पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बारे में एक बड़ा
खुलासा हुआ है. पता चला है कि हमले के बारे में
पाकिस्तानी सेना प्रमुख के राहील शरीफ को पहले
से जानकारी थी. भारतीय खुफिया एजेंसियों के
मुताबिक, पाकिस्तानी सेना वहां के प्रधानमंत्री
नवाज शरीफ के शांति वार्ता के प्रयासों से पूरी
तरह सहमत नहीं है.
हाल ही में हुई एक बैठक में पाकिस्तान के सेना प्रमुख
जनरल राहील शरीफ ने नवाज को कहा था कि वह
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के
लिए स्वतंत्र हैं लेकिन पाकिस्तानी सेना देश में
मौजूद आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं करेगी. ये संगठन भारत के खिलाफ
मुहिम छेड़े हुए हैं.
PAK सेना कर रही है आतंकियों का समर्थन?
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, आईएसआई दिसंबर
2014 से आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मत की ताकत
बढ़ाने में जुटी है. बीते कुछ सालों में जैश-ए-मुहम्मद के
कुछ लोग लश्कर-ए-जांघवी नाम के आतंकी संगठन से
जुड़ गए जो कि पाकिस्तान को ही निशाना बना
रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, जैश-ए-मुहम्मद को
पाकिस्तानी सेना का समर्थन मिलने का सीधा
मतलब से है कि भारत के खिलाफ आतंकवाद जारी
रखना और पाकिस्तान के अंदर हो रहे हमलों को
रोकना.
पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बना है ये संगठन?
लश्कर-ए-जांघवी एक सुन्नी बहुल और जिहादी
आतंकी संगठन है जो पाकिस्तान में सक्रिय है. इस
संगठन ने पाकिस्तान में शिया मुस्लिमों को
निशाना बनाते हुए कई बड़े हमलों को अंजाम दिया
है जिनमें साल 2013 में 200 शियाओं की हत्या का
मामला भी शामिल है. इसके अलावा 1998 में
मोमिनपुरा कब्रिस्तान में हुए हमले के अलावा 2009
में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम को निशाना बनाकर
किए गए हमले में भी इस आतंकी संगठन का नाम
सामने आया था. बीते सालों में यह संगठन
पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरा है.
आतंकियों को ISI से मिल रही है ट्रेनिंग?
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि सीमा पार से
आने वाले आतंकियों को आईएसआई से ट्रेनिंग मिलती
है और उन्हें 26/11 जैसे हमलों में कमांडो ऑपरेशन से
लड़ने के लिए तैयार किया जाता है.
पठानकोट हमले के बाद भारत सरकार ने अब तक
पाकिस्तान विदेश सचिव स्तर की बातचीत जारी
रखने को लेकर रुख पूरी तरह साफ नहीं किया है. यह
बैठक 15 जनवरी को इस्लामाबाद में होनी है.
दोनों देशों के बीच बातचीत पर संकट!
भारत सरकार ने रविवार को पाकिस्तान को उसकी
सीमा से हमले की साजिश रचने को लेकर कई सबूत
सौंपे हैं. भारत सरकार अब इस ओर पाकिस्तान की
प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है. सरकारी सूत्रों
से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार अब
पहले यह देखना चाहती है कि इस्लामाबाद
आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ
कार्रवाई करने के संकल्प को प्रदर्शित करता है या
नहीं. नरेंद्र मोदी की सरकार दोनों मुल्कों के बीच
फिर से बातचीत शुरू होने के बाद इसे पड़ोसी मुल्क
की पहली बड़ी परीक्षा मान रही है.
भारत में सबूत के तौर पर सौंपे फोन रिकॉर्ड्स
गौरतलब है कि खुफिया एजेंसियों ने पठानकोट
एयरफोर्स बेस पर हमला करने वाले आतंकियों की
फोन कॉल्स को इंटरसेप्ट किया था, जिसमें
आतंकियों ने सीमा पार पाकिस्तान में अपने
परिजनों और अपने आकाओं से बात की थी.
पाकिस्तान में उनके आकाओं के मोबाइल नंबर और
उनके सीमा पार से आने के सबूत पाकिस्तान के साथ
साझा किए गए हैं. इसके साथ ही आतंकियों के
जीपीएस कॉर्डिनेट्स, कॉल लॉग्स और
ट्रांसक्रिप्टस भी पाकिस्तान को सौंपे गए हैं
सोमवार, 4 जनवरी 2016
खुफिया एजेंसिया का खुलासा, PAK आर्मी चीफ राहील शरीफ को थी पठानकोट हमले की जानकारी!
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