मंगलवार, 8 मार्च 2016

ये सवर्ण शासक भारत में क्या कर रहे थे??

ताज महल = मुसलमानों ने बनाया;
लाल किले = मुसलमानों ने बनाये ;
कुतुबमीनार = मुसलमानों ने बनाई;
चार मीनार = मुसलमानों ने बनाई;
गोल गूम्बज = मुसलमानों ने बनाया;
लाल दरवाजे = मुसलमानों ने बनाये;
मिजाईल= मुस्लिम ने बनाई (डा.कलाम);
इंडिया गेट = अंग्रेजो ने बनाया;
गेटवे ऑफ इंडिया = अंग्रेजो ने बनाया;
हावड़ा ब्रिज= अंग्रेजो ने बनाया;
पार्लियामेंट हाउस =अंग्रेजों ने बनाया ;
राष्ट्रपति भवन =अंग्रेजों ने बनाया;
नॉर्थ-साऊथ ब्लॉक=अंग्रेजोंने बनाये ;
कनॉट प्लेस =अंग्रेजों ने बनाया;
संविधान= दलित ने बनाया (डॉ. अम्बेडकर);
तो ये सवर्ण  शासक हिन्दू भारत में करते क्या रहे है?
(a) देश को गुलाम बनाते रहे हैं?
(b) देश,धर्म,संस्कृति, सभ्यता और समाज को कमजोर करते रहे हैं?
(c) देशमें जाति-धर्म के नाम पर दंगा कराते रहे हैं ?
(d) देश को तोड़ते रहे हैं?
(e) देश का धन भय और धर्म के नाम पर मंदिरों में इकट्ठा करते रहे हैं.
हम हिन्दू नही हैं ।
संविधान के अनुच्छेद 330 -342 से प्रमाणित है कि अनु.जाति / जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोग हिन्दू नही हैं । यदि किसी में दम है तो प्रमाणित करके बताये कि अनु.जाति /जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोग हिन्दू हैं ।
हिन्दू संस्कृति, विदेशी मुगल संस्कृति और विदेशी ईसाई संस्कृति इन तीनों संस्कृतियों के आधार पर भारत में किसी को आरक्षण नही मिलता है।
सरकारी दस्तावेजों में अनु.जाति /जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोगों से जो हिन्दू धर्म का कॉलम भरवाया जाता है वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अधीन अवैधानिक है ।
जिस पर माननीय न्यायालय में वाद लाया जा सकता है । कुछ लोगों का मत है कि पहले आप जातिगत आरक्षण खत्म करो । तब जातिवाद अपने आप समाप्त हो जायेगा ।
मैं ऐसे मूर्ख लोगों को शुद्ध हिन्दी में समझा देता हूँ कि अनु.जाति/ जनजाति/अन्य पिछड़े और इनमें से धर्म परिवर्तित वर्ग को आरक्षण किसी धर्म की जातियों का भाग होने पर नही मिला है । अनु.जाति/जनजाति/पिछड़े और धर्म परिवर्तित लोग भारतीय मूलवासी हैं और उन पर  आर्य संस्कृति अर्थात वैदिक संस्कृति अर्थात सनातन संस्कृति अर्थात हिन्दू संस्कृति ने इतने कहर जुल्म और अत्यचार ढाये जिनको
पढ़ कर,
सुनकर और देखकर मन में अथाह दर्द भरी बदले की चिंगारी उठती है , जिसका वर्णन नही किया जा सकता ।
जो धर्म जिन लोगों पर अत्याचार जुल्म और कहर ढाता है । वे लोग उस धर्म के अंग कैसे हो सकते हैं ।
हमें आरक्षण इसलिए नही मिला है कि हम हिन्दू रूपी वर्ण और जाति के अंग हैं ।
यह जातियाँ (सवर्ण ) नें अपने आपके श्रेष्ठ व् मूलनिवासी अनार्य शूद्र(obc/sc/st) को क्रमवार नींच बनाकर उनका तन मन धन छीनकर उनका शोषण करने के लिए कार्य के आधार पर भारतीय मूल वासियों पर जबरदस्ती थोपी हैं।
जबकि भारतीय मूलवासी लोग देश के विकास के लिए इस प्रकार के धंधे करते थे । उन्ही धंधों के आधार पर  हिन्दू संस्कृति ने भारतीय मूलवासियों को ऊँचता नीचता के आधार पर विघटित कर दिया और उस ऊँचता - नीचता के आधार पर तरह तरह के जुल्म एवं अत्याचार भारतीय मूलवासियों पर ढाये गए ।
हिन्दू संस्कृति ने भारतीय लोगों पर जाति एवं वर्ण के आधार पर जितने अत्याचार किये । उन अत्याचारों का आकलन संविधान निर्माण कमेटी ने किया । उस आकलन के आधार पर भारतीय मूलवासियों को आरक्षण मिला है न कि हिंदुओं की तथाकथित जाति होने पर ।
जो हिन्दू शास्त्र अनु.जाति /जनजाति एवं पिछड़े वर्ग कॊ बुरी बुरी गालियों से नवाजते हैं । और आज भी अत्याचार कर रहे हैं ।
मेरा आप सभी लोगों से निवेदन है कि "आप सभी लोग मनुवादियाे द्वारा थोपे गए सभी
परम्पराओं,
मान्यताओं
और संस्कारों को त्याग कर भहिष्कार कर दो,
फिर देखना आपकी दिशा और दशा दोनों बदल जायेगी।"
मन्दिर नहीं, स्कूल चाहिए !
धर्म नहीं, अधिकार चाहिए !!
जय भारत

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