शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

ये बंधुआ मजदूर या गुजरात का शिक्षक??

ये हैं मोदी जी का बनाया और आनंदीबेन का पाला गुजरात का एज्युकेशन डिपार्टमेंट !

गुजरात की सेल्फ फाइनेंस स्कुलो के शिक्षक की कहानी !

कौड़ियो का वेतन, गधो का काम !
कोई सुरक्षा नहीं। कभी भी जॉब से निकाल जाए सकते हैं। सरकारी शिक्षक जहा 30 हज़ार जितना वेतन लेता हैं, इन्हें कुछ हज़ार में पेट पालना पड़ता हैं।
जब जॉब लेते हैं तो संचालक न तो कोई आर्डर देते हैं न तो कोई प्रोफाइल बनाते हैं।
कोई सर्विस बुक नहीं बनती मतलब कोई अनुभव नहीं लिखा जाता ! ताकि कोई दूसरी स्कुल में वो जा सके !
इस चंगुल में गुजरात के ज्यादातर सवर्ण युवा फंसे हैं। क्योकि अनामत की वजह से उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलती और वे ये खून चूसने वाली सेल्फ फाइनान्स स्कुलो की बलि चढ़ जाते हैं!
वो कुछ बोल भी नहीं सकते ! अगर कुछ बोले तो स्कुल वाले तुरंत निकाल देंगे !
नियम कानून जैसा कुछ हैं  ही नहीं !
अब समज में आया क्यों हो रहा हैं गुजरात में आरक्षण का हो हल्ला ??

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