रविवार, 27 मार्च 2016

વાયદા હવામાં : ૨૫૧ માં સ્માર્ટફોન બનાવવાનો દાવો કરનારી કંપની Ringing Bells ના માલિક પર FIR

નોયડા પોલીસે ૨૫૧ રૂપિયામાં સ્માર્ટફોન આપવાનો દાવો કરનારી કંપની
Ringing Bells ના માલિક વિરુદ્ધ ધોખાધડીનો કેસ નોંધ્યો છે.
પોલીસે આ મામલો ભાજપ નેતા કિરીટ સોમૈયાની ફરિયાદ પર નોંધ્યો છે.
પોલીસે રીંગીંગ બેલ્સના માલિક મોહિત અગ્રવાલ અને કંપનીના પ્રેસીડેન્ટ
અશોક ચડ્ડા વિરુદ્ધ આઈપીસીની ધારા ૪૨૦ હેઠળ કેસ નોંધ્યો છે.
કિરીટ સોમૈયાએ પોતાની ફરિયાદમાં કહ્યું હતું કે, ૨૫૧ રૂપિયામાં સ્માર્ટફોન બનાવવું
કોઈ પણ રીતે પોસીબલ નથી. કંપની લોકોને મુર્ખ બનાવી
રહી છે.
પોલીસ અધિકારીઓએ જણાવ્યું કે, ‘પ્રાથમિક તપાસથી લાગે છે કે, આ મામલામાં એફઆઈઆર
નોંધાવી જોઈએ. અમે કેસ નોંધી લીધો છે ને હવે એક ટીમ આ
સમગ્ર મામલાની તપાસ કરશે. અમે કંપનીને તપાસ માટે આવશ્યક દસ્તાવેજ ઉપલબ્ધ કરાવવા કહ્યું
છે.’

बुधवार, 23 मार्च 2016

मैं अपना आत्मसम्मान नही खोना चाहता.

नारी को जिन्दा जलाने वाले और फिर रंगों से खुशियाँ जताने वाले ऐसे अमानवीय त्यौहार "होली" को मनाकर

मैं अपना आत्मसम्मान नही खोना चाहता क्यूंकी मेरे अंदर का इंसान अभी जिन्दा है।

Respect woman because my mom is also A woman whom created me.

अहमदाबाद मे ‪#‎होलिका‬ नही बल्कि ‪#‎मनु‬ नामक ब्राह्मण का पुतला और उसकी ‪#‎मनुस्मृति‬ ‪#‎जलाइ‬ गईं ।
1 नये युग की शुरुआत हो चुकी है,
जय भीम......
जय हो आम्बेडकरवादी क्रांति

सोमवार, 21 मार्च 2016

अगर भीम भारत मे आये न होते

भीम गीत
अगर भीम भारतमे आये न होते
अछूतों का कोई सहारा न होता
न धन बल न शिक्षा न इज्जत हमारी
जरा सी भी होती थी हिन्दू धरम में
नरक से निकलने न पाते अभी हम
अगर माता भीमा का प्यारा न होता ।।
अछूतों की हालत पे पाखंडी कितने
मगर मच्छ जैसे बहाते थे आंसू ।
अपना परया न पहचानते हम
अगर ज्ञान बाबा के द्वारा न होता।।
बनाकर के संभिधान भारत का उसने
हमें सारे खोये हकों को दिलाया
गांधी का बचना भी हो जाता मुस्किल।
अगर पैक्ट बाबा के द्वारा न होता।।
अगर भीम भारत में--------

मंगलवार, 15 मार्च 2016

असली मंदबुध्धि(पप्पू) कौन?

आदरणीय मोदी जी,
कुछ दिन पहले आपके लोकसभा में दिये भाषण को सुना! आप के भाषण का एक मुख्य अंश था जिस पर आपने बिना नाम लिए राहुल जी पर तंज कसा कि कुछ लोगों का शरीर तो बढ़ जाता है, परन्तु दिमाग का विकास नहीं होता है! उन्हें चीजों को समझने में वक़्त लगता हैं! सीधे शब्दों में मैं कहूँ तो आपने राहुल जी को मंद्बुद्दी कहा! अब आप देश के प्रधानमंत्री हैं, तो मैंने आप की बात का विश्लेषण किया तो पाया की आप दुर्भाग्यवश इस देश के पहले मंद्बुद्दी (पप्पू) प्रधानमंत्री हैं! क्यूंकि आप को देश की जनता की भावना को समझने में समय लगता हैं! जब आप अपने मूर्खतापूर्ण निर्णय देश के लोगों पर थोपते हैं और जनता आप का प्रतिकार करती हैं! तब बहुत ही ज्यादा सोचने के बाद आपको बात समझ आती हैं! राहुल जी तो भली-भांति ये सब जानते है तभी हमेशा इन मुद्दों के साथ तत्काल खड़े हो जाते हैं! ये बात मैं इसलिए नहीं कह रहा की मैं राहुल जी का समर्थक हूँ, ये बात मैं आपके किये कार्यों का तथ्यात्मक विश्लेषण करने के बाद कह रहा हूँ! आपके द्वारा किये कार्यों का विश्लेषण निम्न हैं!
1. भूमि अधिग्रहण बिल- किसान विरोधी इस बिल को आप लाये! समझने में आपको महीनों लग गए की ये बिल किसान विरोधी हैं! मोदी जी आपके मंदबुद्धि होने के फलस्वरूप कई किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी! राहुल जी ना खड़े होते इस मुद्दे के विरोध में तो आप ने किसानों के भविष्य में अँधेरा लिख दिया होता!
2. आधार कार्ड- आधार को आधारहीन कहने वाली विपक्षी पार्टी को सत्ता में आने के बाद इसके फायदे समझ आये! मोदी जी आपके मंदबुद्धि होने के कारण ही पूरा देश आधार कार्ड के मुद्दे पर गुमराह हुआ और जब सत्ता में आये तो आधार पर आधारित डायरेक्ट सब्सिडी जैसी स्कीमों का क्रेडिट खुद लेने लगे!
3. मनरेगा- पिछले साल के संसद सत्र में मोदी जी बोले “ मैं मनरेगा जैसी योजना चलाने की बेवकूफी नहीं कर सकता हूँ! ” और इस साल आप ने इस साल इस योजना का बजट बढ़ाकर इसे राष्ट्रीय गौरव कहने लगे! मोदी जी आप के मंदबुद्धि होने के कारण शायद ये योजना बंद हो जाती, लेकिन राहुल जी के डर ने गरीब वर्ग की रोजी रोटी बचा ली!
4. जी.एस.टी.- इस बिल को कांग्रेस लायी तो आपने इसका विरोध किया! लेकिन सत्ता में आने के बाद आप को समझ आया की ये बिल जनता के हित में है! कांग्रेस इसे आप के द्वारा लाये जाने पर भी इसे पास करना चाहती हैं, लेकिन टैक्स की कम दरों के समर्थन में हैं! मोदी जी आप इतने मंदबुद्धि है की आप को अभी भी जनता का हित समझ नहीं आ रहा है!
5. एफ डी आई – जब आप की पार्टी विपक्ष में थी तो कहती थी कांग्रेस इस बिल के माध्यम से कांग्रेस इस देश को बेच देना चाहती हैं! अब आप तो रक्षा सौदों में तक इसे ले आये! मोदी जी आपके मंद्बुद्धि होने की वजह से वर्षों देश का विकास रुका रहा!
6. काला धन- काले धन पर तो मोदी जी आप ने मंदबुद्धि होने के साथ-साथ बड़बोले होने का भी परिचय दिया! आपकी फेयर एंड लवली स्कीम ने तो देश के चोरों को क्लीन चिट दे दी! अब ये आपने मंदबुद्धि होने के कारण किया या अपने कुछ हितेषियों को फायदा पहुँचाने के लिए ये जांच का विषय है!

दुर्भाग्यपूर्ण हैं यह देश के लिये लेकिन सत्य यही है! ये कुछ प्रमुख मुद्दे हैं, जो साबित करते है देश के असली मंदबुद्धि (पप्पू) आप हैं मोदी जी, राहुल जी नहीं,राहुल जी बेहतर समझते हैं जनभावना और जनहित को!
सौ- लेखक - राजकुमार जेफ,नाशिक

शनिवार, 12 मार्च 2016

गुलाम तीन प्रकार के होते हैं

1. पहला गुलाम वह होता है जो परम्परागत रूप से गुलाम के घर जन्म लेता है।
2. दूसरा गुलाम वह होता है जिसको गुलाम बना लिया जाता है।
3. तीसरा और सबसे खतरनाक गुलाम वह होता है जो बाबा साहेब के द्वारा दिए अधिकार का सबसे पहले फायदा उठाता है पढ़ लिख कर नौकरी या कोई बड़ा पद जैसे बड़ा अधिकारी, विधायक, और मंत्री बन जाते हैं और
गुलामी ब्राह्मणों की करते हैं।
ऐसे गुलाम परफेक्ट गुलाम होते हैं जो अम्बेडकरवाद के लिए अड़चन पैदा करते हैं।
ये लोग खाते बाबा साहब का हैं और गुण ब्राह्मणवाद (पाखंडवाद)के गाते है।
धिक्कार ऐसे पढे- लिखे परफैक्ट गुलामों पर !!

नमोः बुद्धाय , जय भीम , जय भारत,

☝मंजिल वही सोच नई

दलित समाज का कड़वा सच

दीवाली वजट Min ₹10,000
नवरात्री वजट ₹ 2000
होली वजट ₹ 5000
सत्यनारायण कथा वजट ₹ 3000
मंदिर में दान ₹ 1000
तीर्थ यात्रा वजट ₹ 2500
खुद कपडे फैशन में ₹ 10000
अंबेडकर जयंती पे
1) टाइम नहीं
2) पैसा नहीं
3) शर्म आती है
4)₹ 10 चन्दा
सुधर जाओ जिसकी वजह से सुकून से जी रहे
हो, नौकरी कर रहे हो, समाज में आदर
सम्मान मिला उसे न भूलो। नहीं तो सब
बिखर जायगा।
जयभीम नमौबुद्धाय जयभारत ॥

राम से कही ज्यादा पावरफुल डॉ अम्बेडकर है।

यकीन मानिए सच कह रहा हु

राम से कही ज्यादा पावरफुल डॉ अम्बेडकर है।
राम ने
अपनी पूरी ज़िन्दगी में सिर्फ एक
महिला(सीता) को रावण से आज़ाद करवाया और आज़ाद करवाने के तुरंत बाद अग्निपरीक्षा के नाम पर उसे
भी आग में झोंक दिया,
जबकि
बाबा साहब ने बिना किसी वानर
सेना की मदद के सम्पूर्ण
भारत की महिलाओ
को आज़ादी दिलवा दी ......

शूद्र का संपत्ति रखने का आन्दोलन तो कभी भी लक्ष्मी
देवी ने चलाया ही नहीं !

शूद्र का पढने लिखने का आन्दोलन भी कभी सरस्वती
देवी ने चलाया ही नहीं !

शूद्र के अच्छे भोजन का
आन्दोलन भी कभी अन्नापूर्ण देवी ने चलाया ही नहीं !

तो फिर 33 करोड़ को नमन का क्या मतलब ?

33 करोड़ सलाम के हकदार तो बाबा साहब है !
कोई शक !!

चाल से सावधान रहने की आवश्यकता है

एक भेड़िया कुंआ में गिर गया। उसके कुंआ से निकलने के सभी प्रयास विफल हो गए। तभी बकरियों का एक झुण्ड वहां आया। बकरियों को देख भेडिए को चाल सूझी बोला," बकरी बहन! बकरी बहन यहाँ कुंए के अंदर कितनी हरी-हरी घास है आओ चर लो। बकरी बोली," हमें मूर्ख समझते हो क्या? तुम हमें मारकर खा जाओगे! भेड़िया बोला," नहीं बकरी बहन, मैंने शिकार करना, जीव हत्या करना, मांस खाना छोड़ दिया है। तभी तो यहाँ आकर स्वादिष्ट हरी-हरी घास खा रहा हूँ। बकरियां झांसे में आ गयीं और कुछ बकरियों ने कुंए में छलांग लगा दी। भेड़िया बकरियों की पीठ पर चढ़ कर उछला और कुंए के बाहर आ गया। कुंए के बाहर बची बकरियों को वह मारकर खा गया।
____________________
मनुस्मृति को मानने वाले भी भेड़ियों की प्रकृति के लोग हैं। ये अपने को फंसता /घिरता देख मनुस्मृति भी जलाएंगे क्योंकि मनुस्मृति तो कागज़ की एक पुस्तक है। परंतु इनके मन मस्तिष्क में जो मनुस्मृति लागू करने का प्लान है वो कभी नहीं जलेगा।
जब भी इन्हें मौका मिलेगा ये मनुस्मृति लागू करके ही रहेंगे। इसलिए इनकी ऐसी किसी भी चाल से सावधान रहने की आवश्यकता है बहुजनों! इनके झांसे में कभी मत आना। कभी भी नहीं।
नमोबुद्धाय जयभीम जयभारत

बाबा न होते तो फिर क्या होता

" गले तुम्हारे टाई न होती ,
उसकी जगह तो हांडि होती ।
कमर तुम्हरे बैल्ट न होती ,
वहा तो झाडू लटकी होती ।
नहीं होते ये कोठी ,
बंगले ,वहां पुराना छप्पर होता ।
नही होती ये मोटर कारे ,
फटा' पुराना जुता होता ।
बाबा न होते तो फिर क्या होता ,
बोलो अपने मुख से बोलो ।
बोलो' बोलो फिर बोलो ,
बाबा भीम की जय- जय बोलो  ।
आरक्षण के बल पर मिञो!
नेता अफसर तुम बने हो ।
हाल-चाल सब बदल गऐ हैं।
सूट-बूट में बने-ठने हो।
समता का अधिकार दिलाया ,
छुआछूत का दाग मिटाया ।
उत्पीडन से मुक्त कराया ,
अरे ! बाबा ने क्या न कराया ?
जब भी मीलो परस्पर् तुम सब ,
जय भीम ही अपने मुख से बोलो ।
बोलो-बोलो . बाबै भीम की जय जय बोलो ☝☝☝☝जय भीम

"भीम" से

मोहब्बत भी "भीम" से,
     ईनायत भी "भीम" से,
काम भी "भीम" से,
     नाम भी "भीम" से,
ख्याल भी "भीम" से,
     अरमान भी "भीम" से,
ख्वाब भी "भीम" से,
     माहोल भी "भीम" से,
यादें भी "भीम" से,
     मुलाकात भी "भीम" से,
सपने भी "भीम" से,
     अपने भी "भीम" से,
यारो यु कहो की
     अपनी तो सांसे भी "भीम" से.
नमो बुद्धस्स जय भीम साथियों।

..दिल से ...जय भीम.....

सौ - युवा भीम शक्ति दिल्ली

अगर समझ में आया हो तो अभी तोड़ दीजिये उस कलावे को !!

१.कितने लोग हाथ में कलावा बांधते हैं?
२.कितने लोग यह जानते हैं की कलावा बांधते समय ब्राहमण क्या श्लोक उच्चारित करता है ??
३.कितने लोग उस श्लोक का अर्थ जानते हैं ?
४.कितने लोग उस कलावे को क्यों बांधा जाता है, ये जानते हैं ??
कलावा बांधते समय ब्राह्मण द्वारा उच्चारित श्लोक व अर्थ इस प्रकार है ...."येन बद्धो, दान वेन्द्रो बलिराजा महाबल:तेन त्वः, प्रतिबद्धमे नमो रक्षे, मा चल, मा चल "{अर्थात ये धागा मैं तुझे इस उद्देश्य से बंधता हु जिस उद्देश्य से तेरे सम्राट बलिराजा को बांधा गया था, आज से तू मेरा गुलाम है मेरी रक्षा करना तेरा कर्त्तव्य है, अपने समर्पण से हटना नहीं}
....अब कितने लोगों को अपने कलावा बांधे होने पर गर्व है ..अगर समझ में आया हो तो अभी तोड़ दीजिये उस कलावे को !!!

गुरुवार, 10 मार्च 2016

नेता आज़ाद भारत को कबका आर्थिक ग़ुलाम बना चुके है।

जिन्हें नाज हे हिंद पर वोह कहा है ?????

माल्या जो देश को चुना लगाके भाग चुका है वोह देशद्रोही क्यों नही ???????

२०० करोड़ की सरकारी मिलकत को नुक़सान पहोचाने के आरोप पर अगर हार्दिक पटेल राज्यद्रोही कहा जाता है तो फिर यह माल्या सरकार के लिये क्या है ??

अगर देश के ख़िलाफ़ नारा लगाना देशद्रोह है तो फिर बेंको को लुटने वाला क्या है ?? क्यो कोई भक्त माल्या को ज़िंदा या मुर्दा पकड़के लानेकेलीये ईनाम धोसीत नही करता ???? कयो कोई नेता या पार्टी माल्या के ख़िलाफ़ मुँह नही खोलता ???

मेरे देशभक्त दोस्तों, ईस देश के नेता आज़ाद भारत को कबका आर्थिक ग़ुलाम बना चुके है। देश को हर रोज़ हज़ारों माल्या लुट रहे है । ओर यह लोग देश की राजनैतिक पार्टी ओ को करोड़ों का चंदा देके सत्ता मे लाते है। माल्या जेसै लोग सरकारों को अपना ग़ुलाम रखते है। इनका कोई बाल भी बाँका नही कर पाता। यह देश #CronyCapitalism का शिकार हो चुका है।

देश की आम जनता जो हर रोज़ पाई पाई के लिये मोहताज है । किसान सर से पाँव तक क़र्ज़ मे डुबे है । उनके लिये आत्महत्या के ईलावा कोई रास्ता नही बचता । तब देश की जनता के पसिने की कमाई के 114000 करोड़ उधयोगो को माफ़ करदेना लाखों किसानों की मोत का मज़ाक़ है।

मगर हमारी सोच मर चुकी हे । हम देश की पार्टीओ के ग़ुलाम बन चुके है। हम सबकुछ जानते हुवे भी आँखें बंध रखना चाहते है।

हमे इस बुज़दिली की किंमत चुकानी होगी.... जरुर चुकानी होगी .....
सौ - sorathiya manoj

सबसे ऊँचा, सबसे न्यारा जग में भीमराव का नाम,,

किसी ने पूछा बाबा साहब को कौन-2 मानता है एक कवि का जवाब-

उगते सूर्य की किरण
भीम सलाम करती है,
झर-2 बहते झरने की
लहरे भी कुछ कहती है,,

कल-कल बहती नदियां
पवन ज्यों-2 करे शोर,
भीमराव के होने से ही
आज हुई है अपनी भोर,,

पर्वत से भी ऊँचा जो है
शक्ति साहस दीखता हो,
शौर्य, पराक्रम, बुद्धि के
बल पे ही जो टिकता हो,,

जिसकी कलम का लोहा
दुनिया अब तक मान रही,
मेहनत कहते किसको है
उनको पढ़कर जान रही,,

शोध किये दुनिया ने उनपे
भीम सा दूजा कोई नही,
इतने दुःख दर्दो को सहके
आँख कभी भी रोई नही,,

धरती अम्बर सब के सब
झुक-2 करे जिसे सलाम,
सबसे ऊँचा, सबसे न्यारा
जग में भीमराव का नाम,,

रचनाकार-मन्जीत सिंह अवतार
www.facebook.com/Drmanjeetsinghavtar

बाबा साहब के संदेश

""राजनीति में हिस्सा नहीं लेने से अयोग्य व्यक्ति शासक बन कर आप पर शासन करेंगा""
   ~बाबा साहब
""अपने वोट की कीमत समझो, हमें बिकने वाला समाज नहीं बनाना है""
   ~बाबा साहब
""मैनें रानी के पेट की नसबन्धी तुम्हे वोट का अधिकार दिलवा कर कर दी है अब आप खुद अपने वोट से राजा बन सकते हो या बना सकते हो""
      ~बाबा साहब
""मूलनिवासीओ  ! लिख दो अपनी दीवारों पर कि हमें इस देश की शासक जमात बनना है""क्योंकि शासन करने वाले अधिकार मांगने वाले नहीं देने वाले होते हैं।
     ~बाबा साहब
""मेरे समाज के बहादुर सिपाहियो में ये कारवां यहां तक बड़ी कठिनाइयों से लाया हुं जहां आज ये दिख रहा है ये निरन्तर आगे ही बढता रहना चाहिये अगर आगे नहीं बढा सको तो किसी भी सुरत में पीछे की ओर नहीं मुड़ना चाहिये"""
      ~बाबा साहब
""शिक्षा उस शेरनी का दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा इसीलिए मैं तुम्हे सफल बनने का मुलमंत्र देता हुं:-""शिक्षत बनों" "संगठित रहों" "संघर्ष करों""
        ~बाबा साहब
मेरे समाज के लोगों तुम सिर्फ धार्मिक पाखण्ड को ढो रहे हो इसे छोड़ दो व भारतीय संसद में जाओ तुम्हे शासक वर्ग बनाना मेरे जीवन का अंतिम उद्देश्य है ये सपना आपको साकार करना होगा""
     ~बाबा साहब
""मैंने तुम्हें आजाद करवाने के लिये मेरा सारा जीवन समर्पित कर दिया है और अपने परिवार को भी कुर्बान कर दिया मेरी इस कुर्बानी को व्यर्थ मत जाने देना आपको आपसी मतभेद भुलाकर संगठित होना है और अपने अधिकारों के लिये संघर्ष करना होगा""
           ~बाबा साहब~

महिलाऐं उन्हें भुलाकर वापस धर्म के पीछे दौड़ पड़ी हैं

धर्म ने महिलाओं को कोई अधिकार नहीं दिये थे!
जब सावित्री बाई फूले ने महिला
शिक्षा के लिये
देश का
पहला स्कूल
खोला तो
हिंदू पाखंडियों ने
उनका विरोध
किया,पत्थर मारे,
गोबर फैंका...
फिर जब
बाबासाहब
डॉ.अंबेडकर ने
"हिंदू कोड बिल"
(महिला अधिकार
और
सम्मान कानून)
बनाया तब भी
धार्मिक
पाखंडियों ने
उनके पुतले फूँके,
विरोध किया।
ये बड़े दुख की
बात है कि जिन
महानायकों ने
महिलाओं को
शिक्षा का अधिकार,
MLA,MP,CM,
PM बनने का
अधिकार दिलाया,
महिलाऐं उन्हें
भुलाकर वापस
धर्म के पीछे
दौड़ पड़ी हैं।
☝☝☝☝☝
जय भीम

सौ - एन जी चौहान

पत्थर से इतना लगाव क्यों और जीवित से इतनी नफरत क्यों???

मानव का सफर पत्थर से शुरु हुआ था। पत्थरों को ही महत्व देता है और आज पत्थर ही बन कर रह गया -

------------------------
1. चूहा अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(गणेश की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित चूहा दिख जाये तो पिंजरा लगाता है और चूहा मार दवा खरीदता है।

2.सांप अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(शंकर का कंठहार मानकर)

लेकिन जीवित सांप दिख जाये तो लाठी लेकर मारता  है और जबतक मार न दे, चैन नही लेता।

3.बैल अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(शंकर की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित बैल(सांड) दिख जाये तो उससे बचकर चलता है ।

4.कुत्ता अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(शनिदेव  की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित कुत्ता दिख जाये तो 'भाग कुत्ते' कहकर अपमान करता है।

5. शेर अगर पत्थर का तो उसको पूजता है।(दुर्गा  की सवारी मानकर)

लेकिन जीवित शेर दिख जाये तो जान बचाकर भाग   खड़ा होता है।

हे मानव!

पत्थर से इतना लगाव क्यों और जीवित से इतनी नफरत क्यों?????

ये कैसा दोहरा मापदंड है तेरा?????

मैं भारतीय हूँ और मेरे देश का नाम भारत है...

मेरी कलम से
ना ही मैं हिन्दुस्तानी हूँ और ना ही मेरे देश का नाम हिन्दुस्तान है....
मैं भारतीय हूँ और मेरे देश का नाम भारत है....
मेरी जाति व धर्म सिर्फ मानवता या इन्सानियत है....
मैं बाबा साहब को मानने वाला हूँ और पूरा जीवन उन्ही के मार्ग पर चलने की कोशिश करूँगा....
मैं सदैव अपने भारत देश से मनुवाद, ब्राह्मणवाद, पाखण्डवाद, अंधविश्वास को समाप्त करने तथा अम्बेडकरवाद के प्रचार- प्रसार हेतु प्रयत्नशील रहूँगा....
मैं आज अकेला हूँ और मेरा समाज विघटित है परन्तु मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक दिन मेरा समाज संघटित होगा और हम सब अपनी सामाजिक स्वतंत्रता के लिये एक मंच पर होंगे....
मुझे पूर्ण विश्वास है कि धार्मिक कुण्ठाग्रस्त ,सामाजिक वंचित समूह अर्थात भारत की 85% जनसमूह एक दिन जाग्रति होगा और वह अपनी बेडियो को एक मंच पर आकर तोड़ देगा

"बाबा" तेरे उपकारोँ को, मैँ कभी भुला ना पाऊँगा

पशु को गोद खिलाने वाले,
मुझको छूने से बचते थे।
मेरी छाया पड जाने पर,
'गोमूत्र का छीँटा' लेते थे।।

पथ पर पदचिन्ह न शेष रहेँ
झाडू बाँध निकलना होता।
धरती पर थूक न गिर जाये,
हाथ सकोरा रखना होता।।

जान हथेली पर रखकर,
मैँ गहरे कुआँ खोदता था।
चाहे प्यासा ही मर जाऊँ,
कूपजगत ना चढ सकता था

मलमूत्र इकट्ठा करके मैँ,
सिर पर ढोकर ले जाता था।
फिकी हुई बासी रोटी,
बदले मेँ उसके पाता था।।

मन्दिर मैँ खूब बनाता था,
जा सकता चौखट पार नहीँ।
मूरत गढता मैँ ठोक-ठोक,
था पूजा का अधिकार नहीँ।

अनचाहे भी यदि वेदपाठ,
कहीँ कान मेरे सुन लेते थे।
तो मुझे पकडकर कानोँ मेँ,
पिघला सीसा भर देते थे।।

गर वेदशब्द निकला मुख से
तो जीभ कटानी पड जाती।
वेद मंत्र यदि याद किया,
तो जान गँवानी पड जाती।।

था बेशक मेरा मनुजरूप,
जीवन बदतर था पशुओँ से।
खा ठोकर होकर अपमानित,
मन को धोता था अँसुओँ से।

फुले पैरियार ललई साहू,
ने मुझे झिँझोड जगाया था।
संविधान के निर्माता ने,
इक मार्ग नया दिखाया था।।

उसी मार्ग पर मजबूती से,
आगे को कदम बढाया है।
होकर के शिक्षित और सजग,
खोया निज गौरव पाया है।।

स्वाभिमान जग जाने से,
स्थिति बदलती जाती है।
मंजिल जो दूर दीखती थी,
लगरहा निकट अब आती है।

दर से जो दूर भगाते थे,
दर आकर वोट माँगते हैँ।
छाया से परे भागते थे,
वो मेरे चरण लागते हैँ।।

वो मुझसे पढने आते हैँ,
जो मुझे न पढने देते थे।
अब पानी लेकर रहैँ खडे,
तब कुआँ न चढने देते थे।।

"बाबा" तेरे उपकारोँ को,
मैँ कभी भुला ना पाऊँगा।
"भीम" जो राह दिखायी है,
उस पर ही बढता जाऊँगा।।

जय भीम

अपनी कीमत पहचानिये

मेरी कलम से
"एक कागज का टुकड़ा
            गवर्नर के हस्ताक्षर सेज
               नोट बन जाता है,
       जिसे तोड़ने, मरोडने,
           गंदा होने एवँ जर्जर होने से भी
             उसकी कीमत कम नहीं होती...
       आप भी बाबा साहब के हस्ताक्षर है,
           जब तक आप ना चाहे
              आपकी कीमत कम नहीं
                 हो सकती,
      आप अनमोल है ,
           अपनी कीमत पहचानिये
जय भीम ,जय भारत

मंगलवार, 8 मार्च 2016

तोते की आजादी! ☘

लोगो के जुलूसो द्वारा लगाये  गये नारो को पिंजरे मे बन्द तोता अक्सर सुनता रहता था  लगातार सुन सुन कर वह तोता भी इन्कलाबी नारे लगाने  लगा  वह अक्सर ही इन नारों का उच्चारण करता रहता था

इन्कलाब जिन्दाबाद

लेकर रहेगे आजादी

आजादी आजादी

आजादी आजादी

अब यह उसका दैनिक क्रम हो चुका  था

उस तोते की करूणा भरी पुकार को सुनकर किसी भले व्यक्ति  ने उस तोते  को आजाद करने के लिए पिन्जरे का दरवाजा  खोल दिया
परन्तु आश्चर्य वह तोता बाहर नही निकला
जब उस व्यक्ति ने जबर्दस्ती उसको बाहर निकालने की कोशिश की तो उसने उस व्यक्ति को चौंच से चोट पहुचा दी

उस व्यक्ति ने परवाह ना करते हुए उस तोते को पिन्जरे से बाहर खीच कर खुले आकाश मे छोड दिया
पर. आश्चर्यजनक स्थिति तब देखी गई।

जब अगले दिन वह तोता पुन: पिन्जरे मे आ बैठा और आजादी आजादी की रट. जारी थी

यही स्थिति हिन्दू धर्म मे दलित. समाज की है

जो इस धर्म से मनुवाद ब्राह्मण वाद से आजादी की रट तो लगाये हुए है

परन्तु बाहर का रास्ता खुला होने के बाद भी मुक्त नही हो पा रहा है
और जिन्होने मुक्त होने की ठान ली वो मुक्त हो गये 

वे मुक्ति की बात ज्यादा करते नही है जो करना था वह कर दिया ।

जब संविधान बनकर तैयार हुआ.

तब बाबा साहब ने कहा कि अब तुम्हें राधा कृष्ण,राम सीता,शंकर महादेव और देवी देवता की जरुरत नहीं पड़ेगी.

तुम्हारी मुक्ति .... तरक्की के दरवाजे जो 5000 साल तक बंद थे  वो कोई देवी देवता भगवान खोलने नहीँ आया
मैँ उन तरक्की के दरवाजों को खोलकर उन गुलामी की बेडिओं को"" संविधान""से काट देता हूँ .✒

तुम उसका सही उपयोग करके अच्छी शिक्षा प्राप्त करना और बुलंदियोँ को छूना.

-डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर

जीवित आदमी की आत्मा को वश में क्यों नही कर लेते ?

कहते हैं कि तांत्रिक, भगत, मुल्ला मौलवी आदि आत्माओं को वश में कर लेते हैं । आत्मा को वश में करने के बाद फिर वो उनसे अपनी इच्छानुसार कुछ भी कार्य करवा सकते हैं । किसी आदमी को आत्मा से मरवा सकते हैं । उसको बीमार करवा सकते हैं आदि आदि ।
इधर वो ये भी कहते हैं कि प्रत्येक जीव के अन्दर आत्मा होती है । ऐसे सवाल ये उठता है कि वो मृत आदमी की आत्मा को ही वश में क्यों करते हैं जीवित आदमी की आत्मा को वश में क्यों नही कर लेते ?
अगर वो जीवित आदमी की आत्मा को ही कब्जे में कर लेंगे तो मृत व्यक्ति की आत्मा के अपेक्षा ज्यादा काम ले सकते हैं । अब मान लो कोई हत्या कर दी और मामला अदालत में पहुँच गया तो कर लिया जज की आत्मा को वश में और सुनवा दिया फैसला अपने पक्ष में ।
मान लो बीमार हो गए तो कर लिया डॉक्टर की आत्मा को वश में और अस्पताल सहित दवाई गोली का भी खर्चा ख़त्म । तो भैया क्यों नही जीवित व्यक्तियों की आत्मा को वश में करके अपना कारनामा दिखाते ?
और इंसानों की ही आत्मा क्यों वश में करते हो ? कुत्ते, बिल्ली, बन्दर, घोड़े, हाथी और शेर की आत्मा को भी कभी वश में करके दिखाओ ।

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