नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के सांसद इदरिस अली ने प्रधानमंत्री मोदी पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है. इदरिस ने कहा है कि पठानकोट हमले के आतंकवादियों से मोदी का कनेक्शन है.
अली ने मंगलवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक
जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे लगता है
कि मोदी का संबंध आतंकियों से है. आखिर उनके
पाकिस्तान दौरे के ठीक बाद यह हमला क्यों
हुआ?” अली ने हालांकि कहा कि यह उनकी निजी राय है.
इस आपत्तिजनक बयान के बाद बीजेपी और लेफ्ट ने ममता बनर्जी से इदरीस अली पर कार्रवाई करने की मांग की है वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी बयान से किनारा करते हुए इदरीस को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.
तृणमूल ने उनके खिलाफ कार्रवाई का वादा किया है. तृणमूल के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है, “यह टिप्पणी बहुत गलत है और पार्टी इस तरह के विचारों का समर्थन नहीं करती. उनसे इस पर लिखित में जवाब
मांगा गया है. पार्टी इस पर उचित कार्रवाई
करेगी.”
आपको यहां याद दिला दें कि इदरिस अली वही
नेता हैं जिन्होंने कुछ समय पहले माकपा नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री गौतम देब का हाथ-पैर काटने की धमकी भी दी थी.
गुरुवार, 7 जनवरी 2016
TMC सांसद ने आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा- पठानकोट हमले के आतंकवादियों से मोदी का है कनेक्शन
झारखंड का मूल निवासी कौन?
झारखंड में ऐसा लगता है कि स्थानीयता के मुद्दे पर
आंदोलन एक बार फिर ज़ोर पकड़ने लगा है.
आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच ने
बीते दिनों इस मुद्दे पर एक दिन का झारखंड बंद
भी रखा था. इसमें बड़ी संख्या में लोग
झंडे-बैनर के साथ सड़कों पर उतरे. इस बंद को कई
राजनीतिक दलों और संगठनों ने भी
समर्थन दिया.
आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के मुख्य
संयोजक राजू महतो कहते हैं, "हमारा ज़ोर इस बात पर है कि
जिनके पास अपने या पूर्वजों के नाम ज़मीन आदि का
ख़तियान है, उन्हें ही स्थानीय माना जाए
और उन्हें ही सरकारी नौकरियां
दी जाएं."
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड की नौ
क्षेत्रीय भाषाओं को समान रूप से लागू करते हुए इसे
प्रतियोगिता परीक्षाओं और बीएड के
पाठ्यक्रम में लागू किया जाए.
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष
प्रेमशाही मुंडा कहते हैं, "सरकार ने वादा किया था कि
साल 2015 में 15 नवंबर को स्थानीयता से
जुड़ी नीति घोषित की
जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जब तक
स्थानीयता तय नहीं होती,
नौकरी देने पर रोक रखी जाएं".
यहां ज़मीन का अंतिम सर्वेक्षण, सर्वे रिकार्डस
ऑफ राइट्स वर्ष 1932 में हुआ था. इन संगठनों की
मांग है कि उस सर्वे के आधार पर जिनके पास ज़मीन
है, उन्हें स्थानीय माना जाए.
उसके बाद बड़ी संख्या में लोग यहां आकर बसे हैं जो
नौकरी करते हैं या व्यापार करते हैं और
यहीं के हो गए हैं. जमशेदपुर, रांची.
धनबाद, बोकारो, रामगढ़ जैसे औद्योगिक शहरों में ऐसे लोग
बड़ी संख्या में रहते हैं.
झारखंड में लंबे समय से मांग भी उठती
रही है कि छत्तीसगढ़ की
तर्ज पर झारखंड के अलग राज्य बनने की
तारीख़ से स्थानीयता की
परिभाषा तय हो. राजनीतिक दलों के अंदर
भी यह आवाज़ उठती रही
है कि जो झारखंड में रहता है उसे झारखंडी माना
जाए.
वर्ष 2002 में बाबूलाल मरांडी की सरकार
के कार्यकाल के दौरान कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग
ने स्थानीयता की परिभाषा तय
की थी.
उसके मुताबिक़, किसी ज़िले के वे लोग
स्थानीय माने जाएंगे जिनका स्वयं के या पूर्वजों के नाम
ज़मीन, वासडीह आदि पिछले सर्वे ऑफ़
रिकॉर्डस में दर्ज़ हो.
इसके जारी होने के बाद राज्य में हिंसा की
कई घटनाएं हुई थीं और सरकार के फ़ैसले पर कई
तरह के सवाल भी उठाए गए थे.
इस मामले को लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिका भी
दाख़िल की गई थी.पांच सदस्यों
की खंडपीठ ने सरकार के फ़ैसले को
खारिज करते हुए कहा था कि वह स्थानीय व्यक्ति
की परिभाषा फिर से तय करे.
15 वर्षों में इस नीति के तय नहीं होने
पर सियासत भी होती रही
है. इसके लिए कम से कम छह बार सर्वदलीय
बैठकें हुई हैं. नीति तय करने के लिए
सरकारी स्तर पर चार बार उच्च स्तरीय
समिति भी बनी है, लेकिन कोई
नतीजा नहीं निकला.
अब इसी मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री और
वर्तमान में विपक्षी दल के नेता हेमंत सोरेन ने कहा
है कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति
तय होनी चाहिए. जबकि हेमंत सोरेन भी
मुख्यमंत्री रहते हुए इस मुद्दे का कोई हल
नहीं निकाल सके थे.
वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद पिछले साल अप्रैल में
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मुद्दे पर
सर्वदलीय बैठक भी बुलाई
थी और सभी दलों से लिखित तौर पर सुझाव
मांगे थे.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम मित्तल कहते हैं,
"हमारी सरकार इस मामले में गंभीर है.
हेमंत सोरेन को इस मुद्दे पर सरकार पर किसी तरह
का आरोप लगाने का अधिकार नहीं है, भाजपा और
सरकार, नियोजन नीति की भी
पक्षधर है".
वहीं छात्र तथा मजदूर नेता उदयशंकर ओझा कहते
हैं "इस मुद्दे पर अब तक केवल राजनीति
होती रही है. गेंद इस पाले से उस पाले
में, लेकिन गोल नहीं होता. अब तो 15 साल हो गए,
यहां कोई स्थानीय नीति की
जरूरत नहीं है. कट ऑफ़ डेट को लेकर सवाल होना लाज़मी है.
अब सरकार को नियोजन नीति तय करनी चाहिए ताकि नौकरियों में प्राथमिकता तय हो सके".
आमिर ख़ान 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर हैं या नहीं
आमिर ख़ान 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर हैं या नहीं इसे लेकर पर्यटन मंत्रालय और पर्यटन
मंत्री के अलग-अलग बयान आए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के
मुताबिक़ केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति
मंत्री महेश शर्मा ने आमिर ख़ान के साथ क़रार ख़त्म होने की पुष्टि की है.
इससे कुछ घंटे पहले भारतीय मीडिया
की कुछ रिपोर्ट्स में आमिर ख़ान को 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर से हटाए जाने की ख़बरें आईं थीं, और पर्यटन मंत्रालय ने इनका खंडन किया था.
दरअसल, आमिर ख़ान के ब्रैंड एंबेसडर रहने-नहीं रहने को लेकर दिनभर अटकलें लगाई जाती रहीं.
भारतीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस
नोट में कहा गया है कि आमिर ख़ान अपनी भूमिका निभाते रहेंगे.
मंत्रालय ने इस और भी स्पष्ट करते हुए कहा कि
मंत्रालय ने इस अभियान के लिए विज्ञापन एजेंसी मैककैन वर्ल्डवाइड से क़रार किया हुआ है और इस अभियान में आमिर ख़ान होंगे.
लेकिन इसके बाद केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति
मंत्री महेश शर्मा ने कहा क़रार खत्म हो गया.
आमिर ख़ान ने पिछले दिनों कहा था कि उनका परिवार सांप्रदायिक तनाव की वजह से देश में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है.
उन्होंने एक मीडिया इवेंट में ये कहा था कि
उनकी पत्नी किरण राव देश में
असहिष्णुता के बढ़ते माहौल में देश से बाहर जाने का विचार करने लगी थीं.
हालांकि बाद में आमिर ने यह भी कहा कि उनका और उनके परिवार का न तो देश छोड़ने का इरादा था और न है.
उनके इस बयान पर मीडिया में काफ़ी
प्रतिक्रिया देखने को मिली थी और आशंका
जताई जा रही थी कि हो सकता है कि
उन्हें 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर से हटा दिया जाए.
लोकप्रिय पोस्ट
-
पठानकोट विशेष: जब वो युद्ध में घायल हो जाता है तो अपने साथी से बोलता है : “साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना; यदि हाल मेरी माता...
-
मनोजभाई हडीयल स्व : 2/January/2016 मैंने एक अच्छा मित्र खो दिया! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति...
-
भारत में लॉन्च हुआ मात्र 251 रुपये का सबसे सस्ता स्मार्टफोन Freedom251 ने दुनिया के सबसे सस्ते स्मार्टफोन को लॉन्च किया है। कंपनी Ringing ...
-
एक विशेष जानकारी राजस्थान मे उदयपुर शहर से बिस किमी दुर उमरड़ा एक गांव है वहां पर एक पैसिफिक नाम का होस्पिटल है जहां पर हर तरह कि बिमारी का...
-
दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस बस्सी ने सोमवार को बलात्कारियों से जुड़ा एक बड़ा बयान दे डाला है. उन्होंने कहा कि अगर देश का कानून इजाजत दे तो ...
-
आज कलम का कागज से, मै दंगा करने वाला हूँ। मीडिया की सच्चाई को मैं, नंगा करने वाला हूँ। मीडिया जिसको लोकतंत्र का, चौंथा खंभा होना था। खबरों क...
-
मुसलमानों को निशाना बनाकर वो हिन्दू को एकजुट कर वोट बैंक बनाती है, और दलितों को ये संघी जानते है की ये लतखोर हैं, ये कितना भी लात खायेंगे,...
-
Copy paste आप सभी साथी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे हजारो वर्षो पहले एशिया महाद्वीप में एक राजवंश रहा करता था जिसे हम इक्ष्वाकु राजवंश या सूर...
-
अगर आप भी इस फोन को यूज करना चाहते हैं तो आपको दो मई का इंतजार करना होगा. इस मोबाइल फोन को भारत की ही कंपनी ‘डोकोस’ लेकर आ रही है. कंपनी ...
-
1. Recruitment Services You can start your own firm of providing recruitment services to other companies. You just need good data of can...