मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

मानवाधिकार संगठनों ने मोदी सरकार को घेरा

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं ने अल्पसंख्यकों पर हमले नहीं रोक पाने और नागरिक अधिकार संगठनों पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की है.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को फटकार लगाई गई है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन का हवाला देते हुए एनजीओ और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने और विदेशी फंड रोकने के लिए मोदी सरकार को जमकर कोसा है.

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मांस निर्यात में सबसिडी के तड़के से भारत नंबर वन

बीफ (गोमांस) को लेकर भाजपा चाहे कितना भी हल्ला मचाए पर सच यह है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद न केवल मांस का निर्यात बढ़ा है बल्कि नए बूचड़खाने खोलने व उनके आधुनिकीकरण के लिए 15 करोड़ रुपए की सबसिडी दी रही है। सबसे अहम बात तो यह है कि भले ही हिंदूवादी संगठन धार्मिक आधार पर इसका विरोध कर रहे हों पर सच्चाई यह है कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू हैं।

भाजपा सरकार ने पहले महाराष्ट्र में गणेश पूजा के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा कर विवाद खड़ा किया था। फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गोमांस की अफवाह के बाद जिस तरह से एक परिवार पर हमला करके उसके एक सदस्य की हत्या कर दी गई उसने बिहार विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बना दिया। लालू प्रसाद ने गोमांस पर जो बयानबाजी की उससे विवाद और गहरा गया है। संयोग से इसी बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने नवादा की सभा में तत्कालीन यूपीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे।

उन्होंने तब कहा था कि मनमोहन सिंह सरकार हरित क्रांति की जगह गुलाबी क्रांति (मांस उत्पादन) पर ज्यादा जोर दे रही है। वह मांस उत्पादकों को सबसिडी व टैक्स में छूट दे रही है। पर जब राजग की सरकार बनी तो उसने मांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए बूचड़खाने स्थापित करने व पुरानों के आधुनिकीकरण के लिए अपने पहले बजट में 15 करोड़ रुपए की सबसिडी का प्रावधान कर दिया। इसके नतीजे सामने आए और पहली बार देश को बासमती चावल की तुलना में कहीं ज्यादा आय मांस के निर्यात से हुई है। उसने पिछले साल 4.8 अरब डालर की विदेशी मुद्रा अर्जित की।

आम धारणा यह है कि मांस का व्यापार गैरहिंदू विशेषकर मुसलमान करते हैं पर तथ्य बताते हैं कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू है। ये हैं – अल कबीर एक्सपोर्ट (सतीश और अतुल सभरवाल), अरेबियन एक्सपोर्ट (सुनील करन), एमकेआर फ्रोजन फूड्स (मदन एबट) व पीएमएल इंडस्ट्रीज (एएस बिंद्रा)। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के राज्य गुजरात में जहां एक ओर नशाबंदी लागू है, वहीं नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद मांस का उत्पादन काफी बढ़ गया। उनके सत्ता में आने के पहले गुजरात का सालाना मांस निर्यात 2001-2 में 10600 टन था जो कि 2010-11 में बढ़कर 22000 टन हो गया।

मोदी सरकार द्वारा मांस निर्यात को दिए प्रोत्साहन के नतीजे सामने आए व 2014-15 में मीट निर्यात से होने वाली आय में 14 फीसद की बढ़ोतरी हुई। देश ने चाहे और किसी क्षेत्र में अपना नाम भले ही न कमाया हो पर वह दुनिया का सबसे बड़ा मांस निर्यातक बन गया है। हालाकि बीफ का मतलब गोमांस होता है पर बड़ी तादाद में यहां से भैसों का मांस बाहर भेजा जाता है। आमतौर पर बूढ़े बैलों को काटने की अनुमति है।

देश में असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल में सरकार की अनुमति लेकर व अरुणाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम व त्रिपुरा में बिना किसी अनुमति के गाय भी काटी जा सकती है। इसकी एक ही शर्त है कि उसकी उम्र 10 साल से कम नहीं होनी चाहिए।

वर्ष 2014-15 के दौरान भारत ने 24 लाख टन मीट निर्यात किया जो कि दुनिया में निर्यात किए जाने वाले मांस का 58.7 फीसदी हिस्सा है। विश्व के 65 देशों को किए गए इस निर्यात में सबसे ज्सादा मांस एशिया में (80 फीसद) व बाकी अफ्रीका को भेजा गया। वियतनाम तो अपने कुल मांस आयात का 45 फीसद हिस्सा भारत से मंगवाता है। दूसरा नंबर ब्राजील का है जिसने 20 लाख टन निर्यात किया जबकि ऑस्ट्रेलिया 15 लाख टन निर्यात करके तीसरे नंबर पर रहा।

भारत के पहले नंबर पर आने की वजह यह है कि यहां का मांस सस्ता होता है क्योंकि यहां दूध न देने वाले या बूढ़े पशुओं को काट देते हैं, जबकि ब्राजील व दूसरे देशों में मांस के लिए ही पशुओं को पाला जाता है जिन्हें खिलाने का खर्च काफी आ जाता है।

जहां दुनिया को बीफ का निर्यात कर भारत मोटा मुनाफा कमा रहा है वहीं देश में इसकी खपत में कमी आई है। इसकी जगह मुर्गों की खपत बढ़ी है। अहम बात यह है कि मुस्लिम बहुय जम्मू-कश्मीर में बीफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

राजनीति से अलग धननीति:

राजग की सरकार ने मांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए बूचड़खाने स्थापित करने व पुरानों के आधुनिकीकरण के लिए अपने पहले बजट में 15 करोड़ रुपए की सबसिडी का प्रावधान कर दिया। ’इसके नतीजे सामने आए और पहली बार देश को बासमती चावल की तुलना में कहीं ज्यादा आय मांस के निर्यात से हुई है। उसने पिछले साल 4.8 अरब डालर की विदेशी मुद्रा अर्जित की। ’वर्ष 2014-15 के दौरान भारत ने 24 लाख टन मीट निर्यात किया जो कि दुनिया में निर्यात किए जाने वाले मांस का 58.7 फीसद है।

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कांग्रेस का आंकड़ों के साथ दावा, 'NDA सरकार आने के साथ बढ़ जाता है देश में आतंकवाद

नई दिल्ली।

कांग्रेस ने आंकड़े पेश करते हुए दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के आने के बाद से सीमा पार से आतंकवाद बढा है। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक पेज पर ट्वीट करके कहा है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में सीमा पार से संचालित आतंकवाद की घटनाएं 95 फीसदी तक कम हो गई थी। लेकिन एनडीए सरकार के पिछले 19 माह के कार्यकाल में आतंकवाद की घटना नौ प्रतिशत तक बढ गई है।

कांग्रेस ने अपने आरोपों के पीछे दलील दी है कि भाजपा सरकार आने के बाद सीमा पार से सक्रीय आतंकवादियों के हौंसले बढ जाते हैं। मोदी सरकार के आने के बाद सीमा पार से लगातार हमले हो रहे हैं। पिछले वर्ष आतंवादियों ने दो बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया। इनमें पहला हमला 27 जुलाई को गुरदासपुर में हुआ और दूसरा 5 अगस्त को ऊधमपुर में हुआ।

इस बार आतंकवादियों ने गुरदासपुर में हमारे महत्वपूर्ण ठिकाने पर हमला किया है। इन सब स्थितियों को देखते हुए लगता है कि हम 2008 से पहले की स्थिति में पहुंच गए हैं। 

पठानकोट के आतंकवादी हमले को लेकर सरकार की रणनीति पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने कहा कि इसमें कोई एक कमांड या नियंत्रण केंद्र नहीं था।

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तो क्या सोनिया गांधी को फ़साना चाहते थे मोदी ?

नई दिल्ली । ब्रिटेन के एक हथियार एजेंट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ सबूत जुटाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। उसने कहा है कि मोदी सरकार ने 2013 के भ्रष्टाचार के एक बहुचर्चित मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके परिवार के खिलाफ सबूत देने के बदले में इटली सरकार को उसके दो मरीनों को आजाद करने का प्रस्ताव दिया था।

द टेलिग्राफ के मुताबिक, 54 वर्षीय ब्रिटिश एजेंट क्रि‌स्चियन माइकल ने ये आरोप हैंबर्ग स्थित समुद्र कानूनों के अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल और हेग‌ स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को लिखे एक पत्र में लगाया है। भारत और इटली की सरकारें इन्हीं दोनों न्यायालयों में इतलवी मरीनों के मामले में एक दूसरे के खिलाफ मुकदमा लड़ रही हैं। फिनमेकेनिका/आगस्ता वेस्टलैंड रिश्वतखोरी मामले में प्रवर्तन निदेशालय क्रि‌स्चियन माइकल से पूछताछ करना चाहती है।

15 फरवरी 2012 को इटली के जहाज एनरिका लेक्सी पर तैनात दो मरीनों मासिमिलानो लाटोरे और सल्वातोर गिरोने ने दो भारतीय मछुआरों की समुद्र में हुई क‌थित मुठभेड़ मे हत्या कर दी थी। दोनों मरीनों पर केरल की अदालत में मुकदमा चल रहा, हालांकि इटली मामले को भारतीय न्यायक्षेत्र से बाहर मानते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाए जाने की लड़ाई लड़ रहा है।

द टेलिग्राफ ने माइकल के आरोपों की पुष्टि नहीं की है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी समाचार पत्र को दिए जवाब में कहा है कि आरोप इतने हास्यास्पद हैं कि इनपर टिप्पणी करना गैरजरूरी है।

समाचार पत्र के मुताबिक, इटली के प्रधानमंत्री कार्यालय ने मामले पर अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि माइकल ने दुबई से समाचारपत्र से हुई बातचीत में कहा,” मैं जानता हूं कि आरोप गंभीर हैं लेकिन मैं इन पर अडिग हूं।”

माइकल ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के प्रधानमंत्री माटियो रेंजी को पिछले साल स‌ितंबर में न्यूयॉर्क में हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के दौरान हुई हल्की सी मुलाकात (Brush-by meeting) में ये प्रस्ताव दिया था। अपने वकील के जरिए लिखे पत्र में माइकल ने कहा है कि न्यूयॉर्क में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच हुई मुलाकात में मरीनों के मामले पर चर्चा हुई थी। माइकल ने ये पत्र 23 दिसंबर, 2015 को लिखा था।

पत्र में उसने कहा, ”भारतीय प्रधानमंत्री ने इटली के प्रधानमंत्री को प्रस्ताव दिया कि फिनमेकेनिका/आगस्ता वेस्टलैंड के मुख्य सलाहकार और गांधी परिवार के बीच र‌िश्तों का कोई सबूत हो तो वे दो मरीनों के खिलाफ केस खत्म करने में मदद करेंगे।” माइकल ही फिनमेकेनिका/आगस्ता वेस्टलैंड का मुख्य सलाहकार है और गांधी परिवार के साथ उसी के रिश्तों का सबूत मांगा था। उल्लेखनीय है कि फिनमेकेनिका/आगस्ता वेस्टलैंड सौदा 2013 में सुर्खियों में आया था।

भारत और इटली दोनों ही सरकारों ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच न्यूयॉर्क हुई मामूली मुलाकात (Brush-by meeting) से इनकार नहीं किया है। भारतीय व‌िदेश मंत्रालय ने कहा कि न्यूयॉर्क में कई राष्ट्र्राध्यक्ष मौजूद थे और उनमें हल्कीफुल्की मुलाकातें और बातचीत संभव है।

Brush-by meeting उन मुलाकातों को कहते हैं, जिनमें राष्ट्राध्यक्ष बिना किसी तय कार्यक्रम में एक दूसरे से मिलते हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच कम से कम एक बार फोन पर बातचीत हो चुकी है। 11 अगस्त, 2014 को इतालवी प्रधानमंत्री रेंजी ने फोनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मरीनों के मामले में त्वरित और सकारात्मक फैसला लेने को कहा था। इतालवी प्रधानमंत्री के कार्यालय ने बातचीत की पुष्टि की।

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