मंगलवार, 8 मार्च 2016

उस देश का भला कैसे हो सकता है

जहाँ सुबह आँख
खुलते ही अंधविश्वास से शुरुआत होती है।
टी.वी.ओन किया तो बाबा भविष्य बताता दिखता है जिसे अपना भविष्य स्वयं पता नहीं।
बाहर निकलते ही मंदिरों में
घंटियां और शंख सुनाई देने लगते हैं जैसे उनका काल्पनिक
भगवान बहरा हो।
दुकान पर जाओ तो दुकानदार
अगरबत्तियां घुमाता दिखेगा, जैसे सारा सामान
अगरबत्तियां ही
खरीद लेगी ग्राहक नहीं।
काम पर जाओ तो मालिक
हाथों को जोड़े काल्पनिक तस्वीर के सामने खड़ा होगा,
जैसे सारा काम बो तस्वीर ही करेगी कर्मचारी नहीं।
अब आप ही सोचियें जहाँ इतना अंधविश्वास हो वो देश कैसे तरक्की कर सकता है।
पंडे पुजारी हराम की हलवा मलाई खा रहे हैं और मजदूर दाल रोटी को तरस रहे हैं.....
जय भीम

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