गुरुवार, 26 मई 2016

दो साल जनता बेहाल

केंद्र मे भाजपा नीत मोदी सरकार के आज दो वर्ष पूर्ण हो चुके हे...आपके सामने पेश हे इन दो वर्षो में देश व जनता के हित में सरकार में बेठे लोगो की मानसिकता के हिसाब लायी गयी महत्वकांक्षी योजनाये जो इस प्रकार हे...
1. लव जिहाद
2. घर वापसी
3. झाड़ू अभियान
4. दादरी कांड
5. रोहित वेमुला
6. नेशनल हेराल्ड
7. जे एन यू में कन्हैया
8. हिन्दूओ को 10 बच्चे पैदा करने की योजना
9. अगस्ता वेस्टलेंड
10. जीजा साला योजना
यह सारी योजनाये देश की जनता की सूझ बुझ से असफल हो गई...वर्ना आज भारत विश्वगुरु बन गया होता...इसके अलावा चुनावी सारे वादे....एक से बढ़कर एक जुमले हो गए हे...जेसे कालाधन, धारा 370, मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, जनलोकपाल, आतंकवाद, पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से देना, एक सर के बदले 10 सर लाना, गोमांस पर प्रतिबन्ध, सबका साथ सबका विकास, गंगा सफाई आदि अनेक जुमले... देश को मिले मोदी के श्री मुखारविंद से...कुल मिलाकर दो साल सिर्फ व्यर्थ के विवादों से, प्रचार प्रसार और बड़ी बड़ी डींगे हांककर जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटाने में ही निकल गए....जय हिन्द

मोदी सरकार में देश के काले दिन

आज मोदी सरकार के पुरे दो साल
नारी पर बढ़ता अत्याचार
मरता गरीब किसान
दाल हुई मुर्गी से मंहगी
विदेशी दौरों नही कोई लाभ
भाजपा शासित प्रदेशो में महाघोटाले
15 लाख बना जुमला
काला धन का पता नही है
दाऊद से भाजपा नेताओ के संम्बध
पुरे भारत धर्म के नाम पर ज़हर उगलना
अंदानी और अंबानी के अच्छे दिन आना
माल्या को प्रेम पूर्वक विदेश भेजना
अनपढो को मंत्री बनाना
बलात्कारियो को उच्च पदो पर बिठाना
विधर्थियो पर लाठीचार्ज करना
बेगुनाहो को झूठे मुकदमो में फंसना
यात्राओ के नाम पर जनता का माल लुटाना
किसानो के कर्ज माफ़ नही करना।
नोकरिया नही देना
स्वरोजगार के के नाम पर जनता को झूट बोलना
किराया बढ़ाकर जनता के ऊपर बोझ डालना
बलात्कार और हत्याओ को बढ़ना
बीफ कारोबार में भारत का 1 नम्बर होना
नेपाल भूटान अफगान ईरान को जमकर माल लुटाना ।।

सौ :- नवेद शैख़ (इंडियन)

जब दो साल का जश्न मनाया जाए तो उसमें यह बताना चाहिए

गंगा कितनी साफ हुई?
आदर्श ग्राम योजना किस हालत में है?
बुलेट ट्रेन कहां तक पहुंची?
स्मार्ट सिटी की स्थिति क्या है?
विदेशों से कितना धन आया?
निर्यात लगातार क्यों घट रहा है?
रुपया क्यों रसातल में जा रहा है?
दो साल में कितनी जोब क्रिएट की ?
देश की अर्थव्यवस्था कुलांचे मार रही है या बकौल स्वामी रसातल में जा रही है?
अगर रसातल में जा रही है, तो इसकी जिम्मेदारी आरबीआई गवर्नर राजन की कैसे है?
यह भी जरूर बताएं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें न्यूनतम स्तर पर होते हुए भी देश की जनता पूरी दुनिया के मुकाबले महंगा पेट्रोल-डीजल खरीदने पर मजबूर है?
सूखे से किस तरह निपटा गया?
किसान क्यों अपनी एक टन प्याज एक रुपये में बेचने के लिए मजबूर है?
जन-धन खाते, शौचालय और गैस सब्सिडी की बातें तो मोदी अपनी हर सभा में करते हैं, इसलिए इनका गुणगान करने की जरूरत नहीं है। लेकिन हां, यह जरूर बताना चाहिए जो जन धन खुले हैं, उनमें से कितने एक्टिव हैं?
गैस सब्सिडी छोड़ने के अभियान के विज्ञापन पर कितना पैसा खर्च किया गया?

सौ :- नवेद शैख़ (इंडियन)

लोकप्रिय पोस्ट