शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

JNU की घटना RSS के माइंड की उपज है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला के मामले में ABVP की जो फजीहत हुयी है, एवं RSS के राष्ट्रवाद ( जो राजतंत्र को मजबूत व लोकतन्त्र को नष्ट करने के उद्देश्य से लाया गया है) को धक्का लगा है। इन दोनो को मजबूत करने व दलित  पिछड़े एकता को नष्ट करने के उद्देश्य से JNU कार्यक्रम लाया गया लगता है। बहुत कुटिल नीति के तहत इस कार्यक्रम को आयोजित कराया गया।जरा सोचो जब JNU ने इस कार्यक्रम की अनुमति नही थी तो हो कैसे गया। इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजन की तैयारी की गयी होगी। तैयारी के समय इसका विरोध या पुलिस कार्यवाही क्यो नही हुयी। मुद्दा जो तैयार करना था । इस कार्यक्रम से राष्ट्रवादियो ने कई निशाने साधे।
१- हैदराबाद के रोहित मामले में भाजपा, व ABVP की हुयी फजीहत को दबाना ।
२- रोहित मामले से उपजी दलित पिछड़े मुस्लिम एकता को नष्ट करना।
३-  RSS व उसके आनुसॉगिक संगठनों को राष्ट्र हितैषी सिद्ध करना, ताकि RSS का लोकतन्त्र को नष्टकर राजतंत्र को मजबूत करने का दूरगामी आन्दोलन की पोल न खुले।
४- देश में ब्राम्हणों के प्रति उभर रही नफरत को दबाना।
५- भाजपा को पिछले चुनावो में मिली करारी हार के बदले देश को हिन्दू मुस्लिम लड़ाई में बदलने की तैयारी।
    भाइयो लोकतन्त्र के लिये इतना खतरनाक JNU का कार्यक्रम नही जितना खतरनाक RSS व उसके आनुसॉगिक संगठनों का राष्ट्रवाद का कार्यक्रम व दलितो पिछड़े व मुस्लिमों की अभिव्यक्ति को दबाना है। राष्ट्रवाद लोकतन्त्र के लिये सबसे बड़ा खतरा है। हमारे लोग इसे समझे।इसका जवाब इसप्रकार निकाले कि बिना विरोध के राष्ट्रवाद की विचारधारा को नष्ट किया जा सके, अन्यथा लोकतन्त्र का नष्ट होना तय है। अगर किसी भाई को राष्ट्रवाद देश व जनहित में लग रहा हो तो एक बार राष्ट्रवाद के उत्पत्ति का इतिहास पढ ले और यह जानने का प्रयास करे कि राष्ट्रवाद व देशभक्ति की संकल्पना क्यो गढी गयी।

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