाल दरवाजे = मुसलमानों ने बनाये!
मिसाईल= मुस्लिम ने बनाई (डा.कलाम)
इंडिया गेट = अंग्रेजो ने बनाया!
गेटवे ऑफ इंडिया = अंग्रेजो ने बनाया!
हावड़ा ब्रिज= अंग्रेजो  ने बनाया!
पार्लियामेंट हाउस =अंग्रेजों ने बनाया!
राष्ट्रपति भवन =अंग्रेजों ने बनाया!
नॉर्थ-साऊथ ब्लॉक= अंग्रेजों ने बनाये!
कनॉट प्लेस =अंग्रेजों ने बनाया!
संविधान= बुद्ध ने बनाया (डॉ. अम्बेडकर)
परमाणू शस्त्र= मुस्लिम ने बनाये (डॉ. कलाम)!

तो ये ब्राह्मन भारत में करते क्या रहे है?
(a) देश को गुलाम बनाते रहे हैं ?
(b) देश,धर्म,संस्कृति, सभ्यता और समाज को कमजोर करते रहे हैं?
(c) देशमें जाति-धर्म के नाम पर दंगा कराते रहे हैं ?
(d) देश को तोड़ते रहे हैं?
(e) देश का धन, 'भय और धर्म' के नाम पर मंदिरों में इकट्ठा करते रहे हैं.

जिस जमाने में 8 वीं पास करने पर सरकारी नौकरी खुद आकर बाँहों में जकड़ लेती थी उस ज़माने में साहेब पोलिटिकल साईंस में MA करके चाय बेचते थे …

कोई झूठे जुमले बोलकर प्रधान मंत्री बनने की हिम्मत नहीं करेगा

दोस्तों एक बात आजतक समझ में नहीं आई कि लोगों को... माता जी आती है, बालाजी आते है, भूत पलीत आता है, चुड़ैल आती है, पितर आते है, पर........
लोगों में बाबा बी० आर० अम्बेडकर क्यों नहीं आते ?
भगत सिंह क्यों नहीं आते ?
चंद्रशेखर आजाद क्यों नहीं आते ?
लक्ष्मी बाई क्यों नहीं आती ?
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस क्यों नही आते ?
शिवाजी और महाराणा प्रताप क्यों नहीं आते ?
बाबासाहब बी० आर० अम्बेडकर क्यों नहीं आते ?
यकीन मानिये जिस दिन ये लोग आने लग गये किसी का भी भारत में झूठे बायदे करके प्रधान मंत्री बनने का साहस नहीं होगा कोई भी माई का लाल देश की जनता को काला धन, मेक इन इंडिया, अच्छे दिन , 15-15 लाख , गंगा सफाई , सबका साथ सबका बिकास ,स्वच्छता अभियान , डीजल पेट्रोल , जेसे झूठे जुमले बोलकर प्रधान मंत्री बनने की हिम्मत नहीं करेगा....
॥वंदेमातरम्॥
जय भीम जय भारत

आप दिमाग से पैदल हैं

आपकी मूर्खता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि हम 15 - 20 साल पढ़ाई में ख़त्म करने के बाद एक पाँचवी फेल पंडित से सलाह लेते हैं कि हमको क्या करना चाहिए या क्या नही करना चाहिए । मतलब आप इंजिनियर वकील डॉक्टर बनकर भी इस लायक नही हुए कि अपना निर्णय खुद ले सको । आपमें इतनी क्षमता विकसित नही हुई जितनी एक पांचवी फेल पंडित में । आप पंद्रह बीस साल खर्च करके भी ये किसी पंडित से पूछते हैं कि घर कब बनाना है । आप दिमाग से पैदल हैं जो अपने घर का निर्माण करने का निर्णय भी खुद नही कर सकते ? पूछा पंडित से घर कब बनेगा और जब घर बनवाने की बारी आई, तब भी शुरुआत करने वो पाँचवी फेल पंडित ही आएगा ।  बच्चा आपने पैदा कर लिया लेकिन पंद्रह वीस साल खर्च करने के बाद भी आप इतना नही सीख पाए कि अपने बच्चों का नाम भी खुद रख पायें । बच्चा आपका है या पांचवी फेल पंडित का ? अब बात शादी की आई तो ये भी तय आप नही कर सकते कि आप शादी कब करोगे ? आपको शादी कब करनी है ये भी एक पांचवी फेल पंडत बताएगा । आपको लड़की / लड़का पसंद है, आपके परिवार वालों को भी पसंद है लेकिन एक पांचवी फेल पंडित ने कह दिया कि इससे शादी करना अच्छा नही होगा तो आप पंद्रह बीस साल खर्च करके भी उस पांचवी फेल पंडित से तुच्छ ही साबित हुए । आप जीवन भर पाँचवी फेल पंडित के आगे झुकते रहे लेकिन जब मरोगे तब भी ये ही पांचवी फेल पंडत तय करेगा कि आपको मरना कैसे है गीता सुनकर, रामायण सुनकर या सत्यनारायण की कथा सुनकर । अब इससे ज्यादा आपकी मूर्खता के प्रमाण और क्या दूं ।
सौ  -  Ravi kumar jatav

तभी हमारा देश महान बनेगा

भारत की 125 करोड़ की आबादी में से 100 करोड़ से ज्यादा आबादी तो SC+ST+OBC, मुस्लिमों, सिखों, ईसाईयों, बौद्धों और पारसियों की है ।

भारत के ज्यादातर SC, ST, OBC, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के खिलाफ हैं ।

लेकिन कुछ मूर्ख सवर्ण हिन्दू अपनी हरामखोरी और सत्ता के चक्कर में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं ।

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की जिद पूरे देश को गृह युद्ध में फंसा देगी । उसके बाद हर तरफ लाशें ही लाशें होंगी । हर तरफ बर्बादी ही बर्बादी होगी ।

अगर भारत में गृह युध्द हुआ तो भारत की सारी महिलायें भी मुश्किल में पढ़ जाएंगी । जिनमे सवर्ण हिंदुओं की माँ, बहन और बेटियां भी शामिल होंगी ।

इसीलिए सवर्ण हिंदुओं को अपनी मूर्खता छोड़ देनी चाहिए । बल्कि भारत की एकता, अखण्डता और धर्म निर्पेक्षता को मज़बूत करना चाहिए ।

हम सबको मिलकर भारत मे एकता लाने के प्रयास करने चाइए तभी हमारा देश महान बनेगा !!

दलित और मुसलमानों का गठजोड़ कोई नया नहीं है.

जब-जब सवर्णों ने दलितों के साथ भेदभाव किया है तब-तब मुसलमानों ने ही समर्थन दिया है, अनेकों परिस्थिति मे दलितों ने भी मुसलमानों को समर्थन दिया है.

ज्योतिबा फुले को जब सवर्णों ने दुत्कार दिया तब उस्मान शेख़ ने ज़मीन दान देकर विद्यालय खुलवाया.

सावित्रीबाई फुले के ऊपर माल-मूत्र फेंका जाता था तब ज्योतिबा फुले के साथ फ़ातिमा शेख़ खड़ी हुई और विद्यालय मे महिला शिक्षा का प्रचलन शुरू किया !.

बाबा साहब अंबेडकर को जब महाराष्ट्र से संविधान सभा मे चुनकर नहीं भेजा गया तब तत्कालीन बंगाल जोगेंद्रनाथ मंडल और बंगाल के प्रधानमंत्री फज़हूल हक़ ने 48% मुस्लिम मतदाता वाले जयसुर और कुलना क्षेत्र से चुनकर संविधान सभा मे भेजा.

उसी डॉ० अंबेडकर को 1952 के आमचुनाव मे मुंबई से एक साधारण व्यक्ति नारायण कजरोलकर से हारना पड़ता है.

कल्पना कीजिये, यदि, अंबेडकर जी बंगाल से संविधान सभा मे नहीं पहुंचे होते तब देश मे दलितों और मुसलमानों की स्थिति क्या होती?

पढ़ना शुरू करो, ईतिहास से बहुत कुछ निकलेगा !

ब्राह्मणों को भी नाली साफ करने और गन्दगी उठाने का कार्य सोपा जाना चाहिए हमेशा अछूत ही क्यों?

भक्तगण अवश्य पढ़े और बेतर्क की बहस ना करे
गाली गलोच करके अपने संस्कारो को ना बताये
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"जब तुम इंसान को पिने के लिए पानी देने से भी इंकार करते हो, जब तुम उन्हें स्कूल(गुरुकुल) में भी पढ़ने नही देते,तो तुम्हे क्या अधिकार है की अपने लिए अधिक अधिकार की मांग करो?
जब तुम एक इंसान को समान अधिकार देने से भी इंकार करते हो तो तुम अधिक राजनितिक अधिकार मांगने के अधिकारी कैसे बन गए?"
बात बिलकुल खरी है!लेकिन यह क्योकि एक मुस्लिम ने कही है इसलिए हिन्दू भक्त कहेंगे की देखो वह उन अछूतों को मुसलमान बनाकर अपने में शामिल करना चाहते है!
जब तुम उन्हें इस तरह पशुओ से भी गया-बिता समझोगे तो वह जरूर ही दूसरे धर्मो में शामिल हो जायेंगे!
जिनमे उन्हें अधिक अधिकार मिलेंगे,जहा उनसे इंसानो जैसा व्यवहार किया जायेगा!फिर कहना की देखो जी ईसाई,मुस्लिम और बौद्ध लोग हिन्दू धर्म को नुकसान पंहुचा रहे है,व्यर्थ होगा!
कितना सपष्ट कथन है लेकिन यह सुनकर सभी तिलमिला उठते है!ठीक इसी तरह की चिंता हिन्दुओ को भी हुई!सनातनी पंडित भी कुछ न कुछ इस मसले पर सोचने लगे!
आज मंदिरो में लोगो को इसलिए नही घुसने दिया जाता की आज भी लोग उन्हें अछूत मानते है,बात आरक्षण की करे तो कहते है आरक्षण हमे आर्थिक आधार पर चाहिए बहुत खूब जनाब!
आरक्षण:-
              आप शोषण करो जाति आधार पर और आरक्षण चाहिए आर्थिक आधार पर वाह क्या सोच है!
मंदिर की बात करे तो आरक्षण सिर्फ ब्राह्मण को ही क्यों वहा भी अछूत को पूजा करने दो आप तो जन्मों से पूजा करते आ रहे हो अब कुछ दिन इन्हें भी पूजा करने दो !
इनका भी तो होगा भगवान,अब भला भगवान भी छुआछूत करता है यदि नही तो आप क्यों करते हो?
ब्राह्मणों को भी नाली साफ करने और गन्दगी उठाने का कार्य सोपा जाना चाहिए हमेशा अछूत ही क्यों?
अब भक्त गण का नाराज होना तो स्वाभविक ही है आखिर उनका भगवान लोगो से छुआछुत जो करता है!
दलितों की महिलाओ के साथ रोज हो रहे अत्याचारो की खबरे अखबार में देखने को मिल रही है अब भक्त गण ये नही कहेंगे की आरक्षण की जरुरत इनको ज्यादा है बस अपनी धुन में लगे हुए है
आप छुआछूत तो जाति देखकर करते है और आरक्षण आर्थिक आधार पर ये कितना न्यायोचित है?
खैर पोस्ट को ज्यादा लम्बा नही करूँगा भक्तो से निवेदन है बेतर्क बहस ना करे
ये मेरे निजी विचार है किसी के दिल को ठेश पहुची हो तो क्षमा चाहता हु
धन्यवाद
लेखक:-#जयसिंह_नारेड़ा

भगवान की जरूरत कमजोर के लिए है ।

अंतिम सत्य......

जब सतयुग आया तब अछूत यानि चमार चमार रहा बालमीक बालमीक रहा यानि कोई बदलाव नही हुआ ।
त्रेता युग में राम आया तब भी अछूत यानि चमार चमार रहा बालमीक बालमीक रहा। यानि कोई बदलाव नही हुआ ।
द्वापर युग में कृष्ण आया तब भी अछूत यानि चमार चमार रहा बालमीक बालमीक रहा। यानि कोई बदलाव नही हुआ ।
फिर आया कलयुग, कलयुग में गुरु रविदास आये क्रांति हुई और बदलाव हुआ ।
फिर आये बाबा साहब भीम राव आंबेडकर ऐसा बदलाव हुआ एक एक अधिकार हमे लिख केर दे दिया।
तो साथियो असली भगवन कौन हुआ ये मुझे बताने की जरूरत नही।
वैसे बाबा साहब ने कहा था
कि भगवान की जरूरत कमजोर के लिए है ।
अगर आप कमजोर हो तो भी और नही हो तो भी गुरु रविदास और बाबा साहब को जानो और उनका लिखा हुआ इतिहास पढ़ो और उन को ही मानो।
जय भीम जय बुद्ध

पानी का ठेकेदार तथाकथित इंद्र कहाँ गया

निरर्थक भगवानों का बहिस्कार कीजिये...

आज देश सूखे की भयंकर त्रासदी से गुजर रहा है बिना पानी के इंसान भूखे प्यासे मरने के लिए बाध्य है पशु पक्षी और जानवरों का बहुत बुरा हाल है अन्नदाता किसान बिना पानी मरने और आत्महत्या करने पर मजबूर है मुझे लगता इस त्रासदी से भारत में आज भी कम से कम 33 करोड़ लोग ग्रसित होंगे फिर ब्राम्हणों के निर्दयी 33 करोड़ देवी देवता किधर गए कहाँ गया पानी का ठेकेदार तथाकथित इंद्र कहाँ गया तीनो लोको की रक्षा करने वाला विष्णु. देश की कम से कम तीन चौथाई आबादी चिलम वाले शंकर को पुज कर उसपर भरोषा करती है क्या सिर्फ इसलिए की लोग भूंखे प्यासे मरें .कहाँ गया पर्वत उठाने वाला कृष्ण कहाँ गया पालनहार राम कहाँ गया संकटमोचन हनुमान कहाँ गया सबकुछ देनेवाला गणेश क्या दुर्गा सरस्वती लक्ष्मी काली सभी के आँखों में पट्टी बंधी है कुछ दिखाई नही देता है कहा गया लोगो को मुर्ख बनाकर लूटने वाला साईं और शनि.और मजे की बात यह है कि इस भूख प्यास से मरने वाले वही निरीह निर्दोष लोग है जो रात दिन इन्ही 33 करोड़ धूर्तों के भजन गाते है पशु पक्षी जानवर भी इन्ही की देन है फिर इन्होंने क्या बिगाड़ा जो इन्हें प्यासा मारा जा रहा है सायद इसका जवाब न मूर्खों के पास है न धूर्तों के पास क्योंकि इसका जवाब कुछ हो ही नही सकता है.
लेकिन एक बात तो सच है की ये देश खुद के कुछ करने से चलता है और चलता है बाबा भीम के संविधान से जिन्होंने कहा था उठो जागो और खुद के लिए कुछ करो अन्यथा भूंखे नंगे और प्यासे मरो .तुम जिस पत्थर को पूजकर अपना सत्यानास करते हो अगर उसी पत्थर को सीढ़ी बनाकर अगला कदम बढ़ाओगे तो तुम्हे तुम्हारी सफलतम मंजिल जरूर मिल जायेगी.
अन्यथा आज ऐसे भगवान् का क्या प्रयोजन जो तुम्हे पानी भी नही दे सकता उलटे प्यासा मार रहा है ये वक़्त है खुद के सोचने का और मूर्खता पाखण्ड देवी देवता और भगवानो से बाहर निकलने का अन्यथा भूख प्यास का सिलसिला झूठे मक्कार देवी देवताओं और भगवानो के दम पर सायद कभी खतम नही होगा

सौ- भीम पुत्र अजय अम्बेडकर
      जौनपुर उत्तर प्रदेश

आरक्षित वर्ग की एक पोस्ट के इंटरव्यू का एक दृश्य

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अधिकारी -     यह नौकरी मैं सामान्य वर्ग को क्यों न दूं

अभ्यर्थी  -    संविधान के आरक्षण के तहत ये जगह मुझे ही मिलनी चाहिए

अघिकारी -  कौनसे संविधान की बात करते हो आप, मनुस्मृति या बाबा साहब का संविधान

अभ्यर्थी - बाबा साहब का भारतीय संविधान

अधिकारी - मान लो ये नौकरी आपको दी, तो ये बताओ, इस खुशी में आप घर जाकर क्या करोगे

अभ्यर्थी - घर जाकर परिवार के साथ मंदिर  देवी देवताओं की पूजा करने जाऊगा, और पहली तनख्याह से देवी मइया का चोला चढ़ाऊँगा

अधिकारी - अच्छा !! नौकरी तो बाबा साहब के संविधान से चाहिए, और अहसान मनु प्रदत्त देवताओं को चुकाओगे

अधिकारी - वाह ! पाखन्डी, चल हट,,, चलो अगले को बुलाओ

मोबाइल से जुडी ऐसी बातें जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती

मोबाइल  से  जुडी  कई  ऐसी  बातें  जिनके  बारे  में  हमें  जानकारी  नहीं  होती  लेकिन  मुसीबत  के  वक्त  यह  मददगार  साबित  होती  है ।

         इमरजेंसी नंबर ---

            दुनिया  भर  में  मोबाइल  का  इमरजेंसी  नंबर  112  है । अगर  आप  मोबाइल  की  कवरेज  एरिया  से  बाहर  हैं
तो  112  नंबर  द्वारा  आप  उस  क्षेत्र  के  नेटवर्क  को  सर्च  कर  लें। ख़ास  बात  यह  है  कि  यह  नंबर  तब  भी  काम  करता  है  जब  आपका  की  पैड  लौक  हो।

             जान  अभी  बाकी  है---

               मोबाइल  जब  बैटरी  लो  दिखाए  और  उस  दौरान  जरूरी  कॉल  करनी  हो, ऐसे  में  आप  *3370#  डायल  करें । आपका  मोबाइल  फिर  से   चालू  हो  जायेगा और  आपका  सेलफोन  बैटरी  में  50  प्रतिशत  का  इजाफा  दिखायेगा। मोबाइल  का  यह  रिजर्व  दोबारा  चार्ज  हो  जायेगा  जब आप  अगली  बार  मोबाइल  को  हमेशा  की  तरह  चार्ज  करेंगे।

           मोबाइल  चोरी  होने पर---

              मोबाइल  फोन  चोरी  होने  की स्थिति  में  सबसे  पहले  जरूरत  होती  है,  फोन  को  निष्क्रिय  करने  की  ताकि  चोर  उसका  दुरुपयोग  न  कर  सके । अपने  फोन  के  सीरियल  नंबर  को  चेक  करने  के  लिए  *#06#  दबाएँ । इसे  दबाते  ही  आपकी  स्क्रीन  पर  15  डिजिट  का  कोड  नंबर  आयेगा। इसे  नोट  कर  लें  और  किसी  सुरक्षित  स्थान  पर रखें। जब  आपका  फोन  खो  जाए  उस  दौरान  अपने  सर्विस  प्रोवाइडर  को  ये  कोड  देंगे  तो  वह  आपके  हैण्ड  सेट  को  ब्लोक  कर  देगा।

             कार की चाभी खोने पर ---

             अगर  आपकी  कार  की  रिमोट  की लेस  इंट्री  है। और  गलती  से  आपकी  चाभी  कार  में  बंद  रह  गयी  है। और दूसरी  चाभी  घर  पर  है। तो  आपका  मोबाइल  काम  आ  सकता  है। घर  में  किसी  व्यक्ति  के  मोबाइल  फोन  पर  कॉल  करें। घर  में  बैठे  व्यक्ति  से  कहें  कि  वह  अपने  मोबाइल  को  होल्ड  रखकर  कार  की  चाभी  के  पास  ले जाएँ और  चाभी  के  अनलॉक बटन  को  दबाये। साथ  ही  आप  अपने  मोबाइल  फोन  को  कार  के  दरवाजे  के  पास  रखें....। दरवाजा खुल जायेगा।

है न विचित्र किन्तु सत्य......!!!

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एंड्राइड मोबाइल यूजर के काम के कोड
1. Phone Information, Usage and Battery – *#*#4636#*#*

2. IMEI Number – *#06#

3. Enter Service Menu On Newer Phones – *#0*#

4. Detailed Camera Information –*#*#34971539#*#*

5. Backup All Media Files –*#*#273282*255*663282*#*#*

6. Wireless LAN Test –*#*#232339#*#*

7. Enable Test Mode for Service –*#*#197328640#*#*

8. Back-light Test – *#*#0842#*#*

9. Test the Touchscreen –*#*#2664#*#*

10. Vibration Test –*#*#0842#*#*

11. FTA Software Version –*#*#1111#*#*

कभी हल न होने वाली पहेली???

एक बार तथागत बुद्ध से एक विद्वान पंडित ने पूछा पंडित- "आप सब लोगो को ये बताते है कि आत्मा नहीं, स्वर्ग नहीं, पुनर्जन्म नहीं। क्या यह सत्य है?
बुद्ध- "आपको ये किसने बताया के मैंने ऐसा कहा?
पंडित- "नहीं ऐसा किसी ने बताया नहीं।
बुद्ध - "फिर मैंने ऐसे कहा ये बताने वाले व्यक्ति को आप जानते हो??पंडित- "नहीं।
बुद्ध- "मुझे ऐसा कहते हुए आपने कभी सुना है?
पंडित- "नहीं तथागत, पर लोगो की चर्चा सुनके ऐसा लगा। अगर ऐसा नहीं है तो आप क्या कहते है?
बुद्ध- "मैं कहता हूँ  कि मनुष्य को वास्तविक सत्य स्वीकारना चाहिए।पंडित- "मैं समझा नहीं तथागत, कृपया सरलता में बताइये।
बुद्ध- "मनुष्य की पांच बाह्यज्ञानेंद्रिय है। जिसकी मदद से वह सत्य को समझ सकता है।
"1)आँखे- मनुष्य आँखों से देखता है।
2)कान- मनुष्य कानो से सुनता है।

3)नाक- मनुष्य नाक से श्वास लेता है।
4)जिव्हा- मनुष्य जिव्हा से स्वाद लेता है।
5)त्वचा- मनुष्य त्वचा से स्पर्श महसूस करता है।
इन पांच ज्ञानेन्द्रियों में से दो या तीन ज्ञानेन्द्रियों की मदद से मनुष्य सत्य जान सकता है।
पंडित- "कैसे तथागत?
बुद्ध- "आँखों से पानी देख सकते है, पर वह ठण्डा है या गर्म है ये जानने के लिए त्वचा की मदद लेनी पड़ती  है, वह मीठा है या नमकीन ये जानने के लिए जिव्हा की मदद लेनी पड़ती है।
पंडित- "फिर भगवान है या नहीं इस सत्य को कैसे जानेंगे तथागत?

बुद्ध- "आप वायु को देख सकते है?पंडित- "नहीं तथागत।
बुद्ध- "इसका मतलब वायु नहीं है ऐसा होता है क्या?
पंडित- "नहीं तथागत।
बुद्ध- "वायु दिखती नहीं फिर भी हम उसका अस्तित्व नकार नहीं सकते, क्योंकि हम वायु  को ही हम साँस के द्वारा अंदर लेते है और बाहर  निकालते है। जब वायु का झोंका आता है तब पेड़-पत्ते हिलते है, ये हम देखते है और महसूस करते है।अब आप बताओ भगवान हमें पांच ज्ञानेन्द्रियों से महसूस होता है?
पंडित- "नहीं तथागत।
बुद्ध- "आपके माता पिता ने देखा है, ऐसे उन्होंने आपको बताया है?
पंडित- "नहीं तथागत।
बुद्ध- "फिर परिवार के किसी पुर्वज ने देखा है, ऐसा आपने सुना है?
पंडित- "नहीं तथागत।
बुद्ध- "मैं यही कहता हूँ कि जिसे आजतक किसी ने देखा नहीं, जिसे हमारी ज्ञानेन्द्रियों से जान नहीं सकते, वह सत्य नहीं है इसलिए उसके बारे में सोचना व्यर्थ है।
पंडित- "वह ठीक है तथागत, पर हम जिन्दा है इसका मतलब हमारे अंदर आत्मा है, ये आप मानते है या नहीं?बुद्ध- "मुझे बताइये, मनुष्य मरता है, मतलब क्या होता है?
पंडित- "आत्मा शरीर के बाहर निकल जाती है, तब मनुष्य मर जाता है।
बुद्ध- "मतलब आत्मा नहीं मरती है?पंडित- "नहीं तथागत, आत्मा अमर है।
बुद्ध- "आप कहते है आत्मा कभी मरती नहीं, आत्मा अमर है। तो ये बताइये आत्मा शरीर छोड़ती है या शरीर आत्मा को??
पंडित- "आत्मा शरीर को छोड़ती है तथागत।
बुद्ध- "आत्मा शरीर क्यों छोड़ती है?पंडित- "जीवन ख़त्म होने के बाद छोड़ती है।
बुद्ध- "अगर ऐसा है तो मनुष्य कभी मरना नहीं चाहिए। दुर्घटना, बीमारी, घाव लगने के बाद भी बिना उपचार के जीना चाहिए। बिना आत्मा की मर्ज़ी के मनुष्य नहीं मर सकता।
पंडित- "आप सही कह रहे है तथागत। पर मनुष्य में प्राण है, उसे आप क्या कहेंगे?
बुद्ध- "आप दीपक जलाते है?
पंडित- "हाँ तथागत।
बुद्ध- "दीपक यानी एक छोटा दिया, उसमे तेल, तेल में बाती और उसे जलाने के लिए अग्नि चाहिए, बराबर?
पंडित- "हा तथागत।
बुद्ध- "फिर मुझे बताइये बाती कब बुझती है?
पंडित- "तेल ख़त्म होने के बाद दीपक बुझता है तथागत।
बुद्ध- "और?
पंडित- "तेल है पर बाती ख़त्म हो जाती है तब दीपक बुझता है तथागत।
बुद्ध- "इसके साथ तेज वायु के प्रवाह से, बाती पर पानी डालने से, या दिया टूट जाने पर भी दीपक बुझ सकता है। अब मनुष्य शरीर भी एक दीपक समझ लेते है, और प्राण मतलब अग्नि यानि ऊर्जा। सजीवों का देह चार तत्वों से बना है।
1) पृथ्वी- घनरूप पदार्थ यानि मिटटी
2) आप- द्रवरूप पदार्थ यानि पानी, स्निग्ध और तेल
3) वायु- अनेक प्रकार की हवा का मिश्रण
4) तेज- ऊर्जा, ताप, उष्णता         इसमें से एक पदार्थ अलग कर देंगे,  ऊर्जा और ताप का निर्माण होना रुक जायेगा, मनुष्य निष्क्रिय हो जायेगा। इसे ही मनुष्य की मृत्यु कहा जाता है।         इसलिये आत्मा भी भगवान की तरह अस्तित्वहीन है।यह सब चर्चा व्यर्थ है। इससे धम्म का समय व्यर्थ हो जाता है।
पंडित- "जी तथागत, फिर धम्म क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
बुद्ध- "धम्म का मतलब अँधेरे से प्रकाश की और ले जाने वाला मार्ग है। धम्म मनुष्यो का उद्देश्य मनुष्य के जन्म के बाद मृत्यु तक कैसे जीवन जीना है इसका मार्गदर्शन करना है। कोनसे कार्य करने से कोनसे परिणाम होंगे, और मानव जीवन किस तरह से सुखमय और दुःखमुक्त हो सकता है इसका मार्गदर्शन धम्म मनुष्य करते है।
पंडित- "धन्यवाद् तथागत।
बुद्ध- "भवतु सब्ब मंगलम्"

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