गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

जुमलो को वादे कहते थे !

वादा नही इरादा लेकर
आया हूँ, वो कहेते थे ,
तकदीर बदल दूंगा भारत की
कह कर खूब गरजते थे ,
भक्तो ने खूब साथ दिया
तुम्हारी भाषणबाजी का
उनको क्या मालूम मोदीजी
जुमलो को वादे कहते थे !
मँहगाई की मार जुबानी
मँहगाई ना घटा सके ,
ना बांगलादेशी भगा सके
ना तीन सौ सत्तर हटा सके
ना कालाधन वापस आया
ना पाकिस्तान समझ पाया
मोदीजी के भाषण पर
जो खूब भरोसा करते थे
हम को क्या मालूम मोदीजी
जुमलो को वादे कहते थे !
भ्रष्टाचार मिटाते कैसे
जब येदुरप्पाजी सहपाठी हैं
बलात्कार से लड़ते कैसे
जब मेधवाल से साथी है
भाषण से शासन ना चलता
ना राशन मिल पाता है
वादों वचनों और जुमलों से
पेट कहा भर पाता है
आपके झूठे वादों पर
जो खूब भरोसा करते थे
उनको क्या मालूम मोदीजी
जुमलों को वादे कहेते थे !
स्मार्टसिटी की खुशी मनायें
पर गाँवों पे रोयेगा कौन
हरित कान्ति का देश हमारा
हरियाली बोयेगा कौन
अपने कपड़े तक तो ठीक है
किसान की भूमि मत बेचो
मजलुमों के खून से लथपथ
विकास रेखा मत खींचो
चायवाली मुफलीसी पर
जो खूब भरोसा करते थे
उनको क्या मालूम मोदीजी
जुमलो को भाषण कहेते थे।

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