बुधवार, 27 जनवरी 2016

'बीजेपी करा रही लोगों की हत्या, क्यों चुप हैं मोदी

मुलायम सिंह यादव बुधवार को लखनऊ में सपा यूथ ब्रिगेड को
संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान कुछ युवा नेताओं ने
नारेबाजी शुरू कर दी जिससे कुछ देर
अफरातफरी का माहौल हो गया। इस हरकत पर
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को गुस्सा आ गया
और उन्होंने नेताओं की क्लास लगा दी।
गुस्साए मुलायम ने का कहा, अनुशासनहीनता
बर्दाश्त नहीं है, हमें अनुशासित लोग
पार्टी में चाहिए। उन्होंने चेतावनी
भी दी कि सुधार नहीं
हुआ तो अनुशासनहीन लोगों की
सूची बना देंगे।
कुछ देर में मुलायम सिंह का गुस्सा शांत हुआ तब उन्होंने युवा
नेताओं को राजनीति का पाठ पढ़ाया साथ
ही केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
मुसलमानों को रिझाने में लगे हैं मोदी
नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को निशाने पर लेते
हुए मुलायम सिंह ने कहा, नरेंद्र मोदी ने सबको
नौकरी देने का वादा किया था किसी को
रोजगार नहीं मिला। मोदी सिर्फ मुसलमानों
को रिझाने में लगे हैं जबकि नोएडा में मुसलमानों के लिए उन्होंने
कुछ नहीं किया। कहा कि अरहर की
दाल महंगी है, गरीबों को
कहीं से राहत नहीं मिल
रही।
उन्होंने कहा, बीजेपी ने किसानों और
नौजवानों को धोखा दिया है। मुलायम सिंह ने सवाल उठाया,
चीन और पाकिस्तान की फौज भारत में
घुस रही है, नरेंद्र मोदी क्या कर
रहे हैं। सपा सुप्रीमो ने केंद्र सरकार पर
भी निशाना साधा कहा,
बीजेपी के लोग हत्या करा रहे हैं
वहीं नरेंद्र मोदी भेदभाव मिटाने
की बात करते हैं।

शनिवार, 23 जनवरी 2016

शाहरुख, आमिर अभिनय करें तो बेहतर, वरना अंजाम के लिए रहें तैयार:उमा भारती

नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री उमा
भारती ने शाहरुख खान और आमिर खान को
चेतावनी दी है। उन्होंने इन
फिल्म अभिनेताओं को चेताते हुए कहा कि 'अगर वे
राजनीति के इरादे से विचारधारा से संबंधित कोई
बयान देते हैं तो उन्हें दूसरे पक्ष की ओर
से प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहना होगा।'
मालूम हो कि इन दोनों अभिनेताओं ने हाल ही
में देश के अंदर बढ़ रहे असहिष्णुता के माहौल
की आलोचना की थी।
इसके बाद शाहरुख और आमिर, दोनों के खिलाफ
बीजेपी, संघ व इन संगठनों के
सहयोगियों ने मोर्चा खोल दिया था।
एबीपी न्यूज शो की
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उमा ने कहा, 'आमिर,
शाहरुख, सैफ अली खान और 4-5 अभिनेता
हैं। मैं इनके बारे में एक चीज जरूर कहना
चाहूंगी। अगर एक अभिनेता, अभिनेता बना
रहता है तो सब उसे पसंद करते हैं। सभी
राजनैतिक विचाराधाराओं के लोग भी उन्हें पसंद
करते हैं, लेकिन जब आप राजनीति के इरादे
से विचारधारा से जुड़ा कोई बयान देते हैं तो आपको
भी प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहना होगा। यह
मत कहिए कि मेरे पास बोलने का अधिकार है, क्योंकि
ऐसी स्थिति में दूसरे पक्ष के पास
भी प्रतिक्रिया का अधिकार होता है।'
हालांकि शाहरुख व आमिर का नाम हालिया विवादों में सामने
आया था, लेकिन सैफ को लेकर बीते दिनों में कोई
इस तरह का विवाद नहीं हुआ। ऐसे में
यह साफ नहीं है कि उमा भारती
ने अपनी टिप्पणी में सैफ का नाम
क्यों लिया। सैफ की शादी फिल्म
अभिनेत्री करीना कपूर से हुई
है। बीते नवंबर में एक सवाल का जवाब देते
हुए करीना ने असहिष्णुता के विरोध में अपना
सम्मान लौटाने वाले साहित्यकारों व फिल्मकारों के प्रति
असमर्थन जताया था।
उमा ने हालांकि इस कार्यक्रम में आगे यह
भी साफ किया कि वह इन अभिनेताओं पर
नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने
की कोशिश करने का आरोप नहीं
लगा रही हैं। उन्होंने कहा, 'इतना जरूर है
कि उनके शब्दों से भारत की
अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा है।'
फिल्मी कलाकारों की
सीमा तय करने के अंदाज में उमा ने कहा कि
अभिनेता-अभिनेत्रियों को या तो अभिनय करना चाहिए या फिर
सामाजिक कार्य करने चाहिए। उन्होंने इस सिलसिले में
एंजेलिना जॉली का भी नाम लिया।
ऐसा नहीं करने की स्थिति में
उन्होंने चेतावनी दी, 'लेकिन
अगर आप अभिनेता ही रहना चाहते हैं
और चाहते हैं कि लोग आपको पसंद करें तो एक
ही समय में अपनी आलोचना के
प्रति नफरत दिखाने और खुद के लिए अभिव्यक्ति
की आजादी मांगते समय आपको
समझना होगा कि आपको एक साथ ये तीनों
चीजें नहीं मिल
सकती हैं।'
कार्यक्रम में कुछ बीजेपी
नेताओं, जैसे- निरंजन ज्योति, साक्षी महाराज,
साध्वी प्राची आदि द्वारा दिए गए
सांप्रदायिक व विवादास्पद बयानों के मानिंद पूछे जाने पर उमा
ने कहा, 'ये लोग हमारे करीबी
हैं। मैं उनके बारे में इस तरह किसी
सार्वजनिक मंच पर कुछ नहीं कहना
चाहूंगी।'
मोदी के साथ अपने विरोधों के बारे में उन्होंने
कहा, 'जब मैंने गुजरात के तत्कालीन
मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी
की आलोचना की थी,
उस दौरान मैं बीजेपी में
नहीं थी। मैं उस समय
अपनी अलग पार्टी
की मुखिया थी। मैंने 2007 के
गुजरात विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार
खड़े करने का भी फैसला किया था, लेकिन फिर
जब मैंने राज्य में चौतरफा विकास देखा तो मैंने अपने
उम्मीदवारों को और मोदी
की आलोचना में कहे गए अपने शब्दों को
वापस ले लिया।' मालूम हो कि उमा भारती को
साल 2005 में बीजेपी से निलंबित
कर दिया गया था। लालकृष्ण आडवाणी के साथ
उनके मतभेद को इसका कारण बताया गया था। 6 साल बाद
वह फिर से बीजेपी में शामिल हो
गई थीं।
बिहार के मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार द्वारा
बीजेपी को अयोध्या के राम मंदिर के
निर्माण के संबंध में एक तारीख घोषित करने के
लिए दी गई चुनौती पर किए गए
सवाल को टालते हुए उमा ने कहा, 'अगर
नीतीस कुमार और मुलायम सिंह
यादव लोगों को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए
राजी करने के काम का नेतृत्व करते हैं तो
मुझे बहुत खुशी होगी। राम
मंदिर इस पूरे देश का संकल्प है और यह जरूर पूरा
होगा।'
उन्होंने यह भी कहा कि वह पहले
'फायरब्रैंड' थीं, लेकिन अब वह 'वॉटरब्रैंड'
हो गई हैं। उन्होंने कहा, 'गंगा को साफ करने
की इतनी बड़ी और
आध्यात्मिक चुनौती ने मेरे अंदर
काफी शांति भर दी है। मैं एक
मकसद के साथ काम कर रही हूं।' उन्होंने
कहा कि गंगा को दूषित करने में सबसे ज्यादा योगदान
औद्योगिक कचरे का है, ना कि धार्मिक कर्मकांड और
मृतकों की अस्थि व राख बहाने
जैसी हिंदू परंपराएं।

सबूत के साथ BJP को घेरेगी आम आदमी पार्टी

एमसीडी के खातों की जांच के लिए बनाई गई
कमिटी के गठन पर राजनीति शुरू हो गई है।
कुछ लोग दिल्ली सरकार पर सवाल खड़े कर रहे
हैं, जबकि कुछ का कहना है कि जांच से काफी
कुछ सामने आएगा।टाइमिंग के मायनेजांच के
पीछे दिल्ली सरकार की मंशा एमसीडी का
भ्रष्टाचार उजागर करने की है। आम आदमी
पार्टी शुरू से ही एमसीडी में भ्रष्टाचार की
बात करती आई है।
आखिर सरकार इस वक्त ही ऐसा क्यों कर रही
है, इसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
भ्रष्टाचार पुख्ता करना चाहती है आप
जानकारों का कहना है कि सरकार की इस
जांच से बहुत कुछ सामने आ जाएगा। अब तक
आम आदमी पार्टी सिर्फ आरोप लगाती आई
है कि एमसीडी में भ्रष्टाचार है। जांच के
जरिए सामने आए तथ्यों के आधार पर आप
बीजेपी का घेराव करेगी। जांच के जरिए आप
भ्रष्टाचार की बात को पुख्ता करना चाहती
है ताकि बीजेपी के नेताओं को सबूतों के साथ
भ्रष्टाचारी कहा जा सके।
एमसीडी चुनाव पर निगाह जानकारों के
मुताबिक, सरकार की कवायद से साफ है कि
आप एमसीडी चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा
पूरी तरह हावी रखना चाहती है। इसी के तहत
यह कार्रवाई है। आप एमसीडी चुनाव
भ्रष्टाचार के मुद्दे को ऊपर रखकर लड़ना
चाहती है, इसलिए सारे सुबूत जुटाने की
कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि आम
आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव लड़ने की
घोषणा की है। आप दावा भी कर रही है कि
एमसीडी चुनाव दिल्ली विधानसभा चुनाव
की तरह भारी बहुमत से जीतेगी।

असहनशीलता पर केजरीवाल का पीएम पर निशाना

नई दिल्ली
सीएम अरविंद केजरीवाल ने
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में फिल्म निर्माता करण जौहर
द्वारा असहनशीलता के बारे में दिए बयान का
समर्थन किया है। इस बहाने केजरीवाल ने
फिर सीधे पीएम को टारगेट किया
है। उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ एक व्यक्ति को
ही मन की बात कहने का
अधिकार है।
Karan Johar right. Only one person in this
country can publicly talk abt his mann ki
baat. No one else can do that
https://t.co/
V7uPl2o0Xr
https://t.co/V7uPl2o0XrJanuary 22, 2016
केजरीवाल के इस बयान से सोशल साइट्स पर
खूब बवाल मचा हुआ है। इसका जमकर विरोध हो रहा
है। हालांकि आप के समर्थक केजरीवाल
की बात को सही ठहरा रहे हैं।
केजरीवाल के ट्वीट से
असहनशीलता का जिन्न फिर बाहर आता दिख
रहा है।
अरविंद केजरीवाल ने अल सुबह सवा 5 बजे
पीएम नरेंद्र मोदी को टारगेट करते
हुए ट्वीट किया 'करण जोहर
ठीक हैं, इस देश में केवल एक
ही व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर मन
की बात कहने का अधिकार है और कोई ऐसा
नहीं कर सकता।'
केजरीवाल के ट्वीट पर लोगों ने
जमकर भड़ास निकाली है।
प्रदीप ममगईं ने कहा 'बोलने
की आजादी नहीं
होती तो आप जेल में होते'। सौम्या ने कहा
'आप हिटलर से कम नहीं हैं'। सौम्या ने
एक फोटो शेयर किया। इस पर आप समर्थकों ने जमकर
हल्ला किया। पंजाब ट्वीटर हैंडल के जरिए
कहा गया कि हिटलर, व्यापम का क्या हुआ। मंथन
कहते हैं, सर @ArvindKejriwal रहम खाओ,
भगवान से नहीं तो खुदा से डरो,
पूरी दुनिया को चोर बोल चुके हो, अब बोलते हो
बोलने की आज़ादी
नहीं?
गौरतलब है कि करण जौहर ने लिटरेचर फेस्टिवल में
लेखिका पूनम सक्सेना द्वारा लिखित पुस्तक 'एन
अनसुटेबल बॉय' पर चर्चा के दौरान कहा कि हमारे देश में
बोलने की स्वतंत्रता नहीं है।
यहां व्यक्तिगत बातचीत पर ही
जेल भेज दिया जाता है। आप किसी के
व्यक्तिगत जीवन पर कुछ बोल
नहीं सकते। निजी
बातचीत पर जेल हो सकती है

अब सुमित्रा महाजन ने छेड़ा आरक्षण की समीक्षा का राग

अहमदाबाद
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के इस
बयान पर नया विवाद खड़ा हो सकता है। सुमित्रा महाजन
ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि देश में जाति
आधारित आरक्षण पर 'पुनर्विचार' होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर
भी ऐसा ही चाहते थे।
अहमदाबाद में स्मार्ट सिटीज को लेकर
आयोजित एक कार्यक्रम में स्थानीय निकायों के
प्रतिनिधियों और अफसरों को संबोधित करते हुए महाजन ने
कहा, 'आंबेडकरजी ने कहा था, 10 साल के
लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए और इसके बाद
समीक्षा की जानी
चाहिए। पिछड़े लोगों को इस स्तर पर लाया जाना चाहिए।
लेकिन हमने कुछ नहीं किया। यहां तक कि
मैं भी इसकी दोषी
हूं। हमने इस बारे में सोचा भी
नहीं। हमने कभी इस बात पर
ध्यान नहीं दिया कि इसकी
समीक्षा की जानी
चाहिए।'
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक
अहमदाबाद में अपने संबोधन के दौरान महाजन ने कोटा पर
पुनर्विचार की बात को लेकर वियतनाम यात्रा का
जिक्र करते हुए कहा, 'पिछले 20 से 25 सालों में
वियतनामी लोगों ने बहुत तेजी से
विकास किया है। यह एक आश्चर्य की
तरह है, लेकिन हम 60 से 70 सालों के बाद
भी देश से जातिवाद को खत्म
नहीं कर पाए हैं। प्लीज, इसे
राजनीतिक मुद्दा न बनाएं।'
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक
हालांकि बाद में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने
कहा कि वह आरक्षण पॉलिसी के पक्ष या
विपक्ष में अपनी कोई राय जाहिर
नहीं कर रही थीं।
महाजन ने सफाई देते हुए कहा, 'मैं यह कह
रही हूं कि हमें यह सोचना चाहिए कि
आखिर हम बाबा साहेब आंबेडकर के सपनों का समाज
क्यों नहीं बना सके हैं। हमें इसके कारणों
पर भी विचार करना चाहिए।' इससे पहले
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने
भी आरक्षण की
समीक्षा को लेकर बयान दिया था, जिससे खासा
विवाद खड़ा हो गया था। यहां तक कि बिहार चुनाव में
भी विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बना
लिया था और बीजेपी को
करारी हार का सामना करना पड़ा था।
अक्टूबर, 2015 में पीएम नरेंद्र
मोदी ने साफ किया था कि रिजर्वेशन
पॉलिसी में किसी तरह के संशोधन
या हटाए जाने की संभावना नहीं
है। महाजन का बयान ऐसे समय में आया है, जब
बीजेपी हैदराबाद
यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला
की आत्महत्या के बाद आए
पार्टी नेताओं के बयानों से उबरने
की कोशिशों में जुटी है।
बीजेपी नेताओं के बयानों को दलित
विरोधी करार देते हुए विपक्षी दलों
के नेता उसे घेरने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि इन
दिनों गुजरात में बीजेपी को
पाटीदार समुदाय की ओर से
जारी आरक्षण आंदोलन से भी
जूझना पड़ रहा है।

शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

पीएम के प्रोग्राम में लगे 'मोदी गो बैक के नारे',

लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में उस
वक्त हंगामा हो गया, जब वहां मौजूद छात्रों
ने मोदी मुर्दाबाद और मोदी गो बैक के नारे
लगाने शुरू कर दिए। हालांकि, हंगामा बढ़ने से
पहले ही छात्रों को कार्यक्रम की जगह से
बाहर भेज दिया गया। पीएम मोदी लखनऊ में
भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत
समारोह में शरीक होने पहुंचे। अपने भाषण में वह
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में खुदकुशी करने वाले
दलित छात्र रोहित वेमुला का भी जिक्र
करते हुए भावुक हो गए और कहा, 'मुझे बहुत
पीड़ा होती है, जब रोहित जैसे नौजवान को
खुदकुशी करनी पड़ती है।'
पीएम मोदी ने रोहित की मौत पर शोक
जताते हुए कहा, 'जब यह खबर मिलती है कि मेरे
देश के एक नौजवान बेटे रोहित को आत्महत्या
करने के लिए मजबूर होना पड़ता है तो बहुत
पीड़ा होती है। उसके परिवार पर क्या बीती
होगी? वजह जो भी रही हो, मां भारती ने
अपना एक लाल खो दिया।'
पीएम का कार्यक्रम शुरू होने से ठीक पहले कुछ
छात्रों ने हंगामा किया। विरोध कर रहे
छात्रों ने 'मोदी गो बैक' के नारे भी लगाए।
बाद में सुरक्षाकर्मियों ने हंगामा कर रहे
छात्रों को बाहर कर दिया। ये छात्र
हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित
वेमुला की खुदकुशी के मामले में विरोध कर रहे
थे। हंगामा करने वाले छात्र रोहित हम
शर्मिंदा हैं के नारे लगा रहे थे।

बुधवार, 20 जनवरी 2016

No One Killed Rohith ( रोहीत )

चलो रोहित की मौत के प्रति कुछ चिंतन करें :
१ ) जब रोहित को बाहर निकाल दिया गया था तो आत्महत्या करने अन्दर हास्टल के कमरे मे कैसे गया और उसको अन्दर किसने जाने दिया ? अगर रोहित हास्टल में जा नहीं सकता था, तो रोहित को हास्टल में लेकर जानेवाला कौन शख्स था ?
२ ) ABVP के लोगों ने रोहित को हास्टल से निकालने से पहले धमकी क्यों दी ? और उस धमकी को मीडीया ने जाहिर होने क्यों नहीं दिया...?
३ ) रोहित जांबाज की तरह लड़ाई लड़ रहा था, फिर रोहित की हत्या करवाने में किसका हाथ था ?
४ ) वह जब विरोध कर रहा था तो आत्महत्या कैसे कर सकता है, वह मजबूत शक्स मानसिक रूप से भी मजबूत था, तो ऐसी कायरता वह नही कर सकता ?
५ ) जब वह न्याय के लिये लड़ रहा था तो वह अपने सुसाइड् नोट मे अपने आप को दानव कैसे लिख सकता हैं ?
६ ) ऐसा निराशायुक्त सुसाइड् नोट वह कैसे लिख सकता है जबकि उसका संघर्ष बाबासाहब और अन्य मजबूत मूलनिवासी महापुरुषों के जीवन से प्रेरणायुक्त था ?
७ ) न्याय मांगनेवाला सभी अन्यायियों को माफ करने की बात सुसाइड् नोट मे कैसे लिख् सकता हैं ?
उसके सुसाइड् नोट की फॉरेन्सिक जांच-पड़ताल किसी ईमानदार विदेशी सन्स्था से करवानी चाहिए.....!!
सिर्फ़ सोचों मत, आप अपनी राय दीजीयें..

गुरुवार, 7 जनवरी 2016

TMC सांसद ने आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा- पठानकोट हमले के आतंकवादियों से मोदी का है कनेक्शन

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के सांसद इदरिस अली ने प्रधानमंत्री मोदी पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है. इदरिस ने कहा है कि पठानकोट हमले के आतंकवादियों से मोदी का कनेक्शन है.
अली ने मंगलवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक
जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे लगता है
कि मोदी का संबंध आतंकियों से है. आखिर उनके
पाकिस्तान दौरे के ठीक बाद यह हमला क्यों
हुआ?” अली ने हालांकि कहा कि यह उनकी निजी राय है.
इस आपत्तिजनक बयान के बाद बीजेपी और लेफ्ट ने ममता बनर्जी से इदरीस अली पर कार्रवाई करने की मांग की है वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी बयान से किनारा करते हुए इदरीस को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.
तृणमूल ने उनके खिलाफ कार्रवाई का वादा किया है. तृणमूल के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है, “यह टिप्पणी बहुत गलत है और पार्टी इस तरह के विचारों का समर्थन नहीं करती. उनसे इस पर लिखित में जवाब
मांगा गया है. पार्टी इस पर उचित कार्रवाई
करेगी.”
आपको यहां याद दिला दें कि इदरिस अली वही
नेता हैं जिन्होंने कुछ समय पहले माकपा नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री गौतम देब का हाथ-पैर काटने की धमकी भी दी थी.

झारखंड का मूल निवासी कौन?

झारखंड में ऐसा लगता है कि स्थानीयता के मुद्दे पर
आंदोलन एक बार फिर ज़ोर पकड़ने लगा है.
आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच ने
बीते दिनों इस मुद्दे पर एक दिन का झारखंड बंद
भी रखा था. इसमें बड़ी संख्या में लोग
झंडे-बैनर के साथ सड़कों पर उतरे. इस बंद को कई
राजनीतिक दलों और संगठनों ने भी
समर्थन दिया.
आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के मुख्य
संयोजक राजू महतो कहते हैं, "हमारा ज़ोर इस बात पर है कि
जिनके पास अपने या पूर्वजों के नाम ज़मीन आदि का
ख़तियान है, उन्हें ही स्थानीय माना जाए
और उन्हें ही सरकारी नौकरियां
दी जाएं."
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड की नौ
क्षेत्रीय भाषाओं को समान रूप से लागू करते हुए इसे
प्रतियोगिता परीक्षाओं और बीएड के
पाठ्यक्रम में लागू किया जाए.
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष
प्रेमशाही मुंडा कहते हैं, "सरकार ने वादा किया था कि
साल 2015 में 15 नवंबर को स्थानीयता से
जुड़ी नीति घोषित की
जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जब तक
स्थानीयता तय नहीं होती,
नौकरी देने पर रोक रखी जाएं".
यहां ज़मीन का अंतिम सर्वेक्षण, सर्वे रिकार्डस
ऑफ राइट्स वर्ष 1932 में हुआ था. इन संगठनों की
मांग है कि उस सर्वे के आधार पर जिनके पास ज़मीन
है, उन्हें स्थानीय माना जाए.
उसके बाद बड़ी संख्या में लोग यहां आकर बसे हैं जो
नौकरी करते हैं या व्यापार करते हैं और
यहीं के हो गए हैं. जमशेदपुर, रांची.
धनबाद, बोकारो, रामगढ़ जैसे औद्योगिक शहरों में ऐसे लोग
बड़ी संख्या में रहते हैं.
झारखंड में लंबे समय से मांग भी उठती
रही है कि छत्तीसगढ़ की
तर्ज पर झारखंड के अलग राज्य बनने की
तारीख़ से स्थानीयता की
परिभाषा तय हो. राजनीतिक दलों के अंदर
भी यह आवाज़ उठती रही
है कि जो झारखंड में रहता है उसे झारखंडी माना
जाए.
वर्ष 2002 में बाबूलाल मरांडी की सरकार
के कार्यकाल के दौरान कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग
ने स्थानीयता की परिभाषा तय
की थी.
उसके मुताबिक़, किसी ज़िले के वे लोग
स्थानीय माने जाएंगे जिनका स्वयं के या पूर्वजों के नाम
ज़मीन, वासडीह आदि पिछले सर्वे ऑफ़
रिकॉर्डस में दर्ज़ हो.
इसके जारी होने के बाद राज्य में हिंसा की
कई घटनाएं हुई थीं और सरकार के फ़ैसले पर कई
तरह के सवाल भी उठाए गए थे.
इस मामले को लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिका भी
दाख़िल की गई थी.पांच सदस्यों
की खंडपीठ ने सरकार के फ़ैसले को
खारिज करते हुए कहा था कि वह स्थानीय व्यक्ति
की परिभाषा फिर से तय करे.
15 वर्षों में इस नीति के तय नहीं होने
पर सियासत भी होती रही
है. इसके लिए कम से कम छह बार सर्वदलीय
बैठकें हुई हैं. नीति तय करने के लिए
सरकारी स्तर पर चार बार उच्च स्तरीय
समिति भी बनी है, लेकिन कोई
नतीजा नहीं निकला.
अब इसी मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री और
वर्तमान में विपक्षी दल के नेता हेमंत सोरेन ने कहा
है कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति
तय होनी चाहिए. जबकि हेमंत सोरेन भी
मुख्यमंत्री रहते हुए इस मुद्दे का कोई हल
नहीं निकाल सके थे.
वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद पिछले साल अप्रैल में
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मुद्दे पर
सर्वदलीय बैठक भी बुलाई
थी और सभी दलों से लिखित तौर पर सुझाव
मांगे थे.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम मित्तल कहते हैं,
"हमारी सरकार इस मामले में गंभीर है.
हेमंत सोरेन को इस मुद्दे पर सरकार पर किसी तरह
का आरोप लगाने का अधिकार नहीं है, भाजपा और
सरकार, नियोजन नीति की भी
पक्षधर है".
वहीं छात्र तथा मजदूर नेता उदयशंकर ओझा कहते
हैं "इस मुद्दे पर अब तक केवल राजनीति
होती रही है. गेंद इस पाले से उस पाले
में, लेकिन गोल नहीं होता. अब तो 15 साल हो गए,
यहां कोई स्थानीय नीति की
जरूरत नहीं है. कट ऑफ़ डेट को लेकर सवाल होना लाज़मी है.
अब सरकार को नियोजन नीति तय करनी चाहिए ताकि नौकरियों में प्राथमिकता तय हो सके".

आमिर ख़ान 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर हैं या नहीं

आमिर ख़ान 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर हैं या नहीं इसे लेकर पर्यटन मंत्रालय और पर्यटन
मंत्री के अलग-अलग बयान आए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के
मुताबिक़ केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति
मंत्री महेश शर्मा ने आमिर ख़ान के साथ क़रार ख़त्म होने की पुष्टि की है.
इससे कुछ घंटे पहले भारतीय मीडिया
की कुछ रिपोर्ट्स में आमिर ख़ान को 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर से हटाए जाने की ख़बरें आईं थीं, और पर्यटन मंत्रालय ने इनका खंडन किया था.
दरअसल, आमिर ख़ान के ब्रैंड एंबेसडर रहने-नहीं रहने को लेकर दिनभर अटकलें लगाई जाती रहीं.
भारतीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस
नोट में कहा गया है कि आमिर ख़ान अपनी भूमिका निभाते रहेंगे.
मंत्रालय ने इस और भी स्पष्ट करते हुए कहा कि
मंत्रालय ने इस अभियान के लिए विज्ञापन एजेंसी मैककैन वर्ल्डवाइड से क़रार किया हुआ है और इस अभियान में आमिर ख़ान होंगे.
लेकिन इसके बाद केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति
मंत्री महेश शर्मा ने कहा क़रार खत्म हो गया.
आमिर ख़ान ने पिछले दिनों कहा था कि उनका परिवार सांप्रदायिक तनाव की वजह से देश में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है.
उन्होंने एक मीडिया इवेंट में ये कहा था कि
उनकी पत्नी किरण राव देश में
असहिष्णुता के बढ़ते माहौल में देश से बाहर जाने का विचार करने लगी थीं.
हालांकि बाद में आमिर ने यह भी कहा कि उनका और उनके परिवार का न तो देश छोड़ने का इरादा था और न है.
उनके इस बयान पर मीडिया में काफ़ी
प्रतिक्रिया देखने को मिली थी और आशंका
जताई जा रही थी कि हो सकता है कि
उन्हें 'अतुल्य भारत' के ब्रैंड एंबेसडर से हटा दिया जाए.

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