आमिर के बयान के बाद असहनशीलता विरोधी और सहनशीलता समर्थक आपस में भिड़ गये हैं आपने ऐसे कई नेताओं के बयान सुने होंगे जो सरकार में मंत्री हैं, सासंद हैं और नेता भी हैं जो कई संदर्भों में पाकिस्तान भेजने की बात कर चुके हैं। अब कौन तय करेगा कि भारत की बदनामी किससे होती है
जनवरी 2013 में 'विश्वरूपम' फिल्म के रीलीज होने पर हंगामा हुआ तो अभिनेता कमल हसन ने कहा था, 'मैं एक कलाकार हूं। मेरा किसी धर्म के प्रति कोई झुकाव नहीं है। न तो मैं लेफ्ट हूं न राइट हूं। मैं फेड अप हो चुका हूं। मुझे नहीं पता क्या चल रहा है। मैं किसी दूसरे राज्य में सेकुलर प्लेस की तलाश में हूं। अगर कुछ दिनों में वो जगह नहीं मिली तो मैं बाहर के सेकुलर मुल्क में चला जाऊंगा।'
तब किसी ने नहीं कहा कि कमल हसन के इस बयान से भारत की बदनामी हो गई। असहनशीलता नहीं होती तो प्रधानमंत्री की आलोचना करने पर अरुण शौरी के बेटे को क्यों निशाना बनाया गया। क्या हमें इस प्रवृत्ति पर खुलकर बात नहीं करनी चाहिए। क्या यही असहनशीलता नहीं है कि देश की बदनामी हो रही है। देश में असहनशीलता बढ़ रही है इस बात से बदनामी कैसे हो जाती है।
बुधवार, 25 नवंबर 2015
विरोध धर्म देख कर हो रहा है
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