शनिवार, 5 मार्च 2016

2 साल में क्या खोया क्या पाया, भाईचारा खोया बेमानश्यता पायी

अनुपम खेर साहब मै खुद बहुत ही कायल हूँ आपके विचार, कला व लेखन का । मै आपका किसी विचारधारा का विरोध भी नही कर रहा हूँ । आप के मात्र एक बात से हम अब सहमत नही हूँ । आप का मानना है मोदी जी को पाँच साल तो दिया जाना चाहिये । तब इसका आकलन किया जाना चाहिये की अच्छा प्रधानमंत्री अथवा पार्टी कौन है । विचार आप का सही है और यही सब कारण बताकर मै भी बहुत से लोगो को इनके पक्ष मे वोट करने के लिये अनुरोध किया था हो सकता है बहुतो को मै प्रभावित करने मे सफल रहा हूँ । मै ही नही मेरे जैसे बहुतो ने ऐसा किया होगा जिसका नतीजा मोदी जी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचाया ।
भारतीय मतदाता कई प्रकार के होते है --

1) एक मतदाता जो पूर्व की सरकार के कार्यकाल से संतुष्ट नही रहा परन्तु विकल्प सीमीत होने के कारण वो खीजबस विपक्षी पार्टी को वोट कर देता है बिना किसी अपेक्षा के या पूर्व पार्टी से बदला लेने हेतु ।

२) दूसरा मतदाता थोडां ज्यादा जागरुक होता है और वह सरकार की किसी निर्णय से स्थानीय अथवा उसके विशेष समाज का फायदा या नुकसान के नजरिए से देखकर मतदान करता है । इस तरह के मतदाता को देश के सामुहिक विकास कार्यो से कोई असर नही पडंता है ।

३) तीसरा मतदाता निश्चित नहीं कर पाता की यह सरकार अच्छा कर सकी है अथवा नही और यह धारणा के साथ की इसबार दुसरी पार्टी को मतदान करेगे शायद वो बेहतर शाबित हो ।

४) बुद्धजीवी वर्ग पार्टी की निति व किये गये चुनावी वादो को आधार मान कर मतदान करता है । इस वर्ग के मतदान का प्रतिशत कम ही रहता है । परन्तु मतदाता अन्य लोगो को मतदान के पक्ष मे कराने समर्थ होता है ।
मतदाता का चौथा ग्रुप जो शिक्षित है व जिनकी संख्या निरंतर बढ रही है और वो सवाल भी उठाते है तब जबकि पार्टी सत्ता प्राप्ति के बाद वादा खिलाफी करने लगती है । यही नही जब सत्ता पक्ष ऐसी दिशा मे कार्य करने लगती है जिससे आपसी भाई चारा तथा सामाजिक विभाजन होने की हालात होने लगे तो फिर क्या ऐसी सरकार का विरोध नही करना चाहिये या हम इसके कुकर्मो को पाँच साल तक मुक दर्शक की तरह से देखते रहे ।

अनुपम साहब आप मात्र इनके चुनावी वादो पर ही ध्यान दे और ईमानदारी से आकलन करे की क्या सरकार उसी दिशा मे कार्य कर रही है , जिसका वादा किया था । आपको उत्तर नकारात्मक मिलेगा बल्कि देश की छवि को मलीन किया है ।इनके भाषण सुनकर शर्म महसूस होती है । बिते दो साल मे क्या पाया व खोया तो आप को पता चलेगा की हमने भाई चारा खोया व आपसी बैमनस्यता पायी है । इन सब को साक्षात देखते हुये इन्हे पाँच साल तक और देखलेने की वकालत कदापि स्वस्थ विचार नही है । जिस राह पर सरकार चल रही है वो देश का कितना नुकशान कर देगी इसका अनुमान भी लगाना मुश्किल होगा । अच्छा होगा एक बार फिर से चितन करे । एक बात के लिये आपको बधाई की जिस हिम्मत के साथ आपने अपनी बात को भरी पब्लिक के सामने रखा काबिले तारीफ है । ऐसे ही विचारो के आदान प्रदान से लोकतंत्र मजबूत होगा न की देशद्रोह जैसे कानून का सहारा लेकर अभिब्यक्ति को कुचलने से ।
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