सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

देश का विकास करोगे तो राज्यों का विकास होगा प्रचार से कुछ नही होता

प्रधानमंत्री का चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति पुरे देश से
वादे कर के चुनाव लडता है, फिर जीत जाए तो देश
का प्रधानमंत्री भी बन जाता है और दो वर्ष के
अपने कार्यकाल के बाद प्रदेशों के चुनाव में वही
सख्स उन वादों को फिर प्रदेशो में दुहराता है के प्रदेश
में मेरी पार्टी की सरकार बनने पर ए कर दिया
जाएगा वो कर दिया जाएगा. तो सोचो
प्रधानमंत्री का पद देश के लिए होता है उसे देश का
विकास करना होता है..
तो प्रदेशों मैं फिर वही वादों के लडु बाँटने पड रहे है,
तो क्या वो प्रदेश देश में नहीं आता जब पुरे देश से
वादे करके प्रधानमंत्री बने थे ,अब क्यों उस प्रदेश से
लोकलुभावने वादे करने पड रहे है

26 तारीख संयोग और ड़र

आज 26 अक्टूबर
यह कोई मजाक नहीं बल्कि आपको अचम्भित भी कर देगा.....
चीन भूकंप
26 जुलाई 1976
गुजरात भूकंप
26 जनवरी 2001।
हिंद महासागर में सुनामी
26 दिसंबर 2004
मुंबई हमले 26/11
26 नवंबर 2008
ताइवान में आए भूकंप
26 जुलाई 2010
जापान भूकंप
26 फ़रवरी 2010
अब नेपाल में आए भूकंप
26 अप्रैल 2015।
क्यों यह हमेशा "26" है?
यह एक मात्र संयोग है??
रोड्स भूकंप 26 जून 1926
उत्तरी अमेरिका में आए भूकंप 26 जनवरी 1700
यूगोस्लाविया भूकंप 26 जुलाई 1963
मेरापी ज्वालामुखी विस्फोट 26 अक्टूबर 2010
बैम, ईरान में आए भूकंप में 26
दिसम्बर 2003 (60,000 मृत)
सबा ज्वारीय लहरों 26 दिसंबर
1996 (1,000 मृत)
तुर्की earthquke 26 दिसंबर
1939 (41,000 मृत)
Kansu, चीन में आए भूकंप के 26 दिसम्बर 1932
(70,000
मृत)
पुर्तगाल भूकंप 26 जनवरी 1951 (30,000 मृत)
Krakatau ज्वालामुखी विस्फोट 26 अगस्त 1883
(36,000 मृत)
आचे सुनामी दिसंबर 26, 2004
Tasik भूकंप 26
जून 2010
ताइवान में आए भूकंप 26 जुलाई 2010
जापान भूकंप फ़रवरी 26, 2010
Mentawai सुनामी 26 अक्टूबर 2010
गुजरात भूकंप 26 जनवरी 2001।
मुंबई 26 जुलाई 2005 में बाढ़
अब नेपाल भूकंप 26 अप्रैल 2015।
भारत का संविधान भी 26जनवरी को लागू हुआ था

और """"***मोदी ने प्रधानमन्त्री पद की शपथ भी
26
मई को ली?"""****
क्यों यह हमेशा "26" है?
यह सिर्फ एक संयोग है?
यह खबर अनोखी है ! और डरावनी भी है।
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रविवार, 25 अक्टूबर 2015

मानसिक जंजी़र

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था,
तभी उसने सड़क के
किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक
गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक
रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा
अचरज हुआ की हाथी जैसे
विशालकाय जीव लोहे की
जंजीरों की जगह बस एक
छोटी सी रस्सी से बंधे
हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब
अपने
बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर
किसी वजह से
वो ऐसा नहीं कर रहे थे.
उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस
प्रकार इतनी शांति से
खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?
तब महावत ने कहा, " इन
हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से
बाँधा जाता है, उस समय इनके पास
इतनी शक्ति नहीं होती
की इस बंधन को तोड़ सकें.
बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़
पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे
यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों
नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर
भी उनका ये यकीन बना रहता है,
इसलिए
वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही
नहीं करते."
आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर
सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो
इस बात में यकीन
करते हैं!! इन हाथियों की तरह ही
हममें से कितने लोग सिर्फ
पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं
कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं
सकता और
अपनी ही बनायीं हुई
मानसिक जंजीरों में जकड़े-
जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं. याद रखिये असफलता
जीवन का एक
हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता
मिलती है.
यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं
जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे
तोड़ डालिए|

बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

BJP धोखेबाजो की पार्टी हैं

(एमएनएस- महाराष्ट्र नवनिर्माण
सेना) प्रमुख राज ठाकरे ने बीजेपी
(भारतीय जनता पार्टी) पर निशाना
साधते हुए कहा कि यह धोखेबाजों की
पार्टी है. जिले के कल्याण में पार्टी
कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित
करते हुए ठाकरे ने कहा कि बीजेपी का
दूसरा नाम ‘धोखा’ है और यह धोखेबाजों
की पार्टी है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर
निशाना साधते हुए एमएनएस प्रमुख ने कहा
कि वह ऐसे पैकेज बांट रहे हैं जैसे कोई सगाई के
दौरान मिठाई यानी ‘साखरपुडपा’ बांट
रहा हो. अच्छे दिनों का वादा करने वाली
बीजेपी को राज ने आम चुनाव 2014 में
समर्थन दिया था. अब राम जेठमलानी से
लेकर अन्ना हजारे तक की तर्ज पर उन्हें भी
यही लगता है कि अच्छे दिनों के नाम पर
सबको बेवकूफ बनाया गया है.

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

गोश्त सप्लाई करने वाले ब्राह्मण

एक खबर पढ़ के मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है!!!
भारत की 6 बड़ी गोश्त सप्लाई करने वाली
कम्पनियों में से 4 के मालिक ब्राह्मण हैं। दुनिया
का सबसे बड़ा "Beef meet exporter country"
ब्राज़ील है, उसके बाद India,
Australia, USA, और UK.
का न० आता है।
4 बड़ी भारतीय कम्पनियां और उनका पता-
1-Al-kbeer Exports Pvt Ltd.
(Owner- Shree Shatish &
Atul Sabharwal) 92, jolly
makers/ chembur Mumbai
400021
2- Arabian Exports pvt Ltd.
(owner- Shree Sunil Kapoor)
Russion mentions,
Overlies,
Mumbai 400001
3-M.K.R frozen food Exports pvt Ltd (Owner-
Shree Madan Abot)
MG Road, Janpath
NEW DELHI 110001
4-P.M.L Industries pvt.Ltd
(Owner- shree A.S bindra)
S.C.O. 62-63Sector 3
4 -A Chandigarh 160022
मुसलमान तो ऐसे ही बदनाम किये जाते हैं, जब कि
सच्चाई ये है कि मुसलमानों से ज्यादा मीट खाने
वाले ईसाई ,और यहूदी हैं।
मुस्लिम नामों से मीट कम्पनियां चलाने वाले
ब्राह्मणों का, मांसाहार का विरोध करने वाले
लोग विरोध क्यों नही करते ??
अभी पिछले दिनों बकरीद पे फेसबुक पे तरह तरह की
फोटो डाल के मुसलमानों के खिलाफ माहोल
बनाया गया।
जबकि विश्व प्रसिद्ध
"पशुपति नाथ" के मंदिर, हिमाचल प्रदेश के कई
मंदिरों में बलि की प्रथा आज भी प्रचलित है।
अभी नेपाल के विश्व प्रसिद्ध
"गढ़ीमाई मंदिर " बेरियापुर में
28-29 नवम्बर को 5 लाख पशुओं की बलि दी जानी
है।
यकीन ना हो तो Google पे सर्च कर सकते हैं।
कुछ समय पहले उत्तर कोरिया के एक महंगे होटल की
फोटो अखबारों में छपी थी, जिसमें 4-5 महीने के ढ़ेर
सारे human embryo किचन की
रस्सी पे लाइन से बंधे लटके हुये थे।
मांसाहारी लोग. White meat के बारे में जरूर सुने
होगें, जो इंग्लैंड, अमेरिका आदि देशो में बहुत खाया
जाता है।
कभी सोचा है कैसे बनता है ?
गाय के बछड़े को महीनों भूखा रखा जाता है,जब
वो मरणासन्न हो जाता है, तब उसे काटते हैं । कम से
कम मुसलमान इतना नहीं गिरा है|
जिंदा गर्भवती गाय के पेट मे औजार मारकर
जिंदा बच्चा निकालकर उसे खौलते पानी मे
उबालकर उसका चमडा निकाला जाता है, जिसे
काँफ लेदर कहते है जो भारी कीमत मे
अमेरिका भेजा जाता है।इस कारोबार मे एक
भी मुस्लिम नही है। चमडा उद्योग मे 20 लाख
लोगो को रोजगार हासिल है। और उससे 2
बिलियन डाँलर की सालाना इंकम होती है।
इतना ही नही गाय की चरबी से
वनस्पति घी लज्जतदार और स्वादिष्ट बनता है।
गाय की हत्या करके साबुन
तथा वनस्पति घी बनाने के कारखाने सारे
ब्राह्मणो के ही है।इसलिए गो हत्या और
कत्तलखानो के विरोध मे देशभर जो आंदोलन
हो रहे है वो राजनीतिक स्टँट के अलावा और कुछ
नही है । असल मे गाय को माता कहना ही सबसे
बड़ा पाखंड है, ब्राह्मण शुरू से ही गो भक्षक रहे है।
ब्राह्मण गाय ही नही इंसानो से लेकर
सभी जानवरो की बलि चढ़ाकर उनका मांस
खाते थे। इसलिए नेपाल के ब्राह्मण आज
भी बड़ी शान से गाय की बलि चढ़ाते है।
काठमांडु के काली माता मंदिर मे पहले तो गाय
की पूजा की जाती है, उसके बाद गाय के मुँह पर
पानी के छिटे मारे जाते है और गाय के सिर
हीलाते ही तेज धार वाले छुरी से गाय की गर्दन
पर पुजारी ब्राह्मण इस तरह से वार करता है
की खून का फव्वारा काली माता के चरणो मे
गिरे। तड़पती गाय का खून अन्य
मुर्तियो को चढ़ाया जाता है। गर्दन
को पुजारी खुद लेकर जाता है और चमडा उतारकर
गोश्त देवी के भक्त प्रसाद के तौर पर घर लेकर जाते
है। ब्राह्मण ही नही गैर ब्राह्मण तथा गैर मुस्लिम
भी गाय का मांस बड़े चाव से खाते है ।

आरक्षण

कल मोदी जी ने कहा की अम्बेडकर की देन है आरक्षण है इसे कोई नहीं छीन सकता !
साहेब ये सब जानते है
क्योकि आरक्षण हटाने के लिए राजयसभा और लोकसभा में 2/3 बहुमत चाहिए
जो कभी किसी पार्टी के लिए नामुमकिन है और
बीजेपी के लिए तो अब कभी सरकार बनाना भी नामुमकिन है ---
आपने जिसे पाना जीने मरने का पर्सन बना लिया था भूमि अधिकरण बिल
और जिसके लिए आप 4 बार अध्यादेश लेकर आये और ललकारते थे की ये बिल तो पास होकर रहेगा
जिसे तो सिर्फ बहुमत से ही पास होना था उसको पास नहीं करा पाये कांग्रेस के 40  सासंदों और किसान-मजदुर के विरोध के कारन - तो फिर आरक्षण हटाने के लिए 2/3 बहुमत ही नहीं है तो बात ही कहा से आई क्यों लोगो को बेवकूफ बना रहे हो
--सब जानते है ये सब आपके आका मोहन भागवत ने जो आरएसएस और बीजेपी के मन
की बात कही थी की आरक्षण बंद होना चाहिए और उसका जब आपको लग रहा है की बिहार में बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी
इसलिए आप ये डींगे हाक रहे हो
ताकत की बात ही कहा से आई आरएसएस ने कहा है ये तो बोलते की मोहन भगवत और आरएसएस गलत बोल रही है और आगे से वो ऐसी बाते नहीं बोलेगे
--आपको उनकी बात का खंडन करना चाहिए था क्योकि
--आरक्षण के खिलाख तो वही है तो किसको सुना रहे हो की ताकत नहीं है बंद करने की

सोमवार, 12 अक्टूबर 2015

गुजरात मे जंगलराज

मोदी जी बिहार में जाकर जंगलराज
कहकर लोगो को डराते है और कहते है की
नितीश की सरकार आ गयी तो
बिहार में जंगलराज आ जायगा !
कल गुजरात हाईकोर्ट में चुनाव
आयोग ने कहा की गुजरात में २००२ दंगो जैसे हालत है इसलिए उसने पचायती चुनावो को रद्द किया है और
गुजरात सरकार ने कहा की राज्य की
कानून ववस्था बहुत बिगड़ी हुवी है
इसलिए वो नहीं चाहती की
इस टाइम चुनाव हो ---
साहेब जिस गुजरात मॉडल को तुम देश में
लागु करना चाहते हो वहा पचायती चुनाव कानून
व्यवस्था के डर के कारन रद्द कर रखे है और देश के दुसरो राज्यों में जहा दूसरी पार्टी की
सरकारे है वह सब कुछ ठीक है पर लोगो को
भर्मित करके डरा रहे हो और जो नहीं है उसका
डर दिखा रहे हो सिर्फ इसलिए ताकि आप वोटो की फसल काट सको --और खुद के गुजरात में जो रियल में हो रहा है उसके बारे में बता दो की मेरे गुजरात में कानून ववस्था के डर से हम पचायत चुनाव तक नहीं कर सकते इतना शांत राज़ है ..

रविवार, 11 अक्टूबर 2015

भारत की आज की प्रशासनिक व्यवस्था।

एक बड़े मुल्क के राष्ट्रपति के बैडरूम की खिड़की सड़क की
ओर खुलती थी। रोज़ाना
हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे। राष्ट्रपति
इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान
लेते।राष्ट्रपति ने एक सुबह खिड़की का परदा हटाया। भयंकर
सर्दी। आसमान से गिरते रुई के फाहे। दूर-दूर तक फैली सफ़ेद
चादर।अचानक उन्हें दिखा कि बेंच पर एक आदमी
बैठा है। ठंड से सिकुड़ कर गठरी सा होता।राष्ट्रपति ने पीए को
कहा -उस आदमी के बारे में जानकारी लो और उसकी ज़रूरत
पूछो।
दो घंटे बाद। पीए ने राष्ट्रपति को बताया - सर, वो एक भिखारी
है। उसे ठंड से बचने के लिए एक अदद कंबल की ज़रूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा -ठीक है, उसे कंबल दे
दो।
अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से
पर्दा हटाया। उन्हें घोर हैरानी हुई। वो
भिखारी अभी भी वहां जमा है। उसके पास
ओढ़ने का कंबल अभी तक नहीं है।
राष्ट्रपति ने गुस्सा हुए और पीए पूछा -
यह क्या है? उस भिखारी को अभी तक
कंबल क्यों नहीं दिया गया?
पीए ने कहा -मैंने आपका आदेश सेक्रेटरी
होम को बढ़ा दिया था। मैं अभी देखता हूं
कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ।
थोड़ी देर बाद सेक्रेटरी होम राष्ट्रपति
के सामने पेश हुए और सफाई देते हुए बोले -
सर, हमारे शहर में हज़ारों भिखारी हैं।
अगर एक भिखारी को कंबल दिया तो शहर
के बाकी भिखारियों को भी देना पड़ेगा।
और शायद पूरे मुल्क में भी। अगर न दिया
तो आम आदमी और मीडिया हम पर भेदभाव
का इल्ज़ाम लगायेगा।
राष्ट्रपति को गुस्सा आया -तो फिर
ऐसा क्या होना चाहिए कि उस ज़रूरतमंद
भिखारी को कंबल मिल जाए।
सेक्रेटरी होम ने सुझाव दिया -सर,
ज़रूरतमंद तो हर भिखारी है। आपके नाम से
एक 'कंबल ओढ़ाओ, भिखारी बचाओ' योजना
शुरू की जाये। उसके अंतर्गत मुल्क के सारे
भिखारियों को कंबल बांट दिया जाए।
राष्ट्रपति खुश हुए। अगली सुबह
राष्ट्रपति ने खिड़की से परदा हटाया
तो देखा कि वो भिखारी अभी तक बेंच पर
बैठा है। राष्ट्रपति आग-बबूला हुए।
सेक्रेटरी होम तलब हुए। उन्होंने
स्पष्टीकरण दिया -सर, भिखारियों की
गिनती की जा रही है ताकि उतने ही
कंबल की खरीद हो सके।
राष्ट्रपति दांत पीस कर रह गए। अगली
सुबह राष्ट्रपति को फिर वही भिखारी
दिखा वहां। खून का घूंट पीकर रहे गए वो।
सेक्रेटरी होम की फ़ौरन पेशी हुई।
विनम्र सेक्रेटरी ने बताया -सर, ऑडिट
ऑब्जेक्शन से बचने के लिए कंबल ख़रीद का
शार्ट-टर्म कोटेशन डाला गया है। आज
शाम तक कंबल ख़रीद हो जायेगी और रात
में बांट भी दिए जाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा -यह आख़िरी चेतावनी
है।
अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की पर से
परदा हटाया तो देखा बेंच के इर्द-गिर्द
भीड़ जमा है। राष्ट्रपति ने पीए को भेज
कर पता लगाया। पीए ने लौट कर बताया
-कंबल नहीं होने के कारण उस भिखारी की
ठंड से मौत हो गयी है।
गुस्से से लाल-पीले राष्ट्रपति ने फौरन से
पेश्तर सेक्रेटरी होम को तलब किया।
सेक्रेटरी होम ने बड़े अदब से सफाई दी -
सर, खरीद की कार्यवाही पूरी हो गई
थी। आनन-फानन हमने सारे कंबल बांट भी
दिए। मगर अफ़सोस कंबल कम पड़ गये।
राष्ट्रपति ने पैर पटके -आख़िर क्यों? मुझे
अभी जवाब चाहिये।
सेक्रेटरी होम ने नज़रें झुका कर कहा -सर,
भेदभाव के इलज़ाम से बचने के लिए हमने
अल्फाबेटिकल आर्डर से कंबल बांटे। बीच में
कुछ फ़र्ज़ी भिखारी आ गए। आख़िर में जब
उस भिखारी नंबर आया तो कंबल ख़त्म हो
गए।
राष्ट्रपति चिंघाड़े -आखिर में ही क्यों?
सेक्रेटरी होम ने भोलेपन से कहा -सर,
इसलिये कि उस भिखारी का नाम 'जेड' से
शुरू होता था।
........यह है मेरे देश भारत की आज की प्रशासनिक व्यवस्था।

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