देश की शहरों की स्वच्छता रैंकिंग
सामने आ गई है। सबसे साफ शहर कनार्टक का मैसर है,
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय क्षेत्र
वाराणसी सबसे गंदे शहरों में एक है। यह हाल तब है
जबकि मोदी ने बीते दिनों जापान के प्रधानमंत्री
की मौजूदगी में वाराणसी को क्योटो की तरह
हाईटेक शहर बनाने का दावा किया था।
स्वच्छता रैंकिंग में 73 शहर शामिल
स्वच्छ भारत अभियान के तहत 73 शहरों
की स्वच्छता रैंकिंग जांची गई है। कांग्रेस शासित
कनार्टक का मैसूर शहर इस रैंकिंग में टॉप पर है। दूसरे
नंबर पर चंडीगढ़ और तीसरे पर तिरुचिरापल्ली है। इस
लिस्ट ने नरेंद्र मोदी के विराेधी अरविंद केजरीवाल
को भी खुश होने का मौका दिया है।
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली को स्वच्छता रैंकिंग
में चौथा स्थान मिला है। इसके बाद नई दिल्ली नगर
निगम, विशाखापट्टनम, सूरत, राजकोट, गंगटोक,
पिंपरी चिंचवाड़ और ग्रेटर मुंबई है। इस सर्वे को साल
2014 में किया गया है।
दुनिया के सबसे गंदे शहरों में धनबाद टॉप पर है।
धनबाद के बाद आसनसोल, ईटानगर, पटना, मेरठ,
रायपुर, गाजियाबाद, जमशेदपुर, वाराणसी, कल्याण
डोंबिवली का नाम है।
शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छता रैंकिंग की इस
लिस्ट को जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने साल 2014 में दिल्ली की सड़कों पर झाडू़ लगाकर
इस अभियान की शुरुआत की थी। हालांकि उनके
अभियान का असर संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक
पहुंचता नहीं दिख रहा है।
पिछले साल भी मैसूर सबसे साफ शहरों की लिस्ट में
टॉप पर था। नई लिस्ट को जारी करते हुए शहरी
विकास मंत्री एम वैंकेया नायडू दुनिया हमें देख रही
है। स्वच्छ भारत अभियान के जरिए हम दुनिया को
भारत का साफ चेहरा दिखा सकते हैं।
इन मानकों पर हुआ सर्वे
1. 500 मीटर के दायरे में 10 में से तीन लोगों के
पास पब्लिक टॉयलेट की सुविधा हो।
2. 10 में 9 लोगों के घरों में टॉयलेट की सुविधा
उपलब्ध हो ।
3. 10 में से दो लाेग माने की उनका इलाका साफ
है।
4. 10 में से दो लोग कहें कि उनके इलाके में डस्टबिन
है।
सोमवार, 15 फ़रवरी 2016
कांग्रेस का मैसूर सबसे साफ, मोदी का वाराणसी गंदे शहरों में
मोदी का वाराणसी #FlopCleanIndia
देश की शहरों की स्वच्छता रैंकिंग
सामने आ गई है। सबसे साफ शहर कनार्टक का मैसर है,
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय क्षेत्र
वाराणसी सबसे गंदे शहरों में एक है। यह हाल तब है
जबकि मोदी ने बीते दिनों जापान के प्रधानमंत्री
की मौजूदगी में वाराणसी को क्योटो की तरह
हाईटेक शहर बनाने का दावा किया था।
स्वच्छता रैंकिंग में 73 शहर शामिल
स्वच्छ भारत अभियान के तहत 73 शहरों
की स्वच्छता रैंकिंग जांची गई है। कांग्रेस शासित
कनार्टक का मैसूर शहर इस रैंकिंग में टॉप पर है। दूसरे
नंबर पर चंडीगढ़ और तीसरे पर तिरुचिरापल्ली है। इस
लिस्ट ने नरेंद्र मोदी के विराेधी अरविंद केजरीवाल
को भी खुश होने का मौका दिया है।
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली को स्वच्छता रैंकिंग
में चौथा स्थान मिला है। इसके बाद नई दिल्ली नगर
निगम, विशाखापट्टनम, सूरत, राजकोट, गंगटोक,
पिंपरी चिंचवाड़ और ग्रेटर मुंबई है। इस सर्वे को साल
2014 में किया गया है।
दुनिया के सबसे गंदे शहरों में धनबाद टॉप पर है।
धनबाद के बाद आसनसोल, ईटानगर, पटना, मेरठ,
रायपुर, गाजियाबाद, जमशेदपुर, वाराणसी, कल्याण
डोंबिवली का नाम है।
शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छता रैंकिंग की इस
लिस्ट को जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने साल 2014 में दिल्ली की सड़कों पर झाडू़ लगाकर
इस अभियान की शुरुआत की थी। हालांकि उनके
अभियान का असर संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक
पहुंचता नहीं दिख रहा है।
पिछले साल भी मैसूर सबसे साफ शहरों की लिस्ट में
टॉप पर था। नई लिस्ट को जारी करते हुए शहरी
विकास मंत्री एम वैंकेया नायडू दुनिया हमें देख रही
है। स्वच्छ भारत अभियान के जरिए हम दुनिया को
भारत का साफ चेहरा दिखा सकते हैं।
इन मानकों पर हुआ सर्वे
1. 500 मीटर के दायरे में 10 में से तीन लोगों के
पास पब्लिक टॉयलेट की सुविधा हो।
2. 10 में 9 लोगों के घरों में टॉयलेट की सुविधा
उपलब्ध हो ।
3. 10 में से दो लाेग माने की उनका इलाका साफ
है।
4. 10 में से दो लोग कहें कि उनके इलाके में डस्टबिन
है।
देशभक्त बनने के तरीके
- ज़ोर-ज़ोर से बोलें, भारत माता की जय।
- बीच-बीच में किसी लेखक या बुद्धिजीवी की पिटाई करते रहें।
- किसी किताब या कलाकृति में आपकी नजर में कुछ राष्ट्रविरोधी हो तो फौरन उसका विरोध करें, उसे जला दें या तोड़फोड़ दें।
- कोई अगर कहे कि देश अपने नागरिकों के साथ नाइंसाफ़ी कर रहा है तो उसे माओवादी बता दें।
- अगर कोई मजदूरों और किसानों की बात उठाए तो उसे विकास विरोधी क़रार दें।
- आरक्षण का सवाल उठे तो योग्यता की बात करें। दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों को बीच-बीच में उनकी औकात बताते रहें।
- सुबह पार्क जाकर ज़ोर-ज़ोर से हंसे, योग करें, बाबा की मैगी खाएं, उनके बताए मुताबिक सांस लें और छोड़ें।
- पाकिस्तान को बार-बार गालियां दें।
- क्रिकेट मैच में भारतीय टीम का झंडा लेकर घूमें, गाल पर तिरंगा छपवा लें।
- लोकतंत्र को कोसते हुए बताएं कि सारी गड़बड़ियां वोट की राजनीति से है।
- नेहरू को गालियां दें और बताएं कि पटेल यह देश अच्छे से चला सकते थे।
- गांधी को महात्मा मानें, लेकिन गोडसे को और महान आत्मा मानें, उनकी मूर्तियां लगवाएं, उनकी फांसी के दिन पर शौर्य दिवस मनाएं।
- अभिव्यक्ति के अधिकार पर भरोसा करें, लेकिन भक्ति के अधिकार को ज़्यादा बड़ा मानें।
- गाय को सड़क पर भटकने दें, पॉलिथीन खाने दें, लेकिन गोकशी और गाय का कारोबार करने वालों की जासूसी करें, ज़रूरत करने पर पिटाई भी।
- महिलाओं का पूरा सम्मान करें, उन्हें भड़काऊ कपड़े न पहनने दें, उन्हें घर के भीतर रखें, उन्हें पतिव्रता और धर्मपरायण होने की शिक्षा दें।
- गीता-वेद, महाभारत-रामायण पढ़ें न पढ़ें, लेकिन रीति-रिवाजों और परंपराओं का हवाला देते हुए सत्यनारायण कथा, तमाम तरह के व्रत-उपवास करते-कराते रहें।
- देश में किसी तानाशाह या सैनिक शासन की ज़रूरत बताएं।
- अखबार न पढ़ें, किताब न पढ़ें, संविधान न पढ़ें, एक फ़र्ज़ी ट्विटर अकाउंट शुरू करें और जो भी देश और समाज को बदलने की सोचें, उसको धमकाएं।
- विचार भी करें और बहस भी, लेकिन जो आपकी न माने या न सुने, उसका मुंह तोड़ दें।
- बस देश के लिए जिएं, देश के लिए सोचें और देश के लिए किसी की जान भी लेने को तैयार रहें।
गद्दारों का है तुम में खून भरा,
गद्दारों का है तुम में खून भरा जो तुम गोडसे के गुण गाते हों,
जिस देश में तुमने जनम लिया उसी में नफरत फैलाते हो!
गणतंत्र दिवस को काला दिवस मनाकर झंडा जलाते हो!
अफजल को जो शहीद बताये उस पीडीपी से मिलकर सरकार बनाते हो!
जाती -पाती तुमने फैलाई धर्म का तुमने अपमान किया
अभिव्यक्ति की ये क्या परिभाषा जो सेकुलर शब्द को बदनाम किया
गोडसे को अगर शहीद कहते हो तो बापू गांधी क्या कहलायेंगे,
कोई इनके रहनुमाओं का धर्म मुझको बतलायेगा!
अपनी धरती माता को रुलाकर ये कैसी सत्ता पाओगे,
जिस भगवा-राज के तुम गुण गाते हो क्या फिर इसको जम्बूद्वीप बनाओगे
हम तो गोडसे को फंदा लगाएंगे चाहे ऐसे पिस्सू कितने भी पैदा कर लेना ,
तुम जैसे कायर संघियों पर भारी पड़ेगी ये भारत माता के लालों की सेना!
तुम ललकारो और हम न आये ऐसे बुरे हालात नहीं
भारत को बर्बाद करो इतनी भी तुम्हारी औकात नहीं!
इन गद्दार चड्डीधारियो के अच्छे दिन अब और बाकी नहीं
भगत सिंह , अशफ़ाक़ उल्ला और आज़ाद की इस देश में कमी नहीं,
बस इक और इंक़लाब होना चाहिए,
इस देश को बर्बाद करने वालों की पोल खुलनी चाहिए !
यह देश हम सबका है , यहाँ हर रंग महकता हैं
ये देश तुम्हारा है ये देश हमारा है, ये सविंधान सबसे प्यारा है
आओ हम सब इसका सम्मान करें,
जिस मिट्टी पे हैं जनम लिया उसपे हम अभिमान करें !
असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का तरीका??
कुछ दिन पहले बीजेपी के ही स्टूडेंट विंग ABVP ने JNU में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए (इसका सबूत आप पहले ही एक वीडियो में देख चुके हैं) और इसका इलज़ाम JNU के विद्यार्थियों पर लगा कर जेल में डाल दिया गया और फिर शुरू हो गयी देश भक्ति और देश द्रोही की बहस।
हर टीवी, अखबार, सोशल मीडिया, हर जगह ये बहस हो रही है।
ये सच मुच देश भक्ति का जोश है या फिर असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का तरीका???
बीजेपी पहले भी ऐसे घटिया और नीच तरीकों का इस्तेमाल करके जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाती रही है।
अब ज़रा गौर कीजिये पिछले कुछ दिनों में हुई बातों से जिन पर आपका ध्यान नहीं गया क्योंकि बीजेपी ने इस तरिके से आपका ध्यान भटका दिया
1) मोदी सरकार ने देश के गौरव PSLV (हांजी वही PSLV जिसने दूसरे देशों के उपग्रह भी अंतरिक्ष में पहुंचाए हैं और देश का नाम रौशन किया है) को प्राइवेट कंपनियों को बेचने की तैयारी कर ली है
2) देश की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। सेंसेक्स धड़ाम से नीचे गिरा है
3) अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल के दाम गिरने के बावजूद भी देश में पेट्रोल डीजल के दाम नहीं गिरे क्योंकि मोदी जी ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है।
4) जीडीपी के नए फॉर्मूले के हिसाब से आंकड़े तो ऊपर जा रहे हैं पर IIP के आंकड़े पाताल में घुसते जा रहे हैं।
5) मोदी जी के विरोध के बावजूद अमेरिका पकिस्तान को विमान बेच रहा है। मोदी जी की चमचागिरी और विदेश नीति की हवा निकल रही है।
6) मोदी सरकार ने उद्योगपतियों का 1.80 लाख करोड़ का ऋण माफ़ कर दिया। बैंक घाटे में चले गए।
7) लेकिन किसानो की फसलें नहीं खरीदी गयी ना ही उनको आर्थिक सहायता दी गयी। जो धान पिछले साल सरकार में 2100 में खरीदी थी वो अब्की बार प्राइवेट कंपनियों ने 900-1000 में खरीदी। किसानो पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और उसकी मोदी जी को फ़िक्र नहीं।
लेकिन उद्योगपतियों का कर्ज माफ़ करने के लिए पैसे हैं मोदी जी के पास। दुसरे देशों को बांटने के लिए पैसे हैं मोदी जी के पास।
8) बाजार में मंदा पड़ा है। जमीन के भाव 25% रह गए। सभी व्यापारी खाली बैठे हैं। भ्रष्टाचार चरम पर है।
लेकिन, एक ही झटके में, मोदी जी ने अपने प्यादों की सहायता से लोगों का ध्यान इन सब मुद्दों से भटका कर, खुद ही बनायी हुई बहस में फंसा दिया।
इसे कहते हैं राजनीति !
लेकिन क्या हम इतने नासमझ हैं?
सबसे बड़े आतंकवादी
भारत में Bomb धमाको का सच
भारत में बम विस्फोट कौन करता है ?
मुसलमान या ?????
1- मालेगाँव का बम विस्फोट-
लेफ़्टिनेंट कर्नल श्रीकांत
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर,
2- अजमेर दरगाह का बम विस्फोट-terrorist
स्वामी असीमानंद ,
इंद्रेश कुमार (आरएसएस RSS के वरिष्ठ नेता),
देवेंद्र गुप्ता,
साध्वी प्रज्ञा सिंह,
सुनील जोशी,
संदीप डांगे,
रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी,
शिवम धाक़ड,
लोकेश शर्मा,
समंदर ,
योगी आदित्यनाथ.
3- मक्का मस्जिद का बम विस्फोट-स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
4- समझौता एक्सप्रेस का बम विस्फोट-स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
5- नांदेड बम विस्फोट-
Terrorists
संघ कार्यकर्ता RSS
राजकोंडवार तथा नकली
दाड़ी और
शेरवानी ,
कुरता ,
पायजामा भी बरामद
6- गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट- अज्ञात - आफ़ताब आलम अन्सारी है गिरिफतार किया व बाईज्जत रिहा
7- मुंबई ट्रेन बम विस्फोट - अज्ञात क्योंकि मुस्लिमों को फंसाया नहीं जा सका
8- घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट-
अज्ञात क्योंकि मुस्लिमों को फंसाया नहीं जा सका .
9- वाराणसी बम विस्फोट-अज्ञात क्योंकि
मुस्लिमों को फंसाया नहीं जा सका .
10- कानपुर बम विस्फोट-बजरंग दल कार्यकर्ता
भूपेन्द्र सिंह छावड़ा और
राजीव मिश्रा
11- पाकिस्तानी कसाब -जिम्मेदार भारत सरकार क्योंकि उसे 15 दिन पहले से जानकारी थी -कमिश्नर मुश्रीफ का बयान .
अगर मुसलमान बोम्बविस्फोट करते है , तो मस्जीद मे क्यू करते है।
मंदिरों मे क्यों नही
♦ओर बंब गिराने पर उस जगह दाढी टोपी क्यू डाल के जाते है ।
टोपी गिर जाती होंगी ये बात ठीक है मगर दाढी???
पागल है मुसलमान उन्हे कोई ब्रह्मणो का मंदिर न मिला ।
नांदेड मी तो बंब बनते समय फुट गया उसमे २ ब्राह्मण मर गये ओर २ पकडे गये ।
उस जगह ओर क्या मिल पता है, टोपी ओर नकली दाढी के बक्क्षे ।
हाय रे इंडिअन मुजाहिद्दीन ….उसमे तो सारे
कुलकर्णी ,
पुरोहित ,
शुक्ला ,
गुप्त ,
जोशी ,
प्रज्ञासिंग वा ।
अक्षरधाम मंदिर आतंकी हमले मे गिरफ्तार तमाम बेगुनाह भारतीय मुस्लिम नागरीको को आदरणीय न्यायालय ने बाइझत रिहा कर दिया.
✨इंडियन मुजाहिद्दीन✨ नाम का कोई संघठन भारत में है हि नही ।
♦जिसका न कोई संस्थापक , न कोई सदस्य ।
♦ये तो चालबाजी है ??? कि मुसलमानो के खिलाफ भडकाने कि ।
ये सब बाते सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडीया में हलफनामे में इक़बाल ये बयान दर्ज है।
इसलिए झुटलाने का कोई सवाल ही नहीं।
♦ईनके चरित्र का आकलन अभ्यास हमारे सभी महापुरुषों को बखूबी था
इसलिए यह बाहर से कितना भी अच्छा लगता हो है वो 1 न जहरीला सांप जिसके कांटने से एक दो चार लोग नहीं पूरी के पूरी पीढ़ी बर्बाद होती है। सही जानकारी का अभाव ही हमारी सभी गुलामियों की जड़ है ।
देश को पूरे ५ लड़कों के नारों से ख़तरा पैदा हो गया है.
बहुत डर लग रहा है. सुना है १२५ करोड़ के इस देश को पूरे ५ लड़कों के नारों से ख़तरा पैदा हो गया है. जब से पाकिस्तान और चीन को इस बात का पता चला है दोनों मिलकर सर कूट रहे हैं...जिस देश से मुकाबले के लिए उन्होंने अरबों डॉलर नाभिकीय अस्त्र बनाने में लगा दिये उसे फ़कत कुछ नारों से हिलाया जा सकता है. तैयार हो जाइये...अब सीमा पार से गोलीबारी नहीं नारेबाजी होगी. सैनिकों को बारूद नहीं नमक के पानी के गरारों की जरूरत है...अपने नारे भी उतने ही बुलंद होने चाहिए. हो सकता है वे अमेरिका से नारे ख़रीद लें, हमें भी रूस से बात कर लेनी चाहिए. उनका नारे लगाने का इतिहास पुराना है. नारों का इतिहास हमारा भी है...१९४७ के पहले हमने खूब नारे लगाए. लेकिन तब के नारे लगाने वालों को शायद यह नहीं मालूम था कि १९४७ के बाद एक ऐसा दिन भी आएगा जब इस देश में नारे लगाने की आज़ादी ख़त्म हो जाएगी. वैसे इस आज़ादी को ख़त्म करने वाले वही लोग हैं जो १९४७ के पहले नारे नहीं लगाते थे. लगाते तो उनमें से कोई तो जेल जाता...वो तो सरकारी गवाह बनकर नारे लगाने वालों को जेल भिजवाया करते थे. १९४८ के आते ही उन लोगों ने उस बूढ़े की हत्या कर दी थी जिसने हमें सबसे अधिक और मजबूत नारे दिए थे. अब ये लोग सत्ता में हैं तो नारों से उनका डर अस्वाभाविक नहीं है. सोच रहा हूँ उस गाने का क्या नया संस्करण होना चाहिए जो लता जी ने १९६२ की लड़ाई के बाद गाया था..."ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम ख़ूब लगा लो नारा".
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