शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

अछूत वहाँ मैं कहलाता हूँ ....

                                  
है उँच-नीच जहाँ की रीत सदा....
           
मैं बात वहाँ की बतलाता हू

भारत का रहने वाला हूँ
          
अछूत वहाँ मैं कहलाता हूँ ....
      
पत्थर पर घी-दूध चढ़े जहाँ

और ग़रीब भूखा मर जाता है
              
इन्सान के छूने से अपवित्र हुये

जानवर का मल मूत्र पिया जाता है
        
जहाँ पग पग पर किया अपमान नारी का जिसने

उसे मर्यादा पुरषोतम राम कहा जाता है
             
है क्रूर, ढोंग से भरपूर भगवान जहाँ
           
मैं बात वहाँ की बतलाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

अछूत वहाँ मैं कहलाता हूँ।

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