बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

एक्टर इरफान खान बोले- किसी भी मुद्दे पर राय देना हमारा भी हक,

अभिनेता इरफान खान का मानना है कि जानी-
मानी शख्सियतें भी इस देश के हिस्सा हैं
और उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय
व्यक्त करने का अधिकार है। इरफान, असहिष्णुता के बहस में
शामिल होने वाले नये सितारे हैं और उन्होंने कहा है कि
प्रगतिशील समाज के लिए किसी एक का
मुंह बंद करना कोई स्वस्थ संकेत नहीं है। बुधवार
रात यहां पर एनडीटीवी इंडिया
के इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘मुझे
यह काफी अजीब लगता है जब कुछ
लोग कहते हैं कि अभिनेताओं को अभिनय करना चाहिए और
उन्हें मुद्दों पर अपना विचार व्यक्त नहीं करना
चाहिए। हर किसी को अपने दिमाग से बोलने और चिंता
व्यक्त करने का अधिकार है। अगर आप चुप रहने के लिए
कहते हैं तब यह एक प्रगतिशील और स्वस्थ्य
समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है।’’
‘लाइफ ऑफ पाई’ के 49 वर्षीय अभिनेता का मानना है
कि विचार व्यक्त करना व्यक्तिगत रुख होता है और अगर कोई
अपना विचार व्यक्त नहीं करता है तो यह अच्छा
है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक व्यक्तिगत मामला है। कुछ लोगों
को प्रतिक्रिया व्यक्त करने की प्रवृत्ति
होती है जबकि कुछ लोगों में नहीं
होती है।’’
इरफान ने कहा, ‘‘जब एंग ली यहां आए तो उनसे
उनके देश की राजनीति के बारे में पूछा गया।
और उन्होंने कहा कि वह राजनीति पर
नहीं बात करते हैं। यह मुद्दा (असहिष्णुता) खबरों
में रहा है। हम जो कहना चाहते हैं, उसे कहने में सुरक्षित
महसूस करना चाहिए। हमें खुद को अभिव्यक्त करने में आजाद
होना चाहिए।’’

रोहित वेमुला अगर

रोहित वेमुला अगर एससी है तो भी ओबीसी और एसटी साथ है..
रोहित वेमुला अगर ओबीसी है तो भी एससी और एसटी साथ है..
रोहित वेमुला अगर एसटी है तो भी ओबीसी और एससी साथ है..
रोहित वेमुला अगर भारतीय है तो भी एससी,ओबीसी और एसटी साथ है..
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एससी है तो हिन्दू है या नहीं?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एसटी है तो हिन्दू है या नहीं?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर ओबीसी है तो हिन्दू है या नहीं?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एससी और हिन्दू है तो बजरंग दल कहाँ है?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर ओबीसी और हिन्दू है तो RSS कहा है?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एसटी और हिन्दू है तो भाजपा किधर है?

"अवार्ड वापसी पार्ट -2"

2014 में नई सरकार के बनने से कुछ बेलगाम मन्त्रियों के बयानों व हरकतों ने सरकार के मुख्यिाओं की नींद हराम कर दी थी पर आकाओं के कहने पर प्रधान सेवक जी ने महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दों पर ऐसी चुप्पी साधी कि सब confused हो गए कि यार जनाब extrovert से introvert कब बनते हैं पता ही नहीं चलता.फिर ऐसे समय में ही देशभर के बुद्धिजीवी वर्ग का मन कचोटने लगा चाहे वो कलबुर्गी हत्याकांड हो या दादरी घटना हो या सुनपेड़ काडं. अपना विरोध जताने के लिए इस वर्ग ने चाहे वो कलाकार,लेखक,चित्रकार, मूर्तिकार आदि कोई भी हो बहुत ही कारगर व मारक क्षमता वाला तरीकाअपनाया-- अपने अवार्डस वापिस लौटा कर.पर ऐसे समय पर चमचों और अन्धभक्तों की जमात बुद्धिजीवी वर्ग के विरोध में खड़ी हो गई खेर साहब के नेतृत्व में संसद तक मार्च करने के लिए.अब बारी आई इस बार के पुरस्कार वितरण की तो अन्धा बांटे रेवड़ियां अपने-अपनों को दे क्योंकि"सबका साथ-सबका विकास" बस एक चुनावी जुमला भर था यह बात हमें इस तरह पता लगती है कि

पद्मविभूषण 10 को जिसमें सवर्ण 10, पिछड़ा 0, दलित 0, अल्पसंख्यक 0।

पद्मभूषण 19 को जिसमें सवर्ण 17, पिछड़ा 0, दलित 0, अल्पसंख्यक 2।

पद्मश्री 83 को जिसमें सवर्ण 79, पिछड़ा 1, दलित 0, अल्पसंख्यक 3।

अब ये पुरस्कार पाने वाले कुछ तो वैसे ही अन्धभक्त हैं कि तुम दिन को अगर रात कहो तो रात कहेंगें और बाकियों को येन-केन-पर्कारेण इस बात के लिए तैयार कर लिया जाएगा कि अगली सरकार अगर दूसरी पार्टी की आ गई तो हर छोटी से छोटी घटना पर ये भी अवार्डस वापिस कर सकें.कुछ को मीडिया फुटेज मिलेगी और कुछ अन्धभक्ति व वफादारी दिखाऐंगें.धूम और गोलमाल श्रंखला(series) के अलावा आना वाला युग politically motivated अवार्ड वापसी पार्ट 2,3,4 etc.द्वारा आम जन का बहुत मनोरंजन करेगा.

मोदी सरकार को भी नहीं पता क्या है स्मार्ट सिटी

आज केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी में
हर शहर शामिल होना चाहता है और जिन शहरों को इसमें
जगह नहीं मिली है वह नाराज दिख
रहे हैं. पर अगर केन्द्र सरकार की मानें तो उन्हें
खुद ही नहीं पता कि स्मार्ट
सिटी क्या है और इन सिटी में क्या खास
होता है ? जी हां आपको सोचकर थोड़ा आश्चर्य
होगा लेकिन ये सच है.
शहरी विकास मंत्रालय की वेबसाइट के
अनुसार, स्मार्ट सिटी का क्या मतलब है? सरकार का
कहना है कि ये अभी तक पूरी तरह
से निर्धारित नहीं है. यही
नहीं दुनियाभर में भी इसके लिए कोई एक
परिभाषा नहीं है. हर व्यक्ति के लिए
इसकी परिभाषा अलग-अलग है.
सरकार का कहना है कि आमतौर पर यहां रहने वाले लोगों के
रहन-सहन, विकास और आधुनिक दौर के हिसाब से खुद को
बदलने की इच्छा ही स्मार्ट
सिटी का प्रारूप तैयार करता है. ये हर देश प्रारूप के
हिसाब से अलग-अलग ही होती है.
फिर चाहे वह भारत हो या फिर यूरोप.
गौरतलब है कि केंद्रीय शहरी विकास
मंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को स्मार्ट
सिटी के रूप में विकसित किए जाने वाले पहले 20
शहरों के नामों की घोषणा की है. इन
शहरों को 2016 तक स्मार्ट सिटी बना दिया जाएगा.
स्मार्ट सिटी के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले शहर
हैं- भुवनेश्वर (उड़ीसा), पुणे (महाराष्ट्र), जयपुर
(राजस्थान), सूरत (गुजरात), कोच्चि (केरल), अहमदाबाद
(गुजरात), जबलपुर (मध्य प्रदेश), विशाखापत्तनम (आंध्र
प्रदेश), शोलापुर (महाराष्ट्र), देवांगिरी (कर्नाटक),
इंदौर (मध्य प्रदेश), नई दिल्ली म्यूनिसिपल
कॉरपोरेशन (एनडीएमसी,
दिल्ली), कोयंबटूर (तमिलनाडु), काकीनाडा
(आंध्र प्रदेश), बेलागावी (कर्नाटक), उदयपुर
(राजस्थान), गुवाहाटी (असम), चेन्नई (तमिलनाडु),
लुधियाना (पंजाब) और भोपाल (मध्य प्रदेश).

लोगो को बेवकुफ बनाने के लिये राम मंदिर का मुद्दा ही काफी है

अपने विवादित बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले दिगविजय
सिंह ने एक बार फिर कुछ ऐसा कहा है जो कांग्रेस को कटघड़े में
खड़ा कर सकता है। एक ट्वीट कर दिगविजय ने कहा
है कि केंद्र सरकार ने यूपी में एक भी
स्मार्ट सिटी इसलिए नहीं दी
क्योंकि यूपी की जनता को बेवकूफ बनाने
के लिए राम मंदिर का मुद्दा ही काफी है।
आपको बता दें कि वृहस्पतिवार को ही
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री
वैंकैया नायडू ने पहले चरण में बनने वाले 20 स्मार्ट
सिटी के नामों का एलान किया था जिसमें यूपी
से एक भी शहर का नाम नही था

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