मंगलवार, 8 मार्च 2016

तोते की आजादी! ☘

लोगो के जुलूसो द्वारा लगाये  गये नारो को पिंजरे मे बन्द तोता अक्सर सुनता रहता था  लगातार सुन सुन कर वह तोता भी इन्कलाबी नारे लगाने  लगा  वह अक्सर ही इन नारों का उच्चारण करता रहता था

इन्कलाब जिन्दाबाद

लेकर रहेगे आजादी

आजादी आजादी

आजादी आजादी

अब यह उसका दैनिक क्रम हो चुका  था

उस तोते की करूणा भरी पुकार को सुनकर किसी भले व्यक्ति  ने उस तोते  को आजाद करने के लिए पिन्जरे का दरवाजा  खोल दिया
परन्तु आश्चर्य वह तोता बाहर नही निकला
जब उस व्यक्ति ने जबर्दस्ती उसको बाहर निकालने की कोशिश की तो उसने उस व्यक्ति को चौंच से चोट पहुचा दी

उस व्यक्ति ने परवाह ना करते हुए उस तोते को पिन्जरे से बाहर खीच कर खुले आकाश मे छोड दिया
पर. आश्चर्यजनक स्थिति तब देखी गई।

जब अगले दिन वह तोता पुन: पिन्जरे मे आ बैठा और आजादी आजादी की रट. जारी थी

यही स्थिति हिन्दू धर्म मे दलित. समाज की है

जो इस धर्म से मनुवाद ब्राह्मण वाद से आजादी की रट तो लगाये हुए है

परन्तु बाहर का रास्ता खुला होने के बाद भी मुक्त नही हो पा रहा है
और जिन्होने मुक्त होने की ठान ली वो मुक्त हो गये 

वे मुक्ति की बात ज्यादा करते नही है जो करना था वह कर दिया ।

जब संविधान बनकर तैयार हुआ.

तब बाबा साहब ने कहा कि अब तुम्हें राधा कृष्ण,राम सीता,शंकर महादेव और देवी देवता की जरुरत नहीं पड़ेगी.

तुम्हारी मुक्ति .... तरक्की के दरवाजे जो 5000 साल तक बंद थे  वो कोई देवी देवता भगवान खोलने नहीँ आया
मैँ उन तरक्की के दरवाजों को खोलकर उन गुलामी की बेडिओं को"" संविधान""से काट देता हूँ .✒

तुम उसका सही उपयोग करके अच्छी शिक्षा प्राप्त करना और बुलंदियोँ को छूना.

-डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट