मंगलवार, 5 जनवरी 2016

पठानकोट हमला: जब पूरी जानकारी थी तो कहां हुई चूक?

पंजाब के पठानकोट में 2 जनवरी को एयरबेस स्टेशन में
हुए आतंकी हमले ने देश को एक बार फिर से दहशत में
डाल दिया है. इस हमले के 4 दिन बीत चुके हैं फिर
भी अभी बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसिया इसे
नाकाम करने में विफल रहीं हैं. जबकि नए साल से
पहले ही गृह मंत्रालय की तरफ से एक इंटेलिजेंस अलर्ट
दिया गया था.
मंत्रालय ने आगाह किया था कि आतंकवादी इस
बार पंजाब को निशाना बना सकते हैं. इसके बाद अब
पंजाब पुलिस की तैयारियों और गुरदासपुर के एसपी
सलविंदर सिंह पर सवाल उठ रहे हैं, जिन्हें आतंकियों ने
कुछ देर के लिए अगवा कर लिया था.
सेना की वर्दी में आए आतंकी
घटना के बाद पूरे पंजाब में अलर्ट जारी किया गया.
यहां तक कि जम्मू पुलिस ने भी हालात पर
निगरानी रखी. जिन पांच लोगों ने एसपी को
अगवा किया था, वे भी सेना की ही वर्दी में थे.
सलविंदर सिंह और उनके दोस्त राजेश वर्मा ने बताया
था कि उनके पास भारी हथियार थे. इन्होंने एसपी
की कार छीनी और उससे 20 किलोमीटर तक गए.
फिर वहां से दूसरी इनोवा गाड़ी ली, जिसे
हिमाचल प्रदेश के एक गांव में छोड़ दिया. एसपी
सलविंदर अकालगढ़ में मिले और यहां से तीन
किलोमीटर दूर टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह की
लाश मिली.
एसपी को अगवा करने वालों को न खोज पाना
बड़ी नाकामी
सूत्रों की मानें तो पठानकोट एयरबेस पर आतंकी
हमले की साजिश एक साल से चल रही थी. पुलिस ने
बेस कैंप की जानकारी पाकिस्तान तक पहुंचाने के
आरोप में 30 अगस्त, 2014 को आर्मी के जवान सुनील
कुमार को अरेस्ट भी किया था. फिर भी इस मामले
को गंभीरता से नहीं लिया गया जिस कारण इतनी
बड़ी घटना को अंजाम देने में आतंकवादी कामयाब
हुए. चंडीगढ़ में पंजाब पुलिस के एक पूर्व शीर्ष
अधिकारी ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि खोज
और तलाशी अभियान हल्का था, क्योंकि सुरक्षा
बल 24 घंटे बाद भी आतंकवादियों को नहीं खोज
पाए.
आत्मघाती हमले की फिराक में थे
आतंकी सेना की वर्दी में आए थे और 2 जनवरी को
तड़के करीब 3 बजे एयरफोर्स स्टेशन की दीवार
फांदकर अंदर घुसने में कामयाब रहे. ये आतंकी दो
टुकड़ियों में एयरफोर्स स्टेशन में दाखिल हुए. एक
टुकड़ी रेजिडेंशियल एरिया की तरफ चली गई तो
दूसरी टेक्निकल एरिया की तरफ. सूत्रों के मुताबिक
ये सीमापार से आए थे. ये आतंकी आत्मघाती हमले
की फिराक में थे. लेकिन जब हमले को अंजाम देने में
नाकाम रहे तो आतंकियों ने पहले ग्रेनेड फेंके और फिर
जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी. इनमें लश्कर-ए-तैयबा
और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल बताए जा रहे
हैं.
NSG कमांडो की मौत पर भी सवाल
इस ऑपरेशन के 4 दिन बीत जाने के बाद और सेना के 7
जवानों के शहीद होने के बाद बीएसएफ और खुफिया
एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं.
NSG कमांडो की बम डिफ्यूज करते समय शहीद होने
की घटना ने पूरे ऑपरेशन पर सवाल खड़े कर दिए.
हालांकि डिफेंस के लोगों का कहना है कि स्पेशल
सूट पहनने के बावजूद कई बार बम डिफ्यूज करते समय
जान चली जाती है. क्योंकि स्पेशल सूट की भी एक
लिमिट होती है.
राहील शरीफ को थी पठानकोट हमले की
जानकारी!
पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बारे में एक बड़ा
खुलासा हुआ है. पता चला है कि हमले के बारे में
पाकिस्तानी सेना प्रमुख के राहील शरीफ को पहले
से जानकारी थी. भारतीय खुफिया एजेंसियों के
मुताबिक, पाकिस्तानी सेना वहां के प्रधानमंत्री
नवाज शरीफ के शांति वार्ता के प्रयासों से पूरी
तरह सहमत नहीं है.
जांच में जुटीं पाकिस्तानी एजेंसियां
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर
स्वीकार किया है कि उसे भारत की ओर से कुछ
इनपुट मिले हैं. बताया जाता है कि पाकिस्तानी
एजेंसियां भारतीय इनपुट के आधार पर जांच में जुट गई
हैं. मोदी सरकार यह देखना चाहती है कि
पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत और नए सिरे से
दोस्ती को लेकर किस कदर संजीदा है और वहां की
सरकार अपने वादे पर अमल करती है या नहीं.
PAK की प्रतिक्रिया के बाद ही वार्ता
मोदी सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारत
द्वारा साझा किए गए इनपुट पर पाकिस्तान की
प्रतिक्रिया और कार्रवाई ही यह तय करेगी कि
आगे इस महीने दोनों मुल्कों के बीच विदेश सचिव
स्तर की वार्ता होगी या नहीं. सूत्र ने बताया,
'अगर पाकिस्तान इस ओर गंभीरता के साथ आगे
बढ़ता है और पठानकोट के दोषियों के खिलाफ
कार्रवाई करता है तो भारत इसे आपसी रिश्तों के
लिए सकारात्मक संकेत मानेगा.'
पंजाब में छह महीने में दूसरा बड़ा हमला
यह छह महीने में पंजाब में दूसरा बड़ा आतंकी हमला
है. इससे पहले 27 जुलाई 2015 को गुरदासपुर में आतंकी
हमला हुआ था. तब भी आतंकी पाकिस्तान के रास्ते
ही आए थे. ये दीनानगर थाने में घुस गए थे और थाने के
बगल वाली इमारत में छुपकर फायरिंग करते रहे थे. यह
मुठभेड़ 12 घंटे चली थी. इसमें गुरदासपुर एसपी शहीद
हो गए थे.
ऐसे बचा बड़ा हमला
इन आतंकियों को एयरफोर्स स्टेशन के घरेलू क्षेत्र में
ही रोक दिया गया था. ये तकनीकी क्षेत्र तक
पहुंचने में कामयाब नहीं हुए. तकनीकी क्षेत्र
एयरफोर्स स्टेशन का सबसे ज्यादा सुरक्षा वाली
जगह होती है. हमले के बाद पूरे पंजाब में हाई अलर्ट
जारी कर दिया गया. पठानकोट में नाकाबंदी कर
दी गई. एयरफोर्स स्टेशन के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई
है. वहीं, दिल्ली में वायुसेना मुख्यालय में उच्च
स्तरीय बैठक की जा रही है.
क्यों अहम है पठानकोट
पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन हमारी सीमा के पास
है. यहां हमारे बड़े हथियार रखे जाते हैं. युद्ध की
स्थिति में पूरी रणनीति को यहां से ही अंजाम
दिया जाता है. 1965 और 1971 की लड़ाई में भी इस
एयरफोर्स स्टेशन ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
मिग-21 लड़ाकू विमानों के लिए यह बेस स्टेशन है.

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