मंगलवार, 8 मार्च 2016

तोते की आजादी! ☘

लोगो के जुलूसो द्वारा लगाये  गये नारो को पिंजरे मे बन्द तोता अक्सर सुनता रहता था  लगातार सुन सुन कर वह तोता भी इन्कलाबी नारे लगाने  लगा  वह अक्सर ही इन नारों का उच्चारण करता रहता था

इन्कलाब जिन्दाबाद

लेकर रहेगे आजादी

आजादी आजादी

आजादी आजादी

अब यह उसका दैनिक क्रम हो चुका  था

उस तोते की करूणा भरी पुकार को सुनकर किसी भले व्यक्ति  ने उस तोते  को आजाद करने के लिए पिन्जरे का दरवाजा  खोल दिया
परन्तु आश्चर्य वह तोता बाहर नही निकला
जब उस व्यक्ति ने जबर्दस्ती उसको बाहर निकालने की कोशिश की तो उसने उस व्यक्ति को चौंच से चोट पहुचा दी

उस व्यक्ति ने परवाह ना करते हुए उस तोते को पिन्जरे से बाहर खीच कर खुले आकाश मे छोड दिया
पर. आश्चर्यजनक स्थिति तब देखी गई।

जब अगले दिन वह तोता पुन: पिन्जरे मे आ बैठा और आजादी आजादी की रट. जारी थी

यही स्थिति हिन्दू धर्म मे दलित. समाज की है

जो इस धर्म से मनुवाद ब्राह्मण वाद से आजादी की रट तो लगाये हुए है

परन्तु बाहर का रास्ता खुला होने के बाद भी मुक्त नही हो पा रहा है
और जिन्होने मुक्त होने की ठान ली वो मुक्त हो गये 

वे मुक्ति की बात ज्यादा करते नही है जो करना था वह कर दिया ।

जब संविधान बनकर तैयार हुआ.

तब बाबा साहब ने कहा कि अब तुम्हें राधा कृष्ण,राम सीता,शंकर महादेव और देवी देवता की जरुरत नहीं पड़ेगी.

तुम्हारी मुक्ति .... तरक्की के दरवाजे जो 5000 साल तक बंद थे  वो कोई देवी देवता भगवान खोलने नहीँ आया
मैँ उन तरक्की के दरवाजों को खोलकर उन गुलामी की बेडिओं को"" संविधान""से काट देता हूँ .✒

तुम उसका सही उपयोग करके अच्छी शिक्षा प्राप्त करना और बुलंदियोँ को छूना.

-डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर

जीवित आदमी की आत्मा को वश में क्यों नही कर लेते ?

कहते हैं कि तांत्रिक, भगत, मुल्ला मौलवी आदि आत्माओं को वश में कर लेते हैं । आत्मा को वश में करने के बाद फिर वो उनसे अपनी इच्छानुसार कुछ भी कार्य करवा सकते हैं । किसी आदमी को आत्मा से मरवा सकते हैं । उसको बीमार करवा सकते हैं आदि आदि ।
इधर वो ये भी कहते हैं कि प्रत्येक जीव के अन्दर आत्मा होती है । ऐसे सवाल ये उठता है कि वो मृत आदमी की आत्मा को ही वश में क्यों करते हैं जीवित आदमी की आत्मा को वश में क्यों नही कर लेते ?
अगर वो जीवित आदमी की आत्मा को ही कब्जे में कर लेंगे तो मृत व्यक्ति की आत्मा के अपेक्षा ज्यादा काम ले सकते हैं । अब मान लो कोई हत्या कर दी और मामला अदालत में पहुँच गया तो कर लिया जज की आत्मा को वश में और सुनवा दिया फैसला अपने पक्ष में ।
मान लो बीमार हो गए तो कर लिया डॉक्टर की आत्मा को वश में और अस्पताल सहित दवाई गोली का भी खर्चा ख़त्म । तो भैया क्यों नही जीवित व्यक्तियों की आत्मा को वश में करके अपना कारनामा दिखाते ?
और इंसानों की ही आत्मा क्यों वश में करते हो ? कुत्ते, बिल्ली, बन्दर, घोड़े, हाथी और शेर की आत्मा को भी कभी वश में करके दिखाओ ।

हम आज भी ब्राह्मणों  के गुलाम हैं.

हिंदू  का सच

भारत  देश  को गुलाम  बनाने  वाले  तीन  बडे  आक्रमणकारी
पहला  ब्राह्मण  इ. स. पुर्व. 3000
दुसरा  मोगल  इ. स. 1200
तिसरा अंग्रेज  इ. स. 1722

भारत  देश  मे विदेशी  आक्रमणकारी  ब्राह्मण  आने  से  पहले, ना जाति  व्यवस्था  थी, ना वर्ण  व्यवस्था.
ब्राह्मणोंने  हम मूलनिवासीयों  को पराजित  कर गुलाम  बनाया. वर्ण  व्यवस्था  का निर्माण  कर,  कर  हमे
शुद्र  घोषित  किया. शुद्र  को=गुलामों को सभी  अधिकारो से  वंचित  किया. ब्राह्मण यही नहीं रुके  तो
मूलनिवासीयों को दिर्घ काल तक गुलाम बनाए रखने के लिए वर्ण  व्यवस्था  के अंतर्गत जाति  व्यवस्था
का निर्माण  किया. मूलनिवासीयों  के जो व्यवसाय  थे, उन व्यवसाय (, Business) को ही जाति  मे
बदलकर, जाति व्यवस्था  का निर्माण  किया.

बिजो से तेल निकालता था वो तेली, सोने के गहने बनाता था वो सोनार,
लोहे के  हथियार  बनाता था वो लोहार,................... इत्यादि

ब्राह्मणोंने  वर्ण  व्यवस्था, जाति  व्यवस्था के बाद, दिर्घ काल तक मूलनिवासीयों को गुलाम बनाए
रखने के लिए जो सबसे बडा हथियार  अपनाया , वो था

मूलनिवासीयों को शिक्षा से  वंचित  करना

इसलिए महात्मा जोतिराव फुले को कहना पडा
विद्या बिना मती गई, मती बिना नीती गई,
नीती बिना गति गई, गति बिना वित्त गया,
वित्त बिना शुद्र दुर्बल हुए.
इतना  अनर्थ  अविद्या  के कारन हुआ.

दुसरा मोगलो का आक्रमण.

मोगलो ने इ. स. 1200 मे राज कायम किया. सभी को गुलाम बनाया. अरबी भाषा मे गुलामों को हिंदू  कहते है.
जब मोगलो  ने हिंदूओं पर=गुलामों पर जिजीया कर(tax) लादा ओर वसूलना चालू किया, तो ब्राह्मणोंने के प्रतिनिधि
मोगलो से मिले ओर कहा, हम जिजीया  कर नहीं देंगे, क्योकि कि हम हिंदू  नही है. हम ब्राह्मण भी आप ही की
तरह बाहर देश से  आएं हुए  आक्रमणकारी है.

हम मूलनिवासी(sc,st,obc &  minority ) मोगलो के सिर्फ राजनीतिक गुलाम थे, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक,
सांस्कृतिक, शैक्षणिक  गुलाम तो हमे पहले से ही ब्राह्मणोंने बनाया हुआ था.

तिसरा आक्रमणकारी अंग्रेज

अंग्रेजों ने इ.स. 722 के बाद अपना राज कायम किया. अंग्रेजी मे पराजितो को
Slave=गुलाम =हिंदू =शुद्र  कहते है.
अंग्रेजों के भी हम मूलनिवासी सिर्फ राजनीतिक गुलाम थे. धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक
गुलाम तो हमे, ब्राह्मणों ने पहले से ही बनाया हुआ था.

ब्राह्मणों ने हम मूलनिवासीयों (आज के sc,st,obc,& minority ) को गुलाम बनाया.
मोगलों ने ब्राह्मणों को गुलाम बनाया
अंग्रेजों ने मोगलों को गुलाम बनाया

14 aug 1947 को मोगल पाकिस्तान चले गये,15 aug 1947 को अंग्रेज अपने देश चले गये.
मगर  ब्राह्मण अब तक नही गये.

15  aug 1947 का आजादी का आंदोलन  अंग्रेजों की राजनीतिक गुलामी से ब्राह्मणों
की आजादी का आंदोलन था. 
हम आज भी ब्राह्मणों  के गुलाम है

                जागो  ओर जगाओ

सौ- Bamcef, भारत  मुक्ति  मोर्चा.

जिसका भला किसी देवी देवता ने किया हो??

अनुसूचित जाति / जनजाति के वो सभी लोग जो
देवी देवताओं
को पूजते हैं, ध्यान दें और जवाब दें ।
1. एक भी ऐसे अछूत व्यक्ति का नाम बताएं
जिसका भला किसी देवी देवता अथवा भगवान ने किया हो ?
संविधान लागू होने से पहले किसी एक
व्यक्ति को नौकरी दिलवाने वाले किसी देवता
का नाम बताये ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताएं जिसने जाति
व्यवस्था के
खिलाफ संघर्ष किया हो ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताये जिसने जाति
के कारण
अपमानित होते हुए किसी अछूत कहे जाने वाले
व्यक्ति को अपमानित होने से बचाया हो ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताएं जिसने प्यास
से मरते हुए
किसी अछूत को पानी पिलाया हो ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताये जो किसी
अछूत के घर
पैदा हुआ हो ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताएं जिसने
द्विजों से
कहा हो कि अछूतों से इंसानों के समान व्यवहार
करो । बदले में मैं
ऐसे द्विजों को अपने परम धाम में जगह दूँगा ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताओ जिसने कहा
हो कि जातीय
भेदभाव करने वाले व्यक्तियों को नर्क की भट्टी में
जलाया जायेगा या उसके पकौड़े तले जायेंगे या
उसको कीलों के
बिस्तर पर सुलाया जायेगा ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताओ जिसने कहा
हो कि अगर कोई
किसी अछूत कहे जाने वाले इन्सान के स्पर्श अथवा
परछाई से
अपवित्र होने की बात कहता है तो मैं उसको
दण्डित करूँगा ?
किसी भी एक ऐसे देवता का नाम बताइए जिसने
किसी मरे हुए
ढोर का मांस खाते हुए किसी अछूत से कहा हो
कि तुम इन्सान
हो । तुमको ये सब खाने की आवश्यकता नही है ।
आओ मैं
तुमको गाँव में ले जाकर भोजन करवाता हूँ ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताइए जिसने गाँव
के बाहर
बस्ती बनाकर रहने वाले किसी अछूत से कहा हो
कि तुम
भी बाकि सभी आदमियों की तरह हो आओ मैं
आपको गाँव में रहने
के लिए स्थान दिलवाऊंगा ?
आप कोशिश करिए,आपको इनमे से किसी भी
सवाल का जवाब
नही मिलेगा
क्योंकि पहली बात तो ये सब
काल्पनिक हैं ।
काल्पनिक होने के नाते ये कुछ भी नही कर सकvते हैं
। जिनका ये
भला करते हैं, उन्होंने इनकी रचना की है ।
अपनी
बुद्धि लगाओ
और विचार करो ।
संस्कृत से PHD. किया हुआ एक दलित मंदिर में
पूजा नहीं करा सकता,
लेकिन पांचवी जमात फेल एक ब्राह्मण को सभी
अधिकार हैं,
जो 5000 हजार सालों से चला आ रहा है , ये
कैसा आरक्षण है...
अपने इस धंधे में किसी गैर जाति को प्रवेश नहीं
करने दिया,ये कैसा आरक्षण है....?
भारत के मंदिरों में अथाह धन जमा है,
जो सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणों के एकाधिकार में
है और धर्म के नाम पर ब्राह्मण अपने अय्याशी के
लिए प्रयोग करता है..
इस धन से दलित और गरीब की मदद किया जा
सकता है किन्तु नहीं
दलित आज भी दलित ही रह गया..
एक बात और बताना चाहूँगा कि यह धन किसी
और का नहीं ये धन हमारे पूर्वजों का है जिसे इन
ब्राह्मणों ने
छल और कपट से हमसे छीन लिया..
आज से हम सब को यह प्रण लेना होगा कि हम ना
तो मंदिर जायेगे और ना ही कोई दान मंदिर में
करेंगे...
इन मंदिरों ने हमें कुछ नहीं दिया,
देने वाले तो हमारे "बाबा साहब डाॅ○ भीम
राव अंबेडकर जी" हैं जिन्होंने हमें शिक्षा और
समानता का अधिकार दिलवाया.
इस मैसेज को हर दलित भाईयों तक पहुंचाया
जाये, जिससे हमारा समाज अंजान है
और ब्राह्मणों (लुटेरे, धुतॆ, कामचोर, नीच, अय्याश)
के छल कपट नीति को जान सके.

तब तक हम महिला-दिवस मनाने के योग्य नहीं बन सकते.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को  विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन हमें महिलाओं को दोयम दर्जे से मुक्ति के फलस्वरूप किये जाने वाले उन सभी प्रयासों और आंदोलनों की याद दिलाता है जो की आज इतिहास का पन्ना बन चुके हैं और बनने जा रहे हैं.
भारतीय समाज विरोधाभासों से भरा पड़ा है. एक तरफ तो हम महिलाओं को देवताओं की तरह पूजते भी हैं और उनके जलने को भी त्यौहार का रूप देते हैं . क़ानूनी अधिकारों के बावजूद भी हमारी न्याय व्यवस्था बेईमानों और गलत लोगों के हाथों में झूल रही है. अपराध के सारे प्रमाण होने पर भी बलात्कारी को सजा नहीं मिलती उल्टा जिस पर जुल्म हुआ है वही समाज की गुन्हेगार बन जाति है.
हमारी सबसे बड़ी विडम्बना है की जाति और धर्म के बदलने के साथ ही लोगों की सहानुभूति भी बदल जाति है और न्याय व्यवस्था भी लचीली हो जाती है. ऐसे समाज में क्या हम महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की बात कर सकते हैं जहाँ पर जाति और धर्म के अनुसार महिलाओं को सम्मान और न्याय का पैमाना भी बदल जाता है
जब तक समाज में हर महिला को समान और महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता तब तक हम महिला-दिवस मनाने के योग्य नहीं बन सकते. सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक न्याय, शोषण मुक्ति, समान अधिकार और समान आस्तित्व आदि कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिनके बिना हम भारतीय समाज को स्वस्थ समाज की श्रेणी में नहीं ला सकते क्यूंकि आज भी हम धर्म और जाति की संकीर्णता के साथ महिलाओं से व्यवहार कर रहे हैं और समय बदलने के बावजूद उनकी समस्याओं को खत्म करने की बजाये लगातार बड़ा रहे हैं.
फिर भी महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों को प्रणाम और जो संघर्ष कर रहे हैं उनको शुभ कामनाएं.
आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हार्दिक बधाई……..

मेरी नहीं सरकारी विज्ञापन की तो मानों लाल रंग मतलब खतरा

एक छोटी सी बात जिसे सब जानते हैं पर मीनते नहीं हैं
कहते हैं कि "लाल रंग मतलब खतरा "
जब कोई बड़ा खतरनाक सामान किसी वाहन से बाहर निकला हो तो उस पर एक लाल झण्डी टाँग दी जाती है जिसका अर्थ है कि इससे दूरी बनाये रखें |
आप सभी ने देखा भी होगा जब ट्रक या रिक्से से बाहर लोहे के सरिया सा धारदार चीजें बाहर  निकली हों तो रास्ते में चलते में दुर्घटना से बचने के लिये बाहर निकले हिस्से पर लाल कपडा टाँग दिया जाता है और हम उससे बचकर दूरी बनाकर निकल जाते हैं |
और आज कल जल विभाग के एक विज्ञापन को भी देखा और सुना होगा जिसमें हैन्डपम्प पर लाल रंग लगाकर चेतावनी दी जाती है कि इस नल से दूर रहें क्योंकि उसका पानी खराब है और बीमार कर सकता है |

अब यही लाल रंग की झन्डी  किसी ब्राह्मण की दुकान यानि मन्दिर पर टंगी होती है तो वहाँ पर क्यों नहीं समझ पाते कि कि इससे दूरी बनाये रखें और इस स्थान  से बचकर रहें वो झन्डी भी तो बाहर निकले हिस्से पर टंगी होती है |
तो समझो
मेरी नहीं  सरकारी विज्ञापन की तो मानों
लाल रंग मतलब खतरा
सड़क पर चलते भारी वाहनों से बाहर निकले खतरनाक सामान पर लटके लाल झन्डे की तो मानो
इन लाल झन्डियों टंगे सभी स्थानों से बचो ये आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं

सलाह
1- जल विभाग भारत सरकार
2- परिवहन विभाग भारत सरकार
3- आपका शुभचिन्तक होने क नाते
आपका संघप्रिय गौतम
सोचो ,समझो ,तब मानों
सही लगे तो ठीक नहीं तो जैसी आपकी मर्जी

"बगावत की आँधी"

जुबां पे "राम" गर आये तो "कांसीराम" हो जाए,
जमीं जन्नत बना देंगे अगर यह काम हो जाये।
फुले साहू कहते है की बहुजन इस कदर उठो,
फलक से नूर छीनेंगे अगर परवाज़ हो जाये।
बिगुल जब भीम का बजने से ही लोग डरते है,
भीम वाले दहाड़े तो दुश्मन का नाश हो जाये।
सिर्फ बहुजन फ़लसफ़े में ही हुक्मरां बनने का फन है,
यही प्रचार हो जाये तो नैया पार हो जाये।।
साजिशे चल रही है दुश्मनो की अपने ही घर में
पता ये बात सबको हो तो यलगार हो जाये।
बहुत नज़दीक है वह दिन लड़ाई जीत लेने के
अगर विखरे चमन के गुल सभी एक हार हो जाये।।

उनकी साजिशो के हर सियासत तब जान पाओगे
बनावटी बातों में चेहरे की अगर पहचान हो जाये ।
ये मत भूलो भीम सेना के तुम जांबाज सिपाही हो ,
दहाडो इस कदर की दुश्मन के पाँव उखड़ जाएं।
मै समुन्दर की तरह गरजती हूँ सैलाव बन कर,
ताकि हमारे लोगों में दहाड़ता तूफ़ान आ जाये।
बगावत का जन्म "बुद्धिजीवियों" की ही गलियो में होगा ,
जिस दिन जलजलो का उमड़ता तूफ़ान आ जाये ।।
नमो बुद्धाय जय भीम

आखिर देश तो हमारा है

पिछले दिनों JNU में मुंह पर कपडा बांध कर कश्मीर की आजादी और देश विरोधी नारे लगाने वाले कौन लोग थे ❓

इनको आज तक क्यों नहीं पकड़ा जा सका ❓

क्यों इस पर चर्चा नहीं हो रही है ❓
क्यों इसे भुलाने का प्रयास किया जा रहा है ❓

कहीं ऐसा तो नहीं कि स्वयंभू राष्ट्र भक्तों ने ही रोहित_वेमुला का मामला, और स्मृति की बर्खास्तगी को जनता के जेहन से गायब करने के लिए मुँह पर कपडा बांध कर.........❓

लोग भुलावाते जा रहे और हम भूलते जा रहे हैं,

जब तक रोहित_वेमुला को न्याय न मिल जाये,

जब तक दोषियों को बर्खास्त नहीं किया जाता,

और जब तक देश विरोधी नारे लगाने वालों का पर्दाफाश नहीं हो जाता है,
तब तक इन मामलों को जिन्दा रखना प्रत्येक देशवासी का फर्ज बनता है,

कम-से-कम हम लोग तो रोहित वेमुला की कुर्बानी बेकार न जाने दें,

जगह-जगह ये उपरोक्त सवाल खडे करते रहें,

जाति जैसे बधंन को स्वीकार नहीं करेगी !

आज आवश्यकता है अपनी व अपने समाज की पहचान स्थापित करने की ,
            क्योंकि आगे आने वाली जनरेशन जाति जेसे बधंन को स्वीकार नहीं करेगी !

दलितों की बडी समस्या की
हकीकत यह है कि दलित समाज केवल "आरक्षण" का फायदा लेने के लिए डॉ आंबेडकर के पाले में आते हैं । उसके बाद पुनः ब्राह्मणवाद के पाले में चले जाते है.
आरक्षण के अलावा दलित वो सभी कर्मकांड, पोंगापंथ और अंधविश्वास में ब्राह्मणों से ज्यादा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है।
कावड़ यात्रा हो, गणपति उत्सव हो या नवरात्रा का गरबा डांस पांडाल सर्वाधिक दलित बस्तियों में ही नज़र आएँगे।
बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य के लिये पैसे भले न हो लेकिन पांडाल को सजाने में, बड़ी बड़ी मूर्ति खरीदने में, DJसाउंड के लिये, सजावटी कपडों के लिये पैसो की और समय की कोई कमी नहीं है।
मतलब दलित खुद ही ब्राह्मणवाद मनुवाद को मजबूत कर रहे हैं।

जय भीम

कौन सा हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं..

क्या कोई बतायेगा.....
कौन सा हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते है आप....
जहाँ एक जाति को सौ प्रतिशत केवल हराम खोरी का आरक्षण था...
जिसने अपने लिए लिखा था कि यदि वह मेहनत करेगा तो सबसे नीचे चला जायेगा....
जहाँ केवल एक जाति को ऊपर वाली जाति की रक्षा और बाक़ी को लूटने का सौ प्रतिशत आरक्षण था.....
जहाँ केवल ऊपर की दो जातियों को मिलकर बाक़ी की सभी जातियों को लूटने का अधिकार था.....
जहाँ ऊपर की तीनों जातियों को मिलकर बहुसंख्यक मेहनतकश लोगो को लूटने का अधिकार था......
जहाँ पच्चासी प्रतिशत लोगो को धन धरती सम्मान का कोई अधिकार नही था.....
जहाँ लोगो कोअपनी बेटियों को अफ़ीम देकर या दूध मे डुबोकर मार देना धर्म सम्मत था....
जहाँ पत्नि को पती के साथ ज़बरन चिता मे जलाना धर्म सम्मत था.....
जहाँ शादी के बाद पत्नी का पंडे पुजारी से पहले शुद्धीकरण करवाना ज़रूरी था.....
जहाँ पहले पुत्र को गंगा मे फेंकना और पुत्री को मंदिरों मे दान देना ज़रूरी था......
जहाँ विधवा माँ बहन मंदिरों की सम्पत्ति हो जाती थी......
आख़िर आप कबतक ब्राह्मणो की मान्सिक गुलामी मे जीते रहोगे,,,,,,,,???
क्बतक बी जे पी को या कांग्रेस को जिताना चाहते हो....???
क्यों मनुवाद को ज़िन्दा रखना चाहते हो.....????
तुम्हारी लड़ाई पहले बुद्ध लड़े ,फिर मुग़ल लड़े ,अंग्रेज़ लड़े ,अम्बेडकर लड़े ,कर्पूरी लड़े ,जेपी लड़े ,लोहिया लड़े ,.....????
तुम्हे रामायण महाभारत से लेकर दयानन्द ,रामानन्द, हॉथीनन्द, घोडानन्द, गधानन्द सभी ने ठगा....
गांधी , नेहरू, मोदी,और अब कन्हैया ठगेगा....
तुम कब तक ठगते रहोगे.....????
तुम अपनी लड़ाई लड़ना कब सीखने वाले हो....?????
कब तक जाति को एकजुट करने के चक्कर मे उल्झे रहोगे ...????
ब्राह्मण, क्षत्रिय की तरह वर्ण कब बनाओगे......?????
कबतक दूसरो को दोश देते रहोगे,,,,,,,???
कबतक अपनी अपनी जाति मे पैदा होने का गर्व करोगेऔर दूसरी जाति को नीच और अपने को दूसरो से नीच समझोगे,,,,????
अपने पूर्वजो के अपमान का बदला कब लोगे,,,,,????
अपनी बुद्धि का प्रयोग कब करोग,,,,???
जागो, सोचो, उठो शूद्रो, अपनी शक्ति एकता का अनुभव करो।

आप साजिश को कभी नहीं समझ पाएंगे

कन्हैया प्रकरण के बाद भी, अगर आपलोग 'पक्ष वही, विपक्ष
वही' वाला खेल नहीं समझ पाये। तब आप ब्राह्मणवादियों की
साजिश को कभी नहीं समझ पाएंगे।

हमारे बुजुर्गों ने हमें सचेत किया है-
ब्राह्मण पुत्रम् कबो न मित्रम्..
जब भी मित्रम् दगे-दगा..
भाई कन्हैया,
ये आप पर भी लागू होता है।

कन्हैया की जाति और उसका DNA वही है। जो बिहार में बेकसूर दलितों का नरसंहार करने वाले रणवीर सेना का है। हम कैसे भरोसा करें।

चलो अब बहुत हुआ कन्हैया का मुद्दा
लौट आऔ भाईयो रोहीत के आंदोलन पर...

अभी लड़ाई बाकी है...!!

उस देश का भला कैसे हो सकता है

जहाँ सुबह आँख
खुलते ही अंधविश्वास से शुरुआत होती है।
टी.वी.ओन किया तो बाबा भविष्य बताता दिखता है जिसे अपना भविष्य स्वयं पता नहीं।
बाहर निकलते ही मंदिरों में
घंटियां और शंख सुनाई देने लगते हैं जैसे उनका काल्पनिक
भगवान बहरा हो।
दुकान पर जाओ तो दुकानदार
अगरबत्तियां घुमाता दिखेगा, जैसे सारा सामान
अगरबत्तियां ही
खरीद लेगी ग्राहक नहीं।
काम पर जाओ तो मालिक
हाथों को जोड़े काल्पनिक तस्वीर के सामने खड़ा होगा,
जैसे सारा काम बो तस्वीर ही करेगी कर्मचारी नहीं।
अब आप ही सोचियें जहाँ इतना अंधविश्वास हो वो देश कैसे तरक्की कर सकता है।
पंडे पुजारी हराम की हलवा मलाई खा रहे हैं और मजदूर दाल रोटी को तरस रहे हैं.....
जय भीम

यहाँ किसी भी बाघ ने किसी भी व्यक्ति पर हमला नहीं किया है।

आज आपको हम एक ऐसे धार्मिक स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। यह मंदिर है थाईलैंड का टाइगर टेम्पल, जहाँ लोग पैर रखने से पहले 100 बार सोचते हैं। आपने सुना होगा कि हिन्दू धर्म में शेरों को माँ दुर्गा का वाहन माना जाता है। इसलिए शेरों को भी पूजनीय माना जात है। पर क्या आपने इन जंगली और हिंसक पशुओं को खुलेआम घुमते देखा है? नहीं न? तो आइये हम आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में।
असल में थाईलैंड के कंचनबुरी प्रांत में है, जो बर्मा की सीमा से लगा हुआ है। इस क्षेत्र में बने बौद्ध मंदिर में रहनेवाले बौद्ध भिक्षुकों ने इस मंदिर को वन्य जीव संरक्षण से जोड़ दिया। जिसके बाद यहाँ शेरों को लाया जाने लगा और उनकी देखभाल की जाने लगी। पहली बार यहाँ बाघ का एक बच्चा लाया गया था, जिसकी माँ को शिकारियों ने मार डाला था। इसके बाद से बौद्ध भिक्षुओं ने वन्य जीव संरक्षण को और गंभीरता से लिया और यह सिलसिला लगातार जारी रखा।
इस मंदिर में दूर-दूर से पर्यटक आते हैं, जो अपनी आगे की ज़िन्दगी के लिए एक रोमांचक अनुभव अपने साथ ले जाते हैं। बाघों के बीच घूमना और उन्हें करीब से देखने का अनुभव वे कभी भूल नहीं पाते। अब इस टेम्पल में 150 से ज्यादा बाघ हैं जो बौद्ध भिक्षुओं के साथ मिलजुलकर रहते हैं । इसलिए अब इस मंदिर का नाम टाइगर टेम्पल रख दिया गया है। अब तक यहाँ किसी भी बाघ ने किसी भी व्यक्ति पर हमला नहीं किया है। देखिये इस टेम्पल की यह अनदेखी तस्वीरें, जिसे देखकर , जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे ।

सवाल होता है कि भगवान कब सहायता करने आता हैं ?

जैसे आप लोग हमें फोन पर मैसेज करके और वाट्सप पर डराने धमकाने की कोशिश करते हो तो ये कोशिश नाकाम है मैं थोड़ा अलग टाइप का लड़का हूँ तर्क करना मेरी रग रग मैं है अम्बेडकरवादी को तर्क मे झुकाना मुमकिन नही भीमपुत्र हूँ मैं पाखण्ड और अंधविश्वास के खिलाफ लिखता हूँ और लिखता रहूँगा तुम खुद भी जातिवाद और धर्म के आडम्बर से अलग हटकर सोचो
अगर राम राजा थे तो सरकार
चलाते होंगे ?
अगर सरकार चलाते थे तो उनके सैन्य
कर्मचारी भी हुआ करते होंगे ?
और उन कर्मचारियों को पगार सैलरी भी दिया
करते होंगे तो उसके लिये
राजा राम चंद्र के नाम की
मुद्रा करंसी भी होती होगी ?
लेकिन राम के पहले की मुद्रा मिलती हैं राम के
बाद की मुद्रा करंसी मिलती हैं

लेकिन राम के नाम की कोई करंसी नहीँ
मिलती I
मैं ब्राह्मणों को चुनौती देता हूँ की वो इस
बात को साबित करे I
संदेह ,निसंदेह हिन्दू धर्म की कहानी पर सत्य की खोज करे|
1~गोकर्ण महाराज गौ(गाय) से पैदा हो गये|
2~राजा सगर के 60,000(साठ हजार) बच्चे पैदा हो गये|चींटी के समान सब थे|एक पिण्ड निकला और तोडा गया तो उसमे साठ हजार मानवाकार कीडे थे|उनको घी के घडे मे डाल दिया गया और वे खाकर जवान~बलवान होकर निकले|
श्री मदभागवत पुराण
3~हनुमान जी कूदे और सूरज को निगल गये|
सूरज आग का गोला हमारी धरती से 13,00,000(तेरह लाख)गुना बडा है और धरती से 15करोड किलोमीटर दूर है |
"बाल समय रवि भच्ख..
......
राम चरित्रमानस मैं लिखा गया सफेद झूठ

मैं उपद्रवी सागर बौद्ध हर हिन्दू को चैलेंज करता हूँ कोई भी मेरे कुछ ही सवालों का जवाब देदे तो तो तुम्हारे कहने के हिसाब से हिन्दू धर्म के विरोध मे लिखना छोड़ दूंगा अगर जवाब ना दे सको तो सिर्फ इस नीच सनातन ब्राह्मणी धर्म की वकालत छोड़ देना
गजराज ( हाथी ) का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया तो उसने हरि को पुकारा । हरि नंगे पाँव दौड़े आये और मगरमच्छ का वध कर गज को मुक्त कराया ।
दुशासन ने द्रोपदी का चीर हरण किया तो उसने भी हरि को पुकारा हरि ने आकर उसको भी बचाया ।
होलिका ने प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की तो प्रह्लाद ने हरि को पुकारा हरि उसको भी बचाने आया ।
गोकुल ग्रामवासियों ने इंद्र के प्रकोप बाड़ से बचाने हरी को बुलाया, हरी ने गोवेर्धन पर्वत एक उँगली से उठाकर उनको बचाया |
दो चार आप खुद जोड़ लीजिये।

अब वास्तविक घटनाओं पर आ जाइये
महमूद गजनवी ने भारत पर 17 आक्रमण किये,सोमनाथ का मंदिर लूटा और भयानक मार काट की । भक्तो ने फिर भगवान को पुकारा । गजनवी के सैनिक रक्तपात करते रहे लेकिन कोई भगवान नही आया ????
भारत पर हमला करने शक, तुर्क, गौरी, ख़िलजी, तुगलक, सैयद, लोदी, मुग़ल , डच, अंग्रेज़ आये, लेकिन भारत भुमि को लम्बी गुलामी से बचाने कोई हरी नहीं आये ?????
औरंगज़ेब ने आपके भक्तों को मार मार मुसलमान बनाया, लेकिन आप सहायता को नहीं आये ???
अब केदारनाथ में प्रलय आ गयी , 20000 भक्त मारे गए। भक्त फिर भगवान को सहायता के लिए पुकारते रहे लेकिन कोई भगवान नही आया । भक्त मरते रहे और भगवान देखते रहे ?????? आपने सिर्फ अपना घर यानि मंदिर बचाया ???
अब नेपाल में भूकंप आया । भक्त फिर भगवान से प्रार्थना करने लगे लेकिन कोई भगवान नही आया बचाने ।
इससे पहले भी भूकंप दंगे फसाद या कोई अन्य त्रासदी होने पर भी सब भगवान को पुकारते रहे लेकिन कभी कोई भगवान नही आया ।
इससे क्या सिद्ध होता है ?????
इससे सिर्फ एक ही बात सिद्ध होती है कि भगवान बचाने को तो आता है लेकिन सिर्फ मिथकीय किस्से कहानियों में ।
अब अगला सवाल होता है कि भगवान कब सहायता करने आता हैं ? सीधी सी बात है जब लेखक भांग खाकर लिखने लग जाये तब।
अगला सवाल भगवान किसकी मदद करता है ?
निष्कर्ष कहता है भगवान पौराणिक कथाओं के सिर्फ अपने जैसे ही काल्पनिक पात्रों की रक्षा करता हैं ।
अगला सवाल भगवान कहाँ रहता है ?
ईश्वर का अस्तित्व मानव मस्तिष्क के अलावा कहीं नहीं है। वो कुछ लोगों के दिमाग में डर के रूप में बसे होने के अतिरिक्त मिथकीय (झूठे) किस्से कहानियों में ही रहता है ।
इन तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष यह निकलता है की
यथार्थ और वास्तविकता के धरातल पर न तो कभी किसी ने ईश्वर को देखा है और ना ही कभी कोई भगवान किसी की मदद आयें है।
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अन्ध विश्वास भगाओ ।
देश बचाओ ।।

सौ-उपद्रवी सागर बौद्ध
युवा भीम शक्ति दिल्ली

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