सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

ईश्वर/अल्लाह/परमात्मा/गॉड से सवाल

ईश्वर / अल्लाह/ परमात्मा / गॉड से सवाल
किया :-
1. क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो,
कभी
किसी के सामने नही आते ?
2. क्या तुम खुशामद परस्त हो जो लोगों से
दिन रात
पूजा, अर्चना करवाते हो ?
3. क्या तुम हमेशा भूखे रहते हो जो लोगों
से मिठाई,
दूध, घी आदि लेते रहते हो ?
4. क्या तुम मांसाहारी हो जो लोगों से
निर्बल
पशुओं की बलि मांगते हो?
5. क्या तुम सोने के व्यापारी हो जो
मंदिरों में
लाखों टन सोना दबाये बैठे हो ?
6. क्या तुम व्यभिचारी हो जो मंदिरों में
देवदासियां रखते हो ?
7. क्या तुम कमजोर हो जो हर रोज होने वाले
बलात्कारों को नही रोक सकते?
8. क्या तुम मूर्ख हो जो विश्व के देशों में
गरीबी-
भुखमरी होते हुए भी अरबों रुपयों का अन्न,
दूध, घी, तेल
बिना खाए ही नदी नालों में बहा देते हो ?
9. क्या तुम बहरे हो जो बेवजह मरते हुए आदमी,
बलात्कार होती हुयी मासूमों की आवाज
नही सुन
सकते?
10. क्या तुम अंधे हो जो रोज अपराध होते
हुए देखते
हो मगर करते कुछ नही ?
11. क्या तुम आतंकवादियों से मिले हुए हो
जो रोज
धर्म के नाम पर लाखों लोगों को मरवाते रहते
हो ?
12 क्या तुम आतंकवादी हो जो ये चाहते हो
कि
लोग तुमसे डरकर रहे ?
13. क्या तुम गूंगे हो जो एक शब्द नही बोल
पाते
लेकिन करोड़ों लोग तुमसे लाखों सवाल
पूछते हैं?
14. क्या तुम भ्रष्टाचारी हो जो गरीबों को
कभी
कुछ नही देते जबकि गरीब पशुवत काम करके
कमाये गये पैसे
का कतरा कतरा तुम्हारे ऊपर न्योछावर कर
देते हो ?
15. क्या तुम मुर्ख हो जो हम जैसे
नास्तिकों को पैदा
किया जो तुम्हे खरी खोटी सुनाते रहते है
और तुम्हारे
अस्तित्व को ही नकारते हैं ?
मगर ईश्वर / परमात्मा / गॉड चुपचाप मेरे
आरोपों को
सहता रहा ।

धर्म और संविधान मे भेद

१.धर्म ने दी हजारो सालो की गुलामी जबकि संविधान ने दी आपको हजारो सालो की गुलामी से आजादी |

२. धर्म ने अछूत बनाया संविधान ने समानता का अधिकार देकर आपको इन्सान बनाया |

३. धर्म ने शिक्षा से वंचित रखकर विकास से वंचित किया जबकि संविधान ने आपको शिक्षा का अधिकार देकर विकास के नए रास्ते खोले |

४. धर्म ने संपत्ति से वंचित रखकर आर्थिक रूप से पंगु कर दिया जबकि संविधान ने आपको संपत्ति, कारोबार का अधिकार देकर उन्नति के नए रास्ते खोले |

5. धर्म ने शहर, गाँव से अलग एक तरफ बस्ती बनाकर समाज से काटकर रख दिया जबकि संविधान ने आपको शेष समाज से जोड़कर इन्सान होने का एहसास दिलाया |

६. धर्म ने ऊंच नीच बनाया संविधान ने आपको सभी इंसानों के समान बनाया |

७. धर्म जानवरों से भी बदतर समझता है जबकि संविधान आपको किसी भी आदमी से कमतर नहीं समझता |

८. धर्म ने जल रूपी जीवन से वंचित रखा जबकि संविधान ने आपको जल पर समान अधिकार दिया |

 अब बताइए धर्म महान है या फिर संविधान ?.
 हमारा एक ही धर्म है वो है इसानियत..... और एक ही गृँथ है वो है संविधान
।।

आरक्षण कैसे मिलता है,

हरियाणा में आरक्षण आंदोलन चल रहा है, देख
लीजिये आरक्षण कैसे मिलता है, अब तक कई जाट
मर चुके है.
वो बाबा साहब आंबेडकर ही थे जिन्होंने एक बून्द
रक्त बहाये बिना देश के वंचितो को प्रतिनिधित्व दिया, और वहाँ बात
एक राज्य की नहीं बल्कि पुरे देश के
लोगो की थी, लेकिन हमारे पढ़े लिखे लोगो
की मति मारी गई है पूरी
ज़िन्दगी आरक्षण भोगेंगे और शुरू से अंत तक बाबा
साहब को याद तक नहीं करेंगे.
देखो, सोचो हमारे बाबा साहब ने उस समय हमारे लिए प्रतिनिधित्व
कैसे-कैसे प्राप्त किया होंगे, जिसे आज समाज मलाई के रूप में चाट
रहा है. और सर मंदिरो में जाकर झुका रहा है.
आरक्षण खा खाकर लाल और मोटी चमड़ी
बना चुके लोगो, तुम्हारी चमड़ी तब
निकलती जब अपने बच्चो के लिए आरक्षण
की मांग के खातिर रोड पर आते. वो तो बाबा साहब थे जो
सारी तकलीफे खुद लेकर हमे सिर्फ
सहूलियतें दे गयें.

गुरु रविदास के प्रति श्रद्धा या दलितों का वोट लूटने की साजिश????

क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी इसके पहले कभी कोई रविदास मंदिर गये हैं ? नहीं.
·        क्या वाराणसी में लोकसभा चुनाव का नामांकन भरते समय उन्होंने गुरु रैदास को याद किया ? नहीं.
·        क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी चुनाव का नामांकन भरने के पहले कचहरी में स्थित बाबा साहब की मूर्ति को नमन किया ? नहीं.
·        क्या श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान वाराणसी या देश के किसी कोने में कभी गुरु रैदास का नाम लिया ? नहीं.
·        जब वे अस्सी घाट में झाड़ू लगाने आये तो क्या उन्हें बगल में स्थित रविदास पार्क में स्थित गुरु रविदास की मूर्ति में मत्था टेका ? नहीं.
·        जब वे दशाश्वमेध घाट में आरती देखने गये तो क्या उन्होंने गुरु रविदास को याद किया ? नहीं.
·        क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की गुरु रैदास जी पर आस्था है ? नहीं.
·        क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी रविदास के अनुयायी हैं ? नहीं.

तो फिर अब रैदास के प्रति श्रद्धा और भक्ति का दिखावा करने का रहस्य आखिर क्या है ?

उपरोक्त तथ्यों पर ध्यान दिया जाए और असलियत देखी जाय तो माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी की गुरु रैदासजी पर न तो कोई आस्था दिखायी देती है और न ही उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास दिखायी देता है. यह जो कुछ भी किया जा रहा है उसका एकमात्र संत रविदास जयंती में लाखों की संख्या में आनेवाले उनके अनुयायी दलितों को गुमराह करके उत्तर प्रदेश और पंजाब के आगामी विधानसभा चुनावों में उनका वोट हासिल किया जा सके.

दलित हितैषी या दलित विरोधी ?

·         क्या मा. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देशभर में बड़ी संख्या में हो रही दलितों की हत्याओं और उनके उत्पीड़न, दमन व शोषण पर रोक लगाने हेतु कोई सख्त कदम उठाया ? नहीं
·         दलितों की हत्याओं पर उपजे जनाक्रोश पर दलितों को कुत्ता कहकर अपमानित करनेवाले तथा दलितों को नीचा दिखाने वाले मंत्रियों और भाजपा नेताओं पर कोई कार्यवाही की गयी ? नहीं
·         क्या मा. श्री नरेंद्र मोदी ने रोहित वैमुला की मौत के गुनहगारों यथा- हैदराबाद विवि के कुलपति अप्पाराव, केन्द्रीय मंत्री श्री बंडारू दत्तात्रेय और श्रीमती स्मृति ईरानी पर कोई कार्यवाही की ? नहीं
·         क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रोहित वैमुला की हत्या (जिसे आत्म हत्या का रूप दिया गया) के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार संगठन ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ के विरुद्ध कोई कार्यवाही की जैसा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट में सामने आया है ? नहीं
·         क्या उन्होंने संघ प्रमुख और भाजपा नेता तथा लोकसभा अध्यक्ष के साथ ही भाजपा और संघ के अन्य नेताओं द्वारा संविधान समीक्षा और आरक्षण को समाप्त करने सम्बन्धी बयानों का खण्डन किया? नहीं
·         लोकसभा में भाजपा का स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद भी क्या मा. नरेंद्र मोदी जी ने “प्रमोशन में आरक्षण बिल” पास किया ? नहीं

इन बातों से स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रही भाजपा सरकार दलित हितैषी नहीं हैं. उनके रविदास मंदिर में आने का वास्तविक उद्देश्य कुछ और ही है. दरअसल दलितों का हितैषी बनने, गुरु रविदास और बाबा साहब डा. अम्बेडकर के प्रति भक्ति और श्रद्धा दिखाने के पीछे दलित समुदाय को गुमराह करके आसानी से वोट हासिल करना उनका एकमात्र उद्देश्य है.

सौ- प्रो. महेश प्रसाद अहिरवार, अनु.जाति/जनजाति शिक्षक विकास समिति, कहिविवि वाराणसी.
अम्बेडकर बुद्ध मिशन, सत्संग विहार, वाराणसी.
सावित्री बाई फुले महिला सशक्तिकरण समिति, लहरतारा, वाराणसी

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