क्यों मुझे बाबासाहेब के कार्य को आगे ले जाना चाहिये ???
क्यों मुझे भगवान से अधिक भीम को मानना चाहिये ???
क्यों मुझे समाज के लिये कुछ करना चाहिये ???
क्योंकी जब मे पैदा हुआ इस पृथ्वी पर तब मुझ पे लेबल लग गया था हिन्दु दलित ! बचपन से मुझे अपनी जाती से घिन्न होती थी और मै कई दफा अपनी जाती छिपाने की कोशीष करता था,लेकिन फीर भी मे कई बार खुदको दुसरो(सवर्णो) की नजरोमै जातीवाद के चलते गीरते देखा।जो मुझे सामने नही कह सकते वो मेरी पीठ पीछे वार कर लेते थे।
तब मे बाबा साहेब के बारे मै कुछ नही जानता था।
लेकिन मेरे दलित होने की वजह से जबतक मे पढा तबतक हरसाल मुझे स्कोलरशीप मीलती थी और मै बेवकुफ तब ये समजता ता की ये सरकार दे रही हे।
मुझे पहेली कक्षा से दसवी कक्षा तक करीबन 15000 की शिष्यवृती मीली। बाद मै गयारवी और बारवी कक्षा मे पालनपुर की अच्छी स्कुल मे एडमीशन मीला वो भी अनामत मेरीट के आधार पै।अगर मुझे अनामत ना मीलती तो मै शायद अच्छी स्कुल मे सायन्स की पढाई कभी न कर पाता।
फिर धीरेधीरे मै बाबा साहब को जानने लगा। मैने पढा की कोन थे वो और अबतक मे फोगट का लाभ ले रहा था उसके पीछे किसका हाथ था।
मे ग्यारवी कक्षा की पढाई के दोरान डो भीमराव आंबेडकर कुमार छात्रालय मे मुफ्त रहने लगा ,यहा मुझे पलंग,गद्दा,कंबल,रुम,टेबल-खुरशी,दो पंखे,दो टयुबलाईट,डोअर,अच्छा खाना ये सब मुफ्त मै मिला था, कोई चार्ज नही !!
मुझे दसवी मे 80% आये थे तो सायन्स करने के लिये मुझे 25000 रुपये और मीले। फिर मैने कोलेज की वहा भी शिष्यवृती मीली ।
इस सब का मे हिसाब लगाउ तो करीबन 50,000 की स्कोलरशीप मेरी पढाई मै मददरुप होते मीली।
इसी तरह मेरा बडा भाई भी पढा।(वो तो 4 साल गांधीनगर मै डो भीमराव आंबेडकर कुमार छात्रालय मे रहा।
मेरे चाचा,फुफा,मामा के लडके अभी भी लाभ उठा रहे है।
मेरा घर बना आंबेडकर आवास योजना के तहत मीली लोन से।
हमे सस्ता राशन भी मीलता है।
कितनी योजना के तहत लाभ मिले होगें
ये सब मुझे कीसी भी भगवान ने नही दिया जो कुछ दिया बाबासाहेब नामके इन्सान ने दिया ईसलिये मेरा पुर्ण कर्तव्य बनता हे की मे
बाबा साहेब को
_ जानु,
_ उनको मानु,
_ उनके लीखे पुस्तके पढु,
_ उनका लिखा संविधान पढु,
_ उनके पथ पर चलु,
_ उन्होने जो पिछडो के लिये किया उस समाज के लिये मै भी कुछ न कुछ करु।
क्योकी इस मुकाम पर मुझ जैसे करोडो को लाने के लिये बाबासाहब ने कंई _अपमान झेले थे।
_न जाने कितनी रातो की नींद हराम की थी।
_दांमपत्य सुख छोडा था।
_एक एक करके चारो बच्चे गवां दिये थे मेरे खातीर।
_वो चाहते तो एक अच्छे से अच्छी जिंदगी जी लेते (जिस तरह आज हम जी रहे है) लेकिन मेरे जैसे लाखो की खातिर उन्होने अपने सुख चैन को ठोकर मारी थी।
क्या आपने कभी दलित होने की वजह से बाबासाहब की मीले अधिकारो के तहत कभी लाभ उठाया ??? सभी ने कहीं न कहीं फायदा उठाया ही होगा तो फिर आप लोटायेंगे कब ? या फिर खाना ही जानते है ? अब तो नोकरी मिल गई अच्छा खासा कमा लेते हो फिर जिसने पुरी जिंदगी खर्च डाली उस महा पुरुष के लिये कब करोगे ? कब उनके दिये पथ पर चलोगे ?
थोडी शर्म करो ! लेना जानते हो तो कुछ देने की औकात रखो।कई उम्मीदे- आशाये तुमसे जुडी है।
पुरी जिदंगी बीवी - बच्चो मै ही निकालोगे क्या ?
आओ साथ मिलकर भीम का मिशन आगे ले जाये।
____________जय भीम
सौ : Babubhai Bhatiya
96249 87050
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